facebookmetapixel
Delhi Weather Update: दिल्लीवासियों के लिए खतरनाक हवा, AQI अभी भी गंभीर स्तर परLadki Bahin Yojana: इस राज्य की महिलाओं के लिए अलर्ट! 18 नवंबर तक कराएं e-KYC, तभी मिलेंगे हर महीने ₹1500ट्रेडिंग नियम तोड़ने पर पूर्व फेड गवर्नर Adriana Kugler ने दिया इस्तीफाNPS में शामिल होने का नया नियम: अब कॉर्पोरेट पेंशन के विकल्प के लिए आपसी सहमति जरूरीएशिया-पैसिफिक में 19,560 नए विमानों की मांग, इसमें भारत-चीन की बड़ी भूमिका: एयरबसअमेरिकी टैरिफ के 50% होने के बाद भारतीय खिलौना निर्यातकों पर बढ़ा दबाव, नए ऑर्डरों की थमी रफ्तारसुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने किया साफ: आधार सिर्फ पहचान के लिए है, नागरिकता साबित करने के लिए नहींBihar चुनाव के बाद लालू परिवार में भूचाल, बेटी रोहिणी ने राजनीति और परिवार दोनों को कहा ‘अलविदा’1250% का तगड़ा डिविडेंड! अंडरवियर बनाने वाली कंपनी ने निवेशकों पर लुटाया प्यार, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते₹4 करोड़ कम, लेकिन RR चुना! जानिए क्यों Jadeja ने CSK को कहा अलविदा

भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया बयान, देश को बचे मुद्दों के समाधान की उम्मीद

भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध चल रहा है और अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है।

Last Updated- May 12, 2024 | 7:36 PM IST
India's Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar

India China Conflict: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी सैन्य गतिरोध के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत, चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद करता है और इस बात पर जोर दिया कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों की बहाली सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और सौहार्द पर निर्भर करती है।

जयशंकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि बाकी मुद्दे मुख्य रूप से “गश्ती अधिकार” और “गश्ती क्षमता” से संबंधित हैं।

विशेष रूप से यह पूछे जाने पर कि न्यूजवीक पत्रिका को पिछले माह दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में विवाद के समाधान की उम्मीद कब तक की जा सकती है, जयशंकर ने कहा कि उन्होंने (मोदी ने) इस मामले पर केवल एक ‘व्यापक’ दृष्टिकोण साझा किया है।

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि बचे हुए मुद्दों का समाधान हो जाएगा। ये मुद्दे मुख्य रूप से वहां गश्त करने के अधिकार और गश्त करने की क्षमताओं से संबंधित हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं इसे प्रधानमंत्री के साक्षात्कार से नहीं जोड़ूंगा। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री एक बड़ी तस्वीर वाला दृष्टिकोण पेश कर रहे थे और उनका यह दृष्टिकोण बहुत ही उचित था, क्योंकि आखिरकार हर देश अपने पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध चाहता है।’’

जयशंकर ने कहा, ”लेकिन आज चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं हैं, क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग हो गई है। इसलिए वह (प्रधानमंत्री) उम्मीद जता रहे थे कि चीनी पक्ष को यह एहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके भी हित में नहीं है।”

मोदी ने कहा था कि सीमा की स्थिति का तत्काल समाधान किये जाने की जरूरत है और भारत तथा चीन के बीच स्थिर एवं शांतिपूर्ण संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जयशंकर ने गुरुवार को साक्षात्कार के दौरान कहा, “मैं कहूंगा कि अगर संबंधों को सामान्य बनाना है तो हमें उन मुद्दों को हल करने की जरूरत है।”

भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध चल रहा है और अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है। भारत लगातार यह कहता रहा है कि संबंधों को सामान्य बनाने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और सौहार्द महत्वपूर्ण है। यह पूछे जाने पर कि चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा क्यों बढ़ रही है, जबकि भारत सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि सीमा पर स्थिति असामान्य होने पर संबंध सामान्य नहीं हो सकते, जयशंकर ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि 2014 से पहले विनिर्माण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था।

उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि यह सामान्य ज्ञान है कि अगर सीमा पर शांति और सौहार्द नहीं है तो आप सामान्य संबंध कैसे रख सकते हैं।”

जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी खराब हुए हैं। यह दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता में भारतीय वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने पर जोर देते रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सप्ताह पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत अच्छी चल रही है और उन्हें लंबे समय से चले आ रहे विवाद के समाधान की उम्मीद है। गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत मुख्य रूप से चीन के साथ सीमा पर अपनी समग्र सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सेना ने झड़पों के बाद सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सहित लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती काफी बढ़ा दी है।

First Published - May 12, 2024 | 7:36 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट