रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चीन के छिंगताओ में शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख नहीं था और सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान से मिल रही मदद पर भारत की चिंताओं को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया गया था।
सिंह ने जहां 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को संयुक्त बयान में शामिल करने की मांग की, वहीं पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों पर एक पैराग्राफ शामिल करने पर जोर दिया। पाकिस्तान अतीत में भारत पर बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘ एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक चीन में हुई। हम समझते हैं कि सदस्य देश कुछ मुद्दों पर आम सहमति पर नहीं पहुंच सके और इसलिए दस्तावेज को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।’ जायसवाल ने कहा, ‘भारत चाहता था कि दस्तावेज में उन चिंताओं को दर्शाया जाए जो एक विशेष देश को स्वीकार्य नहीं थीं। इसलिए संयुक्त बयान को अपनाया नहीं गया।’
एससीओ आम सहमति के ढांचे के तहत काम करता है और सिंह के दस्तावेज़ का समर्थन करने से इनकार करने के परिणामस्वरूप इस चीनी बंदरगाह शहर में एससीओ रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हो गया। भारत 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बना था। इसके अन्य सदस्यों में कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। 2020 में गलवान नदी घाटी में हुई झड़प के बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में अस्ताना में हुए पिछले एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे। चीन इस वर्ष तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उम्मीद है कि मोदी इसमें भाग लेंगे, क्योंकि पिछले साल अक्टूबर में रूस में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से उनकी मुलाकात के बाद भारत और चीन ने अपने संबंधों को सुधारने के प्रयास किए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 23 जून को बीजिंग में एससीओ सुरक्षा परिषद के सचिवों की बैठक के मौके पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी।
सिंह ने अलग से क़िंगदाओ में रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से मुलाकात की और एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वार्ता रूस-भारत संबंधों को बढ़ावा देगी। सिंह ने पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के लिए खरी-खरी सुनाई और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों और इसे आर्थिक मदद देने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में उपयोग करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं। ऐसे दोहरे मानकों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’
बुधवार को किंगदाओ पहुंचे रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में बदलाव की व्यापक रूपरेखा रखी और एससीओ सदस्य देशों से एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करने और दोहरे मानदंड अपनाने से बचने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। यह अनिवार्य है कि जो लोग अपने संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित करते हैं और उसका उपयोग करते हैं, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।’ सिंह ने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों से मिलता-जुलता है।
उन्होंने कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले के दौरान पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मारी गई। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है।’ (साथ में एजेंसियां)