Bakrid 2025: कुर्बानी के त्योहार ईद-अल-अज़हा (बकरीद) पर भी महंगाई की मार नजर आ रही है। शनिवार को पड़ रहे बकरीद के त्योहार से पहले बाजार में बकरे बिकने के लिए खड़े हैं पर खरीदार किफायत बरत रहे हैं। कुछ साल पहले शुरु हुआ बड़े जानवरों की कुर्बानी में हिस्सा खरीदने का चलन और भी बढ़ गया है। पहली बार बकरीद के त्योहार में बकरों की खरीद ईएमआई पर भी होती दिख रही है। बकरों के व्यापारियों के साथ मंडी में साहूकार भी दिख रहे हैं जो ईएमआई की सुविधा उपलब्ध करा दे रहे हैं। राजधानी लखनऊ से लेकर बरेली के मुस्लिम बहुल इलाकों में बकरा मंडियों में ईएमआई पर बकरों की खरीद हो रही है। बकरा व्यापारियों के साथ मौजूद साहूकार खरीदारों से ईएमआई की जमानत के तौर पर पोस्ट डेटेड बैंक चेक ले रहे हैं।
दूसरी तरफ कुछ साल पर पहले भैंसे का कुर्बानी के लिए शुरू हुयी हिस्सों की बिक्री इस बार ज्यादा तेजी पकड़ते दिख रही है। राजधानी लखनऊ के प्रमुख कसाई मोहल्ले बिल्लौचपुरा में जगह-जगह कुर्बानी के हिस्सों की बिक्री के बैनर लगे हुए हैं और बड़ी तादाद में लोग खरीद के लिए पहुंच रहे हैं।
राजधानी लखनऊ के पुराने इलाके चौक और पुरानी फूल मंडी के पास लगने वाले बकरा बाजार में लोगों की भीड़ तो है पर मंहगी के चलते यहां भी लोग या तो छोटे जानवर खरीद रहे हैं या किश्तों पर भुगतान का विकल्प चुन रहे हैं। पुरानी फूल मंडी के पास बकरों की बिक्री के लिए बैठे शमशाद बताते हैं कि कम से कम 18000 रूपये से लेकर 3 लाख रूपये तक के बकरे बाजार में मौजूद हैं। हालांकि उनका कहना है कि सबसे ज्यादा बिक्री 12-18 किलो तक के वजन वाले बकरों की ही हो रही है। शमशाद बताते हैं कि खुदरा बाजार में बकरे के गोश्त की कीमत ही 800 रूपये किलो चल रही है जबकि कुर्बानी के बकरे तो और भी महंगे बिकते हैं। इन सबके बाद भी बाजार में खरीदारों की कमी नहीं है और ये पिछले साल के मुकाबले ज्यादा ही है।
रुहेलखंड के मशहूर बकरा बाजार देवचरा, बरेली के मालिक राजेश सिंह बताते हैं कि बकरीद पर इस बार बकरा महंगा है। बकरा खरीदना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। बकरा व्यापारियों ने बकरा बिक्री का एक बहुत अच्छा तरीका निकाल लिया है,क्योंकि बकरा अब किस्तों पर भी मिल रहा है। बरेली के बाजारों में जहां बकरा ईएमआई पर मिल रहा है वहां या तो ब्याज नहीं या बहुत कम लिया जा रहा है।
लखनऊ के बकरा व्यापारी अतीकुर रहमान बताते हैं कि इस्लाम में ब्याज हराम है और कम से कम बकरीद त्योहार के लिए तो इस बिलकुल नहीं लिया जा रहा है। उनका कहना है कि ज्यादातर लोग ईएमआई पर किसी तरह का ब्याज नहीं ले रहे हैं। हालांकि, वो खास पहचान वालों और स्थानीय लोगों को ही ये सुविधा दे रहे हैं।
अतीकुर का कहना है कि व्यापारी इस महंगाई के दौर में खासी रकम खर्च करके और दूर-दूर के बकरे खरीद कर मंडी में बिक्री के लिए लाए हैं। हालांकि, उनका कहना है कि महंगाई के बावजूद लोगों में कुर्बानी को लेकर उत्साह है और चाहे व नकद हो या ईएमआई अथवा हिस्से लगाकर पर कोई मायूस नहीं लौट रहा है।
गौरतलब है कि राजधानी लखनऊ, कानपुर और बरेली सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में बीते एक महीने से बकरा मंडी सज रही है। सबसे ज्यादा मांग में 30000 रूपये तक के बकरे हैं। बाजार में देसी, घरेलू पालन, पहाड़ी, जमनापारी, बर्बरी, जखराना, संगमनेरी और करेली प्रजाति के बकरे बिक रहे हैं।