अमेरिका भारत को कृषि निर्यात बढ़ाने के अलावा दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में नजदीकी व्यापारिक साझेदारी स्थापित करना चाहता है। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने मंगलवार को ये बातें कही।
भारत- अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित 20वीं भारत अमेरिका आर्थिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गार्सेटी ने कहा कि भारत को निर्यात बढ़ाने की नीति के अंतर्गत अमेरिका अपने यहां से मवेशी को खिलाने वाले चारे का निर्यात करेगा। गार्सेटी ने कहा कि दुग्ध एवं संबंधित क्षेत्र भारत में अब स्थिर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां भारत में गुणवत्ता में और अधिक सुधार ला सकती हैं।
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापारिक समझौता फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। इसका कारण यह है कि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके दुग्ध उत्पाद खरीदे। मगर भारत के लिए ऐसा करना सहज नहीं है।
गार्सेटी ने कहा, दोनों देश आपस में मिल बैठकर अपने व्यापारिक संबंध और अधिक मजबूत एवं संभावनाओं से पूर्ण बनाने की कोशिश करेंगे। हम इससे कम कुछ पर नहीं रुकेंगे। जैसा कि पिछले कुछ महीनों में हुआ है दोनों देशों ने अपने व्यापारिक मतभेद कम किए हैं और एक दूसरे के निर्यात पर शुल्क कम कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। मगर इतने से काम चलने वाला नहीं है।
भारत हमेशा से अपने बाजार विदेशी कृषि उत्पादों के लिए खोलने को लेकर असहज रहा है। इसका कारण यह है कि भारत में श्रम बल का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आश्रित है। हालांकि गार्सेटी की टिप्पणी काफी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि दोनों ही देश ने आयात शुल्क एवं एक दूसरे के बाजारों तक पहुंच से जुड़े विवाद एवं मतभेद कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं और उन्हें काफी हद तक दूर भी किया है।
पिछले साल भारत अमेरिका से पोर्क एवं इसके उत्पाद आयात करने पर सहमत हो गया था। इस संबंध में हुए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत भारत से आम और अनार अमेरिका को निर्यात किए जाएंगे। इस साल के शुरू में भारत ने अमेरिका से आने वाले सेब, काबुली चना, दाल, बादाम और अखरोट पर अपनी जवाबी शुल्क हटा दिए थे।
पिछले सप्ताह भारत अमेरिका से कुछ ताजा एवं प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाकर 5 से 10 प्रतिशत तक करने पर सहमत हो गया था। इस संबंध में नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटोओ) में विवाद निपटान से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ था।
गार्सेटी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच व्यापार के मोर्चे पर मामूली से मामूली विवाद भी दूर होना चाहिए। गार्सेटी ने शुल्कों में और कटौती और एक सरल नियामकीय तंत्र विकसित करने पर जोर दिया।
अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार भारत अमेरिका के कृषि उत्पादों का 13वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। कृषि विभाग के अनुसार अमेरिका 200 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का निर्यात करता है, जिनमें 2.2 अरब डॉलर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात भारत को होता है। इन में बादाम की हिस्सेदारी आधी (1 अरब डॉलर) है और उसके बाद कपास(49.4 करोड़ डॉलर) और एथेनॉल (21.1 करोड़ डॉलर) का स्थान आता है।
अमेरिकी कृषि विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका भारत को सबसे अधिक सोयाबीन तेल का निर्यात करता है। इसके अलावा अमेरिका से काष्ठफल (ट्री नट्स) और एथनॉल के निर्यात के लिहाज से भारत दूसरा और चौथा सबसे बड़ा बाजार है। भारत को कृषि वस्तुओं का निर्यात करने वाला अमेरिका छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है। इंडोनेशिया, मलेशिया, अर्जेंटीना और ब्राजील के बाद भारत अमेरिका के लिए कृषि वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।
अमेरिका और भारत अपने-अपने बाजारों में एक दूसरे की वस्तुओं के पूर्व अनुमोदन के रास्ते भी तलाश रहा है। अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन आयुक्त रॉबर्ट आर कैलिफ पिछले सप्ताह भारत की यात्रा पर आए थे और इस विषय पर उन्होंने भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा की थी।