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SCO बैठक में जयशंकर ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का उठाया मुद्दा, चीन के रुख पर भी जताई नाराजगी

भारत ने एससीओ मंच पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर किया और आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई की मांग करते हुए पहलगाम हमले को वैश्विक चिंता बताया।

Last Updated- July 15, 2025 | 11:08 PM IST
Dr. S. Jaishankar
शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर

शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को आतंकवाद और चरमपंथ से मुकाबला करने के अपने संस्थापक उद्देश्य के प्रति सच्चा रहने और चुनौतियों से मुकाबला करने पर दृढ़ रुख अपनाना चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को समूह के एक सम्मेलन में यह बात कही। इस दौरान उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया को पूरी तरह जायज ठहराया।

विदेश मंत्री की टिप्पणियों में एससीओ से आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए दृढ़ रुख अपनाने का आह्वान किया गया है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद को पेइचिंग के मौन समर्थन के साथ-साथ चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को सूची में डालने के प्रयासों में रोड़ा अटकाने से केंद्र सरकार से नाखुश है।

पाकिस्तान, चीन और अन्य एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की मौजूदगी में जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला जानबूझ कर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और देश में धार्मिक विभाजन के बीज बोने के लिए किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत दृढ़ता से आतंकवाद का सामना करेगा। इस चीनी शहर में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर ने कहा कि भारत नई विचारधाराओं और प्रस्तावों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण जारी रखेगा। यह सहयोग पारस्परिक सम्मान, समान संप्रभुता और सदस्य राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के अनुसार होना चाहिए।

यह टिप्पणी चीन की मेगा सड़क परियोजना- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की बढ़ती वैश्विक आलोचना के बीच आई है, जिसमें इस परियोजना को राष्ट्रों की संप्रभुता के प्रति अनादर और पारदर्शिता की कमी की बात कही गई है। विदेश मंत्री की टिप्पणियों में एससीओ से आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए दृढ़ रुख अपनाने का आह्वान किया गया है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद को पेइचिंग के मौन समर्थन के साथ-साथ चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को सूची में डालने के प्रयासों में रोड़ा अटकाने से केंद्र सरकार से नाखुश है।

अपने संबोधन में जयशंकर ने तनाव, प्रतिस्पर्धा और जबरदस्ती की नीति के साथ-साथ आर्थिक अस्थिरता पर भी चिंता व्यक्त की और वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने और उन दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो सामूहिक हितों को खतरे में डालती हैं। विदेश मंत्री के संबोधन का मुख्य ध्यान आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के उनके आह्वान पर था। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हमले की निंदा की और इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को पकड़ने एवं उन्हें न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने ठीक यही किया है और वह ऐसा करना जारी रखेगा।

जयशंकर ने कहा, ‘एससीओ की स्थापना जिन तीन बुराइयों से लड़ने के लिए की गई थी, वे थीं आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ। आश्चर्य नहीं कि वे अक्सर एक साथ होते हैं। हाल ही में हमने भारत में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका ज्वलंत उदाहरण देखा है।’ विदेश मंत्री ने स्टार्टअप और नवाचार से लेकर पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक विभिन्न क्षेत्रों में एससीओ में भारत की पहलों को भी सामने रखा।

विदेश मंत्री ने समूह से अफगानिस्तान को विकास सहायता बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान लंबे समय से एससीओ के एजेंडे में है। क्षेत्रीय स्थिरता की अनिवार्यताएं अफगान लोगों की भलाई के लिए हमारी दीर्घकालिक चिंता से समर्थित हैं। इसलिए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से एससीओ सदस्यों को विकास सहायता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। भारत अपनी ओर से निश्चित रूप से ऐसा करेगा।’जयशंकर ने एससीओ सदस्य राष्ट्रों के बीच पारगमन सुविधाओं के साथ-साथ संपर्क मार्गों में सुधार का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एससीओ के भीतर सहयोग बढ़ाने के लिए स्वाभाविक रूप से अधिक व्यापार, निवेश और आदान-प्रदान की आवश्यकता होती है। 

First Published - July 15, 2025 | 11:04 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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