भारत और श्रीलंका ने दोनों देशों के बीच एक बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन और एक भूमि पुल कनेक्टिविटी परियोजना स्थापित करने की व्यवहार्यता को लेकर प्रारंभिक अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही अगले 2-3 महीनों के भीतर श्रीलंका में यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान शुरू करने का भी फैसला किया है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत यात्रा पर हैं और शुक्रवार को की गई ये घोषणाएं, भारत-श्रीलंका आर्थिक साझेदारी के तहत की जाने वाली पहलों की लंबी सूची का हिस्सा हैं। इस नई साझेदारी में कनेक्टिविटी को एक प्रमुख विषय मान कर जोर दिया गया है जिसका मकसद ‘त्रिंकोमाली और कोलंबो के बंदरगाहों तक जमीनी पहुंच विकसित करने के लिए श्रीलंका और भारत के बीच भूमि संपर्क स्थापित करना’ है।
इसकी मदद से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो, पूर्वी तट पर त्रिंकोमाली और देश के तमिल बहुल उत्तरी जाफना प्रायद्वीप में कांकेसनथुरई में बंदरगाहों और लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे के विकास को भी आगे बढ़ाया जाएगा। तमिलनाडु में नागपट्टिनम और रामेश्वरम से क्रमश: श्रीलंका में कांकेसनतुरई और तलाईमन्नार के बीच नौका यात्रियों को लाने-ले जाने से जुड़ी सेवाएं भी जल्द ही बहाल होंगी। इस कदम से अधिक भारतीय पर्यटकों को लुभाने की श्रीलंका की योजना को भी बढ़ावा मिलेगा जहां आने वाले विदेशियों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारतीय पर्यटकों की है।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और श्रीलंका के नैशनल पेमेंट नेटवर्क के परिचालक, लंकापे के बीच यूपीआई आधारित, डिजिटल भुगतान शुरू करने के समझौते से पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘यह अनिवार्य रूप से दोनों देशों के बीच भुगतान तंत्र को आसान बनाएगा।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने भारतीय मूल के तमिल समुदाय पर केंद्रित एक विकास पैकेज लागू करने का इरादा किया है क्योंकि वर्ष 2023 में श्रीलंका में उनके आगमन की 200वीं वर्षगांठ है। उन्होंने श्रीलंका के मुस्लिम और तमिल बहुल पूर्वी प्रांत के आर्थिक विकास में मदद के लिए अलग से एक बहुक्षेत्रीय पैकेज की भी घोषणा की।
साझेदारी दस्तावेज में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा के विकास में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन से श्रीलंका को 2030 तक अपतटीय पवन और सौर ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा से 70 प्रतिशत बिजली पैदा करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में यह सक्षम बनाने के लिए तैयार है। राष्ट्रों ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया में सहयोग की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी।
तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच एक पाइपलाइन की स्थापना के प्रस्ताव से श्रीलंका को किफायती ईंधन की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित होने की उम्मीद बढ़ेगी। प्रसंस्कृत पेट्रोलियम निर्यात (वित्त वर्ष 2023 में 1.78 अरब डॉलर), देश में भारत के 5.1 अरब डॉलर के निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा है। हाल के वर्षों में पेट्रोलियम निर्यात बढ़ा है जो 2019-20 के 55.1 करोड़ डॉलर से बढ़ रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने पड़ोसी देशों के साथ ईंधन पाइपलाइनों के निर्माण को प्राथमिकता दी है। वर्ष 2019 में बिहार के बरौनी से नेपाल के अमलेखगंज तक 69 किलोमीटर लंबी तेल पाइपलाइन खोली गई थी। इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के पार्वतीपुर शहर के बीच 130 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (आईबीएफपीएल) की शुरुआत की गई।
दोनों देशों ने श्रीलंका के अपतटीय बेसिन में हाइड्रोकार्बन का संयुक्त रूप से पता लगाने और उत्पादन करने पर सहमति जताई है। इससे भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और प्राकृतिक गैस निगम की विदेशी इकाई, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) के लिए 900 अपतटीय ब्लॉक के लिए दो साल के तेल और गैस अन्वेषण लाइसेंस हासिल करने का रास्ता साफ हो सकता है।