ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किअर स्टार्मर के साथ प्रधानमंत्री मोदी
इस हफ्ते के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किअर स्टार्मर के बीच होने वाली वार्ता में भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक समझौते (सीईटीए) द्वारा प्रस्तुत अवसरों का जायजा लेंगे। इसपर 24 जुलाई को लंदन में दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
भारत के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि स्टार्मर 8 और 9 अक्टूबर को भारत में रहेंगे और गुरुवार को मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों भारत-ब्रिटेन विजन 2035 की समीक्षा करेंगे, जो व्यापार एवं निवेश, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, रक्षा एवं सुरक्षा, जलवायु एवं ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और जन संबंधों में कार्यक्रमों और पहलों का एक केंद्रित और समयबद्ध 10 वर्षीय रोडमैप है।
भारत का मानना है कि भारत से ब्रिटेन में निर्यात के वास्ते कुछ क्षेत्रों में क्षमता है। इनमें आभूषण और कीमती धातु शामिल हैं, जिनका मौजूदा निर्यात 90.2 करोड़ डॉलर है। इसके अलावा, मशीन एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं (80 करोड़ डॉलर), मोटर यान और पुर्जे (77.5 करोड़ डॉलर), परिधान (61.8 करोड़ डॉलर) और रसायन (48.2 करोडॉ डॉलर) शामिल हैं।
दोनों देशों के प्रधानमंत्री भविष्य की भारत-ब्रिटेन आर्थिक साझेदारी के एक स्तंभ के तौर पर भारत-ब्रिटेन सीईटीए द्वारा प्रस्तुत अवसरों पर कारोबार और उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ बातचीत करेंगे। इसके अलावा, दोनों देशों के प्रधानमंत्री मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में भी शामिल होंगे और भाषण देंगे।
जुलाई में ब्रिटेन की यात्रा के दौरान मोदी ने मुक्त व्यापार समझौते के अलावा दोनों देशों ने दोहरे योगदान सम्मेलन, विजन 2035 दस्तावेज और नए रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर भी हस्ताक्षर किया था। भारत-ब्रिटेन विजन 2035 के प्रमुख स्तंभ में ब्रिटेन और भारत में वृद्धि एवं रोजगार, शिक्षा, कौशल, दुर्लभ खनिजों, सेमीकंडक्टर, रक्षा और सुरक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में साझेदारी शामिल हैं।
दोहरे योगदान सम्मेलन के जरिये ब्रिटेन में अस्थायी रूप से काम कर रहे भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को सामाजिक सुरक्षा योगदान से तीन साल की छूट मिलेगी। इससे 75,000 से ज्यादा श्रमिकों को अपने सालाना वेतन का करीब 25 फीसदी योगदान करने का लाभ मिलने का वादा किया गया है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने कुशल भारतीय पेशेवरों और योग प्रशिक्षकों, संगीतकारों, रसोइयों जैसे स्वतंत्र पेशेवरों के लिए अनुकूल गतिशीलता प्रावधान भी सुनिश्चित किया है। खास बात है कि कार्य प्राधिकरण वाले स्थानांतरित लोगों के आश्रितों को भी लाभ मिलेगा।
भारत के लिए सीईटीए के जरिये ब्रिटेन में अभूतपूर्व बाजार तक पहुंच मिलेगा। यह मूल्य के लिहाज से करीब 99 फीसदी भारतीय निर्यात के लिए ब्रिटेन के बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान सुनिश्चित करता है और इससे कपड़ा, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते-चप्पल, रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों को भी मदद मिलने की उम्मीद है।
इंजीनियरिंग वस्तु, वाहन पुर्जे और इंजन तथा जैविक रसायन जैसे क्षेत्रों को भी बेहतर बाजार पहुंच का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही वित्तीय सेवा, पेशेवर सेवाएं, शिक्षा और अन्य कारोबारी सेवाओं सहित सेवा क्षेत्र को भी लाभ होगा।
इस समझौते के जरिये गैर शुल्क बाधाओं को दूर करने, वस्तुओं एवं सेवाओं के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने और भारतीय निर्यात पर अनुचित प्रतिबंधों को रोकने के लिए तंत्र स्थापित किया गया है। इस व्यापार समझौते के जरिये दोनों देशों के बीच अधिक निवेश भी आकर्षित होंगे, जिससे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
ब्रिटेन को मिलने वाले प्रमुख लाभों में भारत के विशाल और तेजी से बढ़ते बाजार कर पहुंच, व्हिस्की एवं जिन, वाहन, सौंदर्य प्रसाधन, एरोस्पेस के कलपुर्जे, भेड़ के मांस और चिकित्सा उपकरणों पर शुल्क में कमी शामिल हैं। इस समझौते के जरिये सुनिश्चित किया जाएगा कि ब्रिटेन की वित्तीय सेवा कंपनियों के साथ भारत में घरेलू आपूर्तिकर्ताओं के समान व्यवहार किया जाए। करार के अन्य सुझाए गए अतिरिक्त क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, परिवहन, महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी के साथ-साथ दवा क्षेत्र शामिल है।
पिछले साल 2024 में भारत का ब्रिटेन के साथ करीब 56 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार (वस्तु एवं सेवाओं दोनों में) था। इसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से कुल वस्तु व्यापार 23 अरब डॉलर और कुल सेवा व्यापार 33 अरब डॉलर का है। भारत में 2023 में ब्रिटेन को 19.8 अरब डॉलर से अधिक की सेवाओं का निर्यात किया था।
साल 2024-25 में भारत द्वारा ब्रिटेन को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में दूरसंचार, उपकरण, पेट्रोलियम उत्पाद, विद्युत मशीनरी और उपकरण, कपास, सहायक उपकरण और औषधि निर्माण शामिल हैं। 2024-25 में भारत द्वारा ब्रिटेन से आयात की जाने वाली शीर्ष प्रमुख वस्तुओं में चांदी, विद्युत मशीनरी और उपकरण, लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम, एल्युमीनियम के उत्पाद और मादक पेय पदार्थ शामिल थे।
पिछले साल 2024 में ब्रिटेन के शीर्ष पांच निर्यात गंतव्य में अमेरिका (13.9 फीसदी), चीन (9.1 फीसदी), जर्मनी (7.6 फीसदी), नीदरलैंड (6.6 फीसदी) और आयरलैंड (5.7 फीसदी) थे। 2024 में ब्रिटेन के शीर्ष पांच आयात स्रोत चीन (12.1 फीसदी), अमेरिका (11.3 फीसदी), जर्मनी (9.4 फीसदी), फ्रांस (4.8 फीसदी) और इटली (3.9 फीसदी) थे।