प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
आजकल रियल एस्टेट में निवेश का मतलब सिर्फ बड़े-बड़े प्लॉट या ऑफिस खरीदना नहीं रह गया है। अगर आपके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, तो भी आप कमर्शियल प्रॉपर्टी का हिस्सा बन सकते हैं। जी हां, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी REITs के जरिए ये सब मुमकिन है। सोचिए, आप सिर्फ 150-200 रुपये से शुरू करके बड़े शहरों के ग्रेड-A ऑफिस स्पेस या मॉल्स में हिस्सेदारी ले लें। ये एक तरह का म्यूचुअल फंड जैसा है, लेकिन ये स्टॉक्स या बॉन्ड्स की बजाय किराए वाली प्रॉपर्टी में पैसा लगाता है। भारत में REITs अभी नया-नया ही खेल में उतरा है, लेकिन यह आम आदमी के लिए रियल एस्टेट का दरवाजा खोल रहा है। यह निवेश छोटे निवेशकों को नियमित आय का मौका दे रहा है, वो भी बिना किसी प्रॉपर्टी के झंझट के।
भारत में पहला REIT, एम्बेसी ऑफिस पार्क्स, मार्च 2019 में लॉन्च हुआ था। उसके बाद माइंडस्पेस बिजनेस पार्क्स, ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट और नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट जैसे नाम जुड़े। ज्यादातर REITs ग्रेड-ए ऑफिस बिल्डिंग्स में पैसा लगाते हैं, जहां बड़ी कंपनियां किराए पर जगह लेती हैं। हालांकि, नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट थोड़ा अलग है, ये ज्यादातर शॉपिंग मॉल्स पर फोकस करता है।
बता दें कि पुराने नियमों में REITs में निवेश के लिए कम से कम 50,000 रुपये लगते थे, लेकिन अब SEBI ने इसे आसान बना दिया है। न्यूनतम अप्लाई अमाउंट 10,000-15,000 रुपये कर दिया गया है, और ट्रेडिंग लॉट साइज एक यूनिट का हो गया है। मतलब, स्टॉक मार्केट में एक यूनिट की कीमत 150-200 रुपये के आसपास होती है, तो आप उसी से शुरू कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर कोई REIT यूनिट 200 रुपये की है, तो आप एक ही यूनिट खरीदकर निवेश की शुरुआत कर लें। ये बदलाव छोटे निवेशकों को बाजार में लाने के लिए किया गया है, ताकि लिक्विडिटी बढ़े और ज्यादा लोग हिस्सा लें।
REITs को समझना बिल्कुल आसान है । यह एक ट्रस्ट है जो निवेशकों का पैसा इकट्ठा करके कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदता है। कम से कम 80% पैसा किराए वाली प्रॉपर्टी में लगाना पड़ता है। जैसे, ऑफिस बिल्डिंग्स जहां IT कंपनियां या बैंक किराया देती हैं। ट्रस्ट मैनेजर प्रॉपर्टी का रखरखाव करते हैं, किराया वसूलते हैं और फिर उसकी ज्यादातर कमाई (कम से कम 90%) निवेशकों को डिविडेंड के रूप में बांट देते हैं। ये डिविडेंड तिमाही या छमाही आधार पर मिलता है, जो नियमित आय का अच्छा सोर्स बन जाता है।
भारत में REITs अभी चार ही लिस्टेड हैं, जो कुल 125 मिलियन स्क्वायर फीट ऑफिस और रिटेल स्पेस कवर करते हैं। वेस्टियन की रिपोर्ट कहती है कि देश के 60% ग्रेड-ए ऑफिस स्पेस REITs के लिए तैयार हैं, यानी करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये का स्टॉक। लेकिन मार्केट अभी शुरुआती दौर में है। निवेशक यूनिट्स खरीदते हैं, जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होती हैं। प्राइस बढ़ने पर कैपिटल गेन भी होता है। हालांकि, ये इक्विटी की तरह रिस्की है, अगर मार्केट गिरा तो नुकसान भी हो सकता है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में REITs को पसंद किया जा रहा है क्योंकि ये रेंटल इनकम से स्टेबल कैश फ्लो देते हैं। अल्ट जैसे प्लेटफॉर्म ने हाल ही में पहला PMS लॉन्च किया, जो सिर्फ REITs और InvITs में निवेश करता है। ये रिटेल निवेशकों को इंस्टीट्यूशनल-ग्रेड रियल एस्टेट एक्सेस दे रहा है।
Also Read: SIP: हर महीने ₹2000 निवेश से 5, 10, 15 और 20 साल में कितना बनेगा फंड? देखें कैलकुलेशन
पिछले कुछ महीनों में REITs को लेकर खासी हलचल रही है। जुलाई 2025 में, एम्बेसी ऑफिस पार्क्स REIT ने 2,000 करोड़ रुपये का NCD इश्यू किया, जो भारत का पहला 10-साल का ऐसा बॉन्ड था। ये इश्यू इतना ओवरसब्सक्राइब्ड हुआ कि 11 इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने इसमें हिस्सा लिया। यह इसकी मजबूत बैलेंस शीट को दर्शाता है और कमर्शियल रियल एस्टेट में भरोसा बढ़ाता है। पैसे से पुराना डेट चुकाया जाएगा, जिससे कॉस्ट कम होगी। इसी तरह, नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट जैसे तीन InvITs 43 बिलियन रुपये के कॉर्पोरेट बॉन्ड्स से जुटाने की प्लानिंग में हैं।
SEBI ने हाल ही में REITs और InvITs के लिए नए नियम सुझाए हैं, जैसे IPO में कॉम्बाइंड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स दिखाना। इंडियन REITs एसोसिएशन की सिफारिशों पर ये बदलाव हो रहे हैं। IRDAI भी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए REITs में निवेश लिमिट दोगुनी करने की सोच रही है, ताकि इंफ्रा और रियल एस्टेट में ज्यादा कैपिटल आए। अल्ट के PMS से पता चलता है कि ट्रेडिशनल REITs 5.5-6% यील्ड देते हैं, जबकि इंफ्रा वाले 13-14% तक। कुल मिलाकर, 8-9% यील्ड प्लस कैपिटल ग्रोथ से 12-15% टोटल रिटर्न मिल सकते हैं।
REITs में निवेश शुरू करना स्टॉक खरीदने जितना ही आसान है। सबसे पहले डीमैट अकाउंट खोलें, फिर NSE या BSE पर लिस्टेड REITs देखें – जैसे एम्बेसी, माइंडस्पेस या ब्रुकफील्ड। ब्रोकर ऐप से एक यूनिट खरीद लें। IPO के समय भी आवेदन कर सकते हैं, न्यूनतम 10,000 रुपये से। लेकिन एक REIT पर सब कुछ न लगाएं, दो-तीन में बांटें, ताकि रिस्क कम हो।
रिटर्न के लिहाज से देखें तो एम्बेसी ने लॉन्च से 24%, माइंडस्पेस 18%, ब्रुकफील्ड 6% और नेक्सस 39% दिए हैं। लेकिन ये पास्ट परफॉर्मेंस है, फ्यूचर गारंटी नहीं। किराया बढ़ने, नई लीजिंग या नई प्रॉपर्टी ऐड होने से रिटर्न बढ़ सकते हैं। टैक्स के मामले में डिविडेंड अब स्लैब रेट पर टैक्सेबल है। रिस्क? मार्केट वोलेटाइलिटी, वैकेंसी रेट या इंटरेस्ट रेट बढ़ना। इसलिए, लॉन्ग-टर्म इनवेस्टर्स के लिए सूटेबल है। ज्योग्राफिकल डाइवर्सिफिकेशन देखें – जैसे ब्रुकफील्ड के पास MNCs जैसे एक्सेंचर, बार्कलेज के किराए से 75% इनकम।
अभी SM REITs के नए नियम भी आ रहे हैं, जहां मिनिमम 50 करोड़ रुपये जुटाने पड़ेंगे, कम से कम 200 यूनिट होल्डर्स से। IM का नेट वर्थ 20 करोड़ का होना जरूरी। ये छोटे-मझोले REITs को बढ़ावा देंगे, ताकि ज्यादा प्रॉपर्टीज कवर हों। कुल मिलाकर, REITs रियल एस्टेट को डेमोक्रेटाइज कर रहे हैं।