वैसे तो बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी श्रृंखला में भारत और ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीमों के बीच कांटे की टक्कर दिखी, मगर अहमदाबाद टेस्ट का पांचवां दिन थोड़ा सुस्त चाल से आगे बढ़ रहा था। इस बीच कुछ ऐसा हुआ जिससे सब कुछ तरोताजा हो उठा। विराट कोहली और अक्षर पटेल के बीच जोश से भरी चर्चा ने पूरा माहौल ही बदल दिया।
इस चर्चा को देखकर विराट के प्रशंसक उन दिनों को याद करने लगे जब वह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हुआ करते थे और मैदान पर अपने प्रदर्शन और हाव-भाव से सबका दिल जीत लेते थे। कुछ सोशल मीडिया यूजर ने तो यहां तक कहा कि रोहित शर्मा ने फिलहाल विराट को कमान संभालने के लिए आगे कर दिया है।
एल्केमिस्ट ब्रांड कंसल्टिंग के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर सुमित सिन्हा कहते हैं, ‘ये ऐसे मौके होते हैं जब ब्रांड खिलाड़ियों के पिछले प्रदर्शन की याद ताजा करते हैं और इन पर दांव लगाते हैं। इनमें ज्यादातर ब्रांड के लिए केवल प्रदर्शन के आंकड़े मायने नहीं रखते हैं बल्कि मैदान पर खिलाड़ियों का व्यक्तित्व उन्हें खींच लेता है।‘
ब्रांड की पसंद एवं उनके व्यवहार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि मैदान पर ऐसी चर्चाएं लोगों के जेहन में कैद हो जाती हैं और यह बात पीछे छूट जाती है कि मैच में खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा। रवींद्र जाडेजा और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ी पिछले कुछ समय से शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं मगर विराट इस मामले में थोड़े पीछे रह गए। मगर ब्रांडों की पसंद पूछें तो विराट का जलवा अब भी कायम है।
विराट को टेस्ट मैचों में नया शतक जड़ने में साढ़े तीन वर्षों का समय लग गया जबकि, जाडेजा ने 2019 से टेस्ट मैचों में 37.03 की औसत से 2,593 रन बनाए हैं। इनमें तीन शतक भी शामिल है। रोहित शर्मा के बाद जाडेजा का रन बनाने का औसत सर्वाधिक है।
अश्विन टेस्ट मैचों में महेंद्र सिंह धोनी के शतकों की बराबरी करने में महज एक शतक दूर रह गए हैं। जाडेजा अश्विन दोनों ही टीम के लिए रन बना रहे हैं और कम से कम भारतीय उपमहाद्वीप में तो एक के बाद एक उम्दा पारियां खेल टीम को विजश्री दिला रहे हैं।
हालांकि, विराट का प्रदर्शन खराब रहने के बावजूद एक ब्रांड के रूप में उनकी हैसियत पर कोई दाग नहीं लगा है। 2021 में थोड़ा फिसलने के बावजूद उनकी ब्रांड वैल्यू 18.57 करोड डॉलर है। इस वजह से वाहन कंपनियों से लेकर तकनीकी कंपनियां तक विराट को पसंद करती हैं।
एक ब्रांड के रूप में विराट की हैसियत न केवल क्रिकेट में उनके प्रतिस्पर्धियों से अधिक है, बल्कि फिल्मी दुनिया के अक्षय कुमार और आलिया भट्ट जैसी मशहूर हस्तियों से भी अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि 2022 में भी संभवतः विराट का दबदबा कायम रहा। उनके अनुसार, खासकर, टी20 विश्व कप क्रिकेट में जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने से उनका रसूख बरकरार रहा। ब्रांड उद्योग के विशेषज्ञ हरीश बिजूर का कहना है कि कुछ खास मौकों पर यादगार पारी खेलने के कारण विराट ब्रांडों के पसंदीदा रहे हैं।
बिजूर कहते हैं, ‘विराट ने भारतीय क्रिकेट टीम को मैच जिताने वाली कई पारियां खेली हैं। ये पारियां अब भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। इस वजह से ब्रांड और खेल प्रेमी दोनों ही उन्हें काफी पसंद करते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान रविंद्र जाडेजा और अश्विन ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है मगर विराट ने जो पारियां खेली हैं, उनकी बराबरी शायद ये दोनों खिलाड़ी नहीं कर सकते।‘
शिक्षा तकनीकी क्षेत्र की कंपनी ग्रेट लर्निंग की मुख्य विपणन अधिकारी अपर्णा महेश का कहना है कि उनकी कंपनी ने 2020 में विराट को अपना ब्रांड ऐंबेसडर नियुक्त किया था। अपर्णा ने कहा कि विराट की लोकप्रियता केवल क्रिकेट के मैदानों तक ही सीमित नहीं है। वह कहती हैं, ‘विराट का व्यक्तित्व करिश्माई है जिससे वे देश में युवा लोगों के दिलों पर राज करते हैं।’
ग्लैमर का भी साथ
सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग ब्रांड के निर्णयों पर असर डालते हैं। बिजूर कहते हैं, ‘क्रिकेट मैदान के बाहर सोशल मीडिया पर भी विराट की छवि काफी अच्छी है। इस वजह से ब्रांड उन्हें काफी पसंद करते हैं।
सोशल मीडिया पर पिछले कई वर्षों से विराट की लोकप्रियता चरम पर रही है और उन्हें फॉलो करने वाले लोग अनगिनत हैं। पूरे भारत में एक उम्दा खिलाड़ी और एक प्रभावी व्यक्तित्व के कारण विराट की अच्छी छवि है। लोगों उन्हें पसंद करते हैं। यही वजह है कि अश्विन और जाडेजा बेहतर प्रदर्शनों के बावजूद विराट की लोकप्रियता की बराबरी नहीं कर पाए हैं।‘
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चकाचौंध की वजह से भी विराट प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों की तुलना में ब्रांड की नजरों में अधिक आगे रहे हैं। सिन्हा कहते हैं, ‘इसमें कोई शक नहीं कि ऊपरी चकाचौंध भी ब्रांड के लिए काफी अहम होती है। विराट की पत्नी अनुष्का शर्मा स्वयं एक जानी-मानी हस्ती हैं। इस वजह से भी ब्रांड विराट पर दांव लगाने में पीछे नहीं रहते।‘
विश्लेषकों का कहना कि अगर किसी खिलाड़ी का प्रदर्शन लगातार खराब रहता है या उसकी उम्र बढ़ती है तो ब्रांड की दिलचस्पी उसमें कम हो जाती है। मगर बिजूर के अनुसार विराट का प्रदर्शन एक बार सबको मंत्रमुग्ध कर रहा है। इसलिए विराट के मामले में खराब प्रदर्शन या बढ़ती उम्र की बात लागू नहीं होती है।
वह कहते हैं, ‘अगर हम विराट की पिछली कुछ पारियों को देखें तो कोई यह नहीं कहेगा कि भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए विराट की अहमियत खत्म हो गई है। विराट एक बार फिर अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन की ओर लौट रहे हैं और ब्रांड भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि विराट में अभी काफी दमखम बाकी है। इससे भी अहम बात यह है कि विराट भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं और यह बात भी उनके पक्ष में जाती है। ब्रांड अमूमन कप्तानों (जैसे धोनी और गांगुली) को अपना चेहरा बनाना पसंद करते हैं।‘
सिन्हा का कहना है कि लोग उन मैचों को हमेशा याद रखते हैं जिससे वे खुद को जोड़ पाते हैं। ब्रांड भी इस चीज को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। सिन्हा कहते हैं, ‘जब लोग विराट को मैदान पर खेलते देखते हैं तो उन्हें लगता है कि दिल्ली का एक लड़का ऑस्ट्रेलियाई टीम से लोहा ले रहा है। इससे उन्हें भी कुछ अलग करने की प्रेरणा मिलती है।
धोनी को भी लोग प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखते रहे हैं। लोगों ने उन्हें देश के एक छोटे शहर से निकलकर क्रिकेट जगत में शीर्ष तक पहुंचते देखा है। धोनी के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप भी जीता है। जाडेजा और अश्विन जैसे खिलाड़ियों में यह बात नहीं है।‘
सिन्हा कहते हैं कि ब्रांड दूसरे खेलों में प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हैं और व्यक्तित्व को अहमियत देते हैं। सिन्हा कहते हैं, ‘दूसरे खेलों में आप ठीक यही बात देख सकते हैं। नडाल और जोकोविच ने भले ही फेडरर के मुकाबले अधिक ग्रैंड स्लैम जीते होंगे मगर ब्रांडों का भरोसा जीतने में फेडरर कहीं आगे रहे हैं।
भारत में कई ऐसे एथलीट रहे हैं जिन्होंने ओलिंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में मेडल जीते हैं मगर वे खूबियां नहीं दिखी हैं जिनकी तलाश अक्सर ब्रांड करते हैं।‘ अपर्णा कहती हैं, ‘ब्रांड अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय खिलाड़ी को अपना चेहरा बनाते हैं। यही वजह है कि खिलाड़ियों की भीड़ में विराट जैसे कुछ खिलाड़ी ही ब्रांड के दिलों पर राज करते हैं।’