चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंता के बीच भारत ने मंगलवार को कहा कि वह नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान तथा विवादों के शांतिपूर्ण हल के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टोक्यो में क्वाड समूह की मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा कि हिंद-प्रशांत में वैध और महत्त्वपूर्ण हितों वाले सभी देशों के आर्थिक व सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाना प्रमुख प्राथमिकता है।
क्वाड चार देशों का समूह है जिसमें अमेरिका और भारत के अलावा आस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं। क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामता को लेकर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में हो रही है। इस बैठक में जयशंकर के अलावा जापानी विदेश मंत्री तोशीमित्सु मोतेगी, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीस पैने और अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी हिस्सा ले रहे हैं।
चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बन रही स्थिति पिछले कुछ सालों में प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गई है। अमेरिका, चीन की गतिविधियों पर काबू के लिए क्वाड को सुरक्षा ढांचा बनाने का पक्षधर रहा है। जयशंकर ने हिंद-प्रशांत महासागर के बारे में की गई पहल का भी जिक्र किया जो पिछले साल पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा पेश की गई थी। क्वाड के चार देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक पिछले साल सितंबर में न्यूयार्क में हुई थी।
चीन की ताकत पर चर्चा
जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने अमेरिका और अन्य राजनयिकों के साथ एक मुलाकात में कहा कि चीन की बढ़ती हठधर्मिता को रोकने के लिए उनकी पहल मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत (एफओआईपी), कोरोनावायरस महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बीच अब पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। सुगा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय महामारी के समाधान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसलिए अब यही समय है जब हमें अपने नजरिये से इत्तेफाक रखने वाले ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ अपने समन्वय को और बढ़ाना चाहिए।
इससे पहले पोम्पिओ ने ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात की और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अपनी चिंता जाहिर की और साथ ही इन चिंताओं को साझा करने वाले देशों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया।
