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पवन ऊर्जा उपकरणों पर शुल्क की मांग

Last Updated- December 12, 2022 | 6:12 AM IST

अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रशासन (आईटीए) ने भारत के पवन ऊर्जा उपकरण विनिर्माताओं पर प्रतिकारी शुल्क लगाने की सिफारिश की है।
ये हालिया कदम ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान वहां के स्थानीय अक्षय ऊर्जा उद्योगों को संरक्षण देने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत और अमेरिका के बीच की लड़ाई की याद दिलाते हैं।
अब जबकि जो बाइडन के नेतृत्व में डेमोक्रेटिक पार्टी दोबारा से सत्ता में है तब अमेरिका की स्वच्छ ऊर्जा लॉबी दोबारा से सक्रिय हो गई है।
वाणिज्य विभाग के नोटिस में कहा गया है, ‘वाणिज्य विभाग प्राथमिक तौर यह निर्धारित करता है कि भारत से उपयोगिता पैमाने वाले पवन टावरों के उत्पादाकों और निर्यातकों को जवाबी छूट दी जा रही है। इस जांच की अवधि 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 तक की है।’
पिछले वर्ष नवंबर में अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भारत से आने वाले उपयोगिता पैमाने के पवन टावरों के प्रतिकारी शुल्क की जांच आरंभ करने बात को प्रकाश में लाया था। फरवरी, 2021 में नौ अतिरिक्त नए छूट आरोप दर्ज किए गए और वाणिज्य विभाग ने चर्चित आठ कार्यक्रमों पर जांच शुरू करने की सिफारिश की।  
जांच के अंतर्गत शामिल भारत के सरकारी कार्यक्रमों में प्रमुखता वाले क्षेत्र को उधारी कार्यक्रम, रियायती सीमा शूल्क छूट प्रमाणपत्र और पूंजीगत माल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा की वृद्घि: तकनीकी अधिग्रहण फंड कार्यक्रम हैं।
गुजरात औद्योगिक नीति के तहत उद्योग को दिए जाने वाला प्रोत्साहन भी जांच के दायरे में है।
अमेरिकी अंतराष्ट्रीय व्यापार प्रशासन ने कहा, ‘इस जांच के तहत जिन व्यापारिक वस्तुओं को शामिल किया गया है उनमें कुछ निश्चित पवन टावर जो टेपरित किए गए हों अथवा नहीं और उनके खंड हैं। कुछ विशिष्ट पवन टावर न्यूनतम रेटिंग वाली इलेक्ट्रिकल विद्युत उत्पादन क्षमता के साथ पवन टरबाइन में निलय और रोटर पंखों को सहयोग प्रदान करते हैं। यह 100 किलोवाट के अतिरिक्त होता है और पूरी तरह से संकलित किए जाने पर टावर के आधार से निलय के आधार तक मापने पर न्यूनतम 50 मीटर की ऊंचाई के साथ होता है।’
वेस्ट्स विंड टेक्रोलॉजी इंडिया एक मात्रा ऐसा निर्यातक/उत्पादक है जिसका परीक्षण इस जांच में किया गया है। वाणिज्यि विभाग ने प्राथमिक तौर पर 3.74 फीसदी की छूट निर्धारित की है।
उसने नायक्स ब्रास ऐंड आयरन वक्र्स, नोर्डेक्स इंडिया, प्रोमादा हिंदुस्तान, सुजलॉन एनर्जी, विनायक एनर्जी टेक, विश एनर्जी सॉल्यूशंस और जीको इंडिया के खिलाफ उपलब्ध प्रतिकूल तथ्यों के आधार पर 397.16 फीसदी छूट दर का अनुमान लगाया है।
अमेरिकी सरकार द्वारा दिखाया जा रहा यह आक्रामक रुख अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की पिछली सरकार में नजर आई रुख के समान है। डब्ल्यूटीओ में भारत को सरकारी निविदाओं में घरेलू सामग्री जरूरत नियम के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी। अमेरिका ने तब आरोप लगाया था कि भारतीय निविदाओं में भारत के सौर ऊर्जा स्थापना कार्यक्रमों में भागीदारी करने के इच्छुक अमेरिकी कारोबारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। भारत 2016 में डब्लयूटीओ में यह मामला हार गया था।

First Published - April 6, 2021 | 11:45 PM IST

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