दिल्ली विश्वविद्यालय में आजकल छात्रसंघ चुनाव को लेकर हलचल का माहौल है। नॉर्थ कैंपस में सड़कें पैम्फलेट से पटी पड़ी हैं और दीवारों पर हर तरफ होर्डिंग ही होर्डिंग दिखाई दे रहे हैं। छात्रसंघ के शुक्रवार को होने वाले मतदान के लिए छात्र नेता अपनी-अपनी रणनीति पर काम रहे हैं। सभी दलों के उम्मीदवार अपने घोषणा पत्र और परिसर में छात्रों के समक्ष पेश आने वाली दिक्कतों पर चर्चा कर रहे हैं।
इन सबके बीच हिंदू कॉलेज में अलग ही खुशी का माहौल है और छात्र चुनाव से पहले ही अपनी जीत के एहसास से फूले नहीं समा रहे हैं। ऐसा हो भी क्यों नहीं, विश्वविद्यालय परिसर से दूर और यहां तक कि देश की सीमाओं से भी परे कॉलेज की एक पूर्व छात्रा हरिणी अमरसूर्या ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ जो ली है।
अमरसूर्या ने वर्ष 1994 में हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक किया था। आज भी उनके बैचमेट और प्रोफेसर उन्हें एक बेहद अनुशासित छात्रा के तौर पर याद करते हैं। वह बहुत अधिक तेजतर्रार तो नहीं थीं, लेकिन भीड़ में खो जाने वाली लड़की भी नहीं थीं।
अमरसूर्या को पढ़ाने वाली समाजशास्त्र की प्रोफेसर अचला टंडन कहती हैं, ‘अमरसूर्या के व्यक्तित्व में अलग तरह का आकर्षण था। वह निश्चित रूप से टॉपर श्रेणी की छात्रा थीं, लेकिन उन्होंने खुद को केवल अकादमिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रखा।’
प्रो. टंडन याद करते हुए कहती हैं कि जिस समय अमरसूर्या यहां हिंदू कॉलेज में पढ़ती थीं, उस दौरान उनका देश श्रीलंका कई तरह की समस्याओं और चुनौतियों से घिरा था और संभवत: यही कारण था कि अमरसूर्या पढ़ने के लिए भारत आई थीं।
प्रो. टंडन बताती हैं, ‘भले ही वह विदेशी छात्रा थीं और यहां यूनिवर्सिटी कैंपस के लिए अनजान चेहरा थीं, लेकिन उनमें अलग ही आत्मविश्वास झलकता था। संभवत: यह उनके व्यक्तित्व का ही हिस्सा था, जैसा कि अन्य श्रीलंकाई छात्रों में भी दिखता था।’
हिंदू कॉलेज में अमरसूर्या के साथ पढ़े फिल्म निर्देशक नलिन सिंह कहते हैं, ‘वह सभी संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करती थीं। हमें मालूम था कि वह विदेशी छात्रा हैं, लेकिन उनके दोस्तों का अलग सर्किल था। वह कॉलेज की राजनीति से हमेशा दूर ही रहीं।’
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र इस समय छात्र संघ चुनाव में व्यस्त हैं और पड़ोसी देश में बदलते घटनाक्रम से अनजान या कहें बेफिक्र हैं। हां, हिंदू कॉलेज पूर्व छात्र संघ अपने साथी की इस सफलता पर खुशी मना रहा है। सिंह कहते हैं कि जब से यह खबर आई कि उनकी साथी अमरसूर्या श्रीलंका की प्रधानमंत्री बन गई हैं, हिंदू कॉलेज एलुमनाई के व्हाट्सऐप ग्रुप में तेज हलचल है। लोग लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं और खुशी का इजहार कर रहे हैं।
हिंदू कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि बर्मन कहते हैं, ‘ऐसा पहली बार है जब उनके बीच से कोई साथी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक रूप से इतने शीर्ष पद पर काबिज हुआ है।’ रवि कहते हैं कि एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जब भी अमरसूर्या भारत के दौरे पर आएं तो उन्हें ‘विशिष्ट पूर्व छात्र सम्मान’ देने का मौका दिया जाए।
बर्मन कहते हैं, ‘हिंदू कॉलेज में संसद की शानदार व्यवस्था है। हम प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के साथ मिलकर चलते हैं। इससे छात्रों में सार्वजनिक जीवन में व्यवहार करने का कौशल विकसित होता है। अमरसूर्या की यह राजनीतिक उपलब्धि निश्चित रूप से डीयू के अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।’ पूर्व छात्रसंघ का मानना है कि दिल्ली का कनेक्शन होने के चलते अमरसूर्या भारत-श्रीलंका के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
प्रो. टंडन का मानना है कि अपनी एक पूर्व छात्रा के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने से निश्चित रूप से भारत में समाजशास्त्र को लेकर धारणा बदलेगी और यह विषय छात्रों का ध्यान अपनी ओर खींचेंगा। वह कहती हैं, ‘आज कुछ ही कॉलेजों में समाजशास्त्र पढ़ाया जाता है और ऐसे बहुत कम ही राजनेता हैं, जिन्होंने समाजशास्त्र में पढ़ाई की है। अमरसूर्या बहुत ही होनहार छात्रा रहीं और पीएचडी धारक का प्रधानमंत्री जैसे पद पर पहुंचना मायने रखता है। अन्य छात्रों को उनकी उपलिब्ध के बारे में पता चलना चाहिए।’