अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने मंगलवार को एक आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को 25 फीसदी से दोगुना करके 50 फीसदी कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी आज से ही लागू हो गई है। यह कदम घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बूस्ट देने की कोशिशों के अंतर्गत उठाया गया है। इसको लेकर ट्रंप प्रशासन ने पहले ही अपना रुख साफ कर दिया था। मार्च के बाद से इन मेटल्स पर यह दूसरी टैरिफ बढ़ोतरी है, जो ऑटोमोबाइल से लेकर डिब्बाबंद सामान तक की इंडस्ट्री में इनपुट पर असर डालती है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, आदेश में कहा गया है कि पहले जितना टैरिफ लगाया जा रहा था, वह घरेलू इंडस्ट्री को लॉन्ग टर्म वायबिलिटी के लिए आवश्यक उत्पादन क्षमता और उपयोग दरों को हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं था। और न ही अनुमानित नेशनल डिफेंस जरूरतों को पूरा किया था।
व्हाइट हाउस की ओर से एक्स पर पोस्ट किए गए आदेश में कहा गया है कि मौजूदा टैरिफ बढ़ाने से घरेलू उद्योगों को मजबूत समर्थन मिलेगा और स्टील, एल्यूमीनियम और संबंधित उत्पादों के आयात से पैदा हुए राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे को कम करने या खत्म करने में मदद मिलेगी।
President Trump just signed a proclamation raising tariffs on steel and aluminum imports by 50% to protect U.S. steel and national security.🇺🇸
THE GOLDEN AGE IS HERE! pic.twitter.com/TP32u0M4dR
— The White House (@WhiteHouse) June 3, 2025
हालांकि, यूके से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ मौजूदा 25 फीसदी के स्तर पर ही रहेगा, जिससे दोनों देशों को 9 जुलाई की समय सीमा तक नए लेवी या कोटा को अंतिम रूप देने के लिए समय मिल जाएगा। जबकि पिछले महीने स्टील पर व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए एक ढांचे पर सहमति हुई थी, लेकिन दोनों पक्षों को अभी तक ब्रिटिश स्टील के लिए राहत की सीमा तय करनी है, और यह सौदा अभी तक लागू नहीं हुआ है।
यूके के लिए छूट ब्रिटिश सरकार की ओर से यह पुष्टि करने के कुछ घंटों बाद आई कि दोनों देश टैरिफ राहत समझौते को तेजी से लागू करने की आवश्यकता पर सहमत हो गए हैं।
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ट्रंप के इस कदम से ट्रेड टेंशन बढ़ गया है क्योंकि अमेरिका 9 जुलाई की समय सीमा से पहले अपने प्रस्तावित “जवाबी” टैरिफ पर कई व्यापारिक भागीदारों के साथ बातचीत में लगा हुआ है। इस तरह के टैरिफ को एकतरफा लगाने के उनके अधिकार को कानूनी जांच का सामना करना पड़ रहा है। खासकर तब जब एक फेडरल कोर्ट ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन इकनॉमिक पॉवर्स एक्ट के अंतर्गत लागू किए गए कई अन्य शुल्कों को रद्द कर दिया था। हालांकि, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टील और एल्यूमीनियम शुल्क अप्रभावित हैं, क्योंकि वे एक अलग कानूनी प्राधिकरण के अंतर्गत लगाए गए थे।
प्रेसिडेंट ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह शुल्क बढ़ाने और देशों पर बातचीत की मेज पर रियायतें देने के लिए दबाव डालने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पिछले शुक्रवार को अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप ने पेन्सिलवेनिया स्थित यूनाइटेड स्टेट्स स्टील कॉरपोरेशन के प्लांट में भाषण के दौरान स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने जापान की निप्पॉन स्टील को कंपनी की बिक्री का समर्थन करते हुए कहा कि यह कुछ हद तक अमेरिकी निगरानी में रहेगी।
स्टील कर्मचारियों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “इसका मतलब है कि अब कोई भी आपकी इंडस्ट्री नहीं चुरा सकेगा। 25 फीसदी पर वे उस बाड़ को पार कर सकते हैं, लेकिन 50 फीसदी पर अब वे उसे पार नहीं कर पाएंगे।” बाद में ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पुष्टि की कि एल्यूमीनियम पर भी टैरिफ बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाएगा।
आलोचकों का कहना है कि स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ 50 फीसदी करने से विदेशी उत्पादकों पर असर पड़ेगा, और व्यापारिक साझेदार जवाबी कदम उठा सकते हैं। इससे अमेरिका के निर्माताओं और उपभोक्ताओं पर भी लागत का बोझ बढ़ेगा, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार तनाव फिर से उभर रहा है।