भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की छूट खत्म करने के फैसले के असर की जांच कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत इस मामले को गंभीरता से देख रहा है और इसके भारत पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन कर रहा है। यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उस ऐलान के दो दिन बाद आया है, जिसमें उसने 2018 में चाबहार बंदरगाह के लिए दी गई प्रतिबंधों की छूट को रद्द करने की बात कही थी।
चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह बंदरगाह ओमान की खाड़ी में स्थित है और भारत ने मई 2024 में इसके एक टर्मिनल को संचालित करने के लिए 10 साल का अनुबंध किया था। इस प्रोजेक्ट का मकसद भारत के सामान को मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंचाना है, वो भी पाकिस्तान को बायपास करके। यह योजना 2003 में पहली बार सामने आई थी और इसे अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के जरिए लागू किया जा रहा है।
अमेरिका ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ‘अधिकतम दबाव’ नीति के तहत ईरान को अलग-थलग करने के लिए यह कदम उठाया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि 29 सितंबर, 2025 से यह फैसला लागू हो जाएगा। इसके बाद चाबहार बंदरगाह से जुड़ी गतिविधियों में शामिल लोग या संस्थाएं अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर सकती हैं। इस फैसले ने भारत को मुश्किल में डाल दिया है, क्योंकि चाबहार भारत की क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी रणनीति का अहम हिस्सा है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते पर भी टिप्पणी की। इस समझौते में कहा गया है कि एक देश पर हमला होने को दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। जायसवाल ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी है, जो हाल के वर्षों में और मजबूत हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह साझेदारी दोनों देशों के हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखेगी। यह समझौता भारत की रक्षा नीति और सऊदी अरब के साथ बढ़ते रक्षा संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत पर भी जायसवाल ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) के सहायक ब्रेंडन लिंच और भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के बीच हुई बातचीत सकारात्मक और भविष्योन्मुखी रही। दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रयास तेज करने का फैसला किया।
जुलाई 2025 तक भारत और अमेरिका के बीच पांच दौर की व्यापार वार्ता हो चुकी है। छठा दौर 25 अगस्त को नई दिल्ली में होने वाला था, लेकिन अमेरिका द्वारा अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा के बाद इसे रद्द कर दिया गया। वार्ता में सबसे बड़ा अड़ंगा अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों, खासकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फसलों को भारत में प्रवेश की अनुमति को लेकर था। हालांकि, हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने अब अपना रुख नरम कर लिया है। वह भारत में प्रीमियम चीज के निर्यात में दिलचस्पी दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर दूध के बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का इरादा नहीं रखता, जो भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा है।
नेपाल में हाल ही में बनी सुशीला कार्की की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के बारे में बात करते हुए जायसवाल ने कहा कि भारत इस नए नेतृत्व का स्वागत करता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पीएम कार्की से फोन पर बात की और नेपाल में शांति व स्थिरता बहाल करने के उनके प्रयासों को भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
नेपाल हाल ही में हिंसक विरोध प्रदर्शनों से जूझ रहा था, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। इन प्रदर्शनों में जनरेशन-जेड के नेतृत्व में सांसदों के घरों, संसद भवन, कार्यालयों और व्यवसायों में आगजनी हुई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम नेता चुना, जिन्होंने 12 सितंबर को पदभार संभाला। जायसवाल ने कहा कि एक करीबी पड़ोसी, लोकतांत्रिक देश और लंबे समय से विकास साझेदार के रूप में, भारत नेपाल के लोगों और देश की भलाई के लिए मिलकर काम करता रहेगा।