प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की सामरिक साझेदारी साझा ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित है तथा यह समूह शुरू से ही भारत की ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी का मूल केंद्र रहा है। मोदी 17वें आसियान-भारत शिखर बैठक को संबोधित कर रहे थे। वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन जुआन फुक के साथ मोदी इस बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं। अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘भारत और आसियान के बीच आर्थिक, सामाजिक, डिजिटल, वित्तीय और समुद्री हर प्रकार के संपर्क को बढ़ाना हमारे लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है। पिछले कुछ सालों में हम इन सभी क्षेत्रों में कऱीब आते गए हैं।’
आसियान के सदस्यों में इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, ब्रूनेई और लाओस है। विवादित दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक रवैये के बीच इस शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है। दक्षिण चीन सागर में आसियान के कई देशों के साथ चीन का विवाद चल रहा है।
मोदी ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल और आसियान के हिंद-प्रशांत पर दृष्टिकोण के बीच कई समानताएं हैं। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत से ही आसियान समूह हमारी ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी का मूल केंद्र रहा है। भारत और आसियान की रणनीतिक भागीदारी हमारी साझा ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित है।’ यह सम्मेलन गुरुवार को कोविड-19 महामारी की वजह से ऑनलाइन माध्यम के जरिये शुरू हुआ जिसके शुरुआती सत्र में वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन जुआन फुक ने सदस्य देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर चर्चा की। फुक ने करीब 200 वियतनामी अधिकारियों और विदेशी राजनयिकों के समक्ष कहा, इस साल शांति और सुरक्षा अधिक खतरे का सामना कर रही है क्योंकि देश और प्रमुख प्रतिद्वंद्वी ताकत के अपूर्वानुमेय व्यवहार का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह तनाव अंतरराष्ट्रीय बहुस्तरीय व्यवस्था के लिए खतरा है, गैर पारंपरिक सुरक्षा मुद्दा और कट्टरपंथ का उदय भी चुनौती है। बैठक में चीन, दक्षिण कोरिया और भारत के नेताओं के साथ अलग से सम्मेलन का कार्यक्रम है। आसियान के नेताओं का जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदो सुगा के साथ भी यह पहला सम्मेलन होगा।
आसियान के साल में दो बार होने वाले सम्मेलन में इस साल वियतनाम अध्यक्ष है और उम्मीद की जा रही है कि इस सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर विवाद, कोरोनावायरस महामारी और कारोबार सहित विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कोविड-19 की समस्या इतनी विकट है कि इसकी वजह से कंबोडिया का प्रतिनिधित्व वहां के उप प्रधानमंत्री कर रहे हैं क्योंकि देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हुन सेन संक्रमित मंत्री के संपर्क में आने की वजह से क्वारंटीन हैं।
टीके तक सबकी पहुंच
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने कोविड-19 महामारी को 2020 की निर्णायक चुनौती बताते हुए कहा कि टीका उपलब्ध होने पर आसियान देशों को अपने लोगों तक इसकी निर्बाध, तेजी से और किफायती स्तर पर पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। आसियान के डिजिटल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए ली ने प्रत्येक व्यक्ति तक टीका की पहुंच का आह्वान किया और महामारी के दूरगामी असर को कम करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिंगापुर कोविड-19 टीका को लेकर वैश्विक पहल का समर्थन करता है, जिसके सदस्यों में आसियान के देश भी शामिल हैं। अपने संबोधन के दौरान ली ने कोविड-19 आसियान कार्रवाई कोष के लिए सिंगापुर की तरफ से एक लाख डॉलर का योगदान देने की घोषणा की।
