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इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण पर विशेष टैरिफ लगाने का कारण अमेरिका के वाणिज्य विभाग की सेक्शन 232

सेक्शन 232 के अनुसार, राष्ट्रपति को ऐसे आयात पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- August 01, 2025 | 11:08 PM IST

इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण पर विशेष टैरिफ लगाने का कारण अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा सेक्शन 232 के तहत की गई जांच की एक अहम शर्त है जिसमें भारत के लिए सर्वर, लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) के अलावा  मुख्य रूप से मोबाइल उपकरण शामिल हैं। अमेरिका के वाणिज्य विभाग के ट्रेड एक्सपैंशन ऐक्ट 1962 के सेक्शन 232 के अनुसार, राष्ट्रपति को ऐसे आयात पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। वाणिज्य विभाग, संभावित खतरों की जांच करता है और अगर कोई खतरा पाया जाता है तब राष्ट्रपति टैरिफ या अन्य व्यापार प्रतिबंध लगा सकते हैं।

इस कानून की उपधारा 4, भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है जिसमें कहा गया है कि वाणिज्य विभाग ‘अमेरिकी सेमीकंडक्टर के आयात की जांच करेगा, जिसमें डाउनस्ट्रीम उत्पादों (यानी मोबाइल, लैपटॉप आदि) में लगे हुए सेमीकंडक्टर भी शामिल हैं और जिनके स्रोत कम तादाद में हैं और उनसे जुड़े जोखिम क्या हैं। इसी तरह, यह कुछ विदेशी स्रोतों से मिलने वाले, यूनाइटेड एसएमई आयात की भी जांच करेगा।’

वर्तमान में, इन उत्पादों को अमेरिका द्वारा हर टैरिफ से छूट दी गई है, जो 1 अगस्त के बाद भी जारी रहेगी। अंतिम निर्णय 14 अगस्त की समय-सीमा के बाद विभाग द्वारा सेक्शन 232 जांच रिपोर्ट जमा करने के बाद लिया जाएगा।

उद्योग विशेषज्ञ रूढि़वादी तरीके से थोड़े आशावादी हैं कि यह छूट जारी रह सकती है और अगर टैरिफ लगाया भी जाता है तब वह बहुत कम होगा क्योंकि यह पूरे मोबाइल फोन की लागत पर नहीं बल्कि केवल सेमीकंडक्टर के मूल्य पर लगाया जाएगा। मोबाइल से जुड़ी सामग्री के बिल में सेमीकंडक्टर का हिस्सा 25 फीसदी से 40 फीसदी के बीच होता है।

मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फॉर इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी (एमएआईटी) आईटी हार्डवेयर कंपनियों का एक संगठन है और इसका कहना है कि सेक्शन 232 की जांच से टैरिफ की तस्वीर बदल सकती है, लेकिन कोई भी बदलाव धीरे-धीरे होने की उम्मीद है और इसमें प्रमुख आपूर्ति श्रृंखला सेगमेंट के लिए विशेष छूट शामिल हो सकती है।

अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात करने वाले शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि एक चिंता यह है कि अमेरिकी सरकार को टैरिफ में बदलाव के लिए कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं है, भले ही यह एक सार्वजनिक जांच है जिसमें विभिन्न हितधारकों ने अपने विचार दिए हैं। एक वरिष्ठ कार्यकारी कहते हैं, ‘वे बस इतना कहकर टैरिफ लगा सकते हैं कि उन्होंने ऐसा अमेरिका की सुरक्षा की रक्षा के लिए किया है।’

एक चिंताजनक खबर यह है कि क्यूपर्टिनो की ऐपल इंक जो भारत में आईफोन को असेंबल करती है उसने यह पहले ही सुनिश्चित कर लिया है कि उसकी अधिकांश सेमीकंडक्टर जरूरतें गैर-चीनी स्रोतों से पूरी हों।

First Published : August 1, 2025 | 11:01 PM IST