जदयू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार शाम निधन हो गया। 75 साल के शरद यादव के निधन की खबर उनकी बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट के जरिए दी। शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे।’ शरद यादव बीमार चल रहे थे, उनका इलाज गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था। उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शरद यादव का नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। राजनीति के गलियारों में उनके बारे में कहा जाता है कि मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो।
प्रधानंंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शरद यादव के निधन पर ट्वीट करते हुए शरद यादव के साथ अपनी चर्चाओं को याद किया।-
Pained by the passing away of Shri Sharad Yadav Ji. In his long years in public life, he distinguished himself as MP and Minister. He was greatly inspired by Dr. Lohia’s ideals. I will always cherish our interactions. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2023
शरद यादव 2003 में जनता दल बनने के बाद से लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। वे सात बार लोकसभा सांसद भी रहे। पिछले कुछ वक्त से वह सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आ रहे थे। शरद यादव शायद भारत के पहले ऐसे राजनेता थे जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार से लोकसभा के लिए चुने गए थे।
शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता था। 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में जन्मे शरद यादव ने कई अहम पद संभाले हैं।
कैसा रहा राजनीतिक सफर-
1986 में शरद यादव राज्यसभा के लिए चुने गए।
1989-90 तक उन्होंने केंद्र में कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का कार्यभार संभाला।
1997 में जनता दल के अध्यक्ष बने।
1999 से 2001 तक वे नागरिक उड्डयन मंत्री रहे।
2001 से 2002 तक श्रम मंत्री का पदभार संभाला।
2002 से 2004 तक उपभोक्ता मामलों के मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रहे।
2009 में शहरी विकास समिति के अध्यक्ष बने।
2014 में वे राज्य सभा के लिए चुने गए।