देश में बढ़ते श्रम बल के बीच शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर घटी है। वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान बेरोजगारी दर घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है, जो इसके पहले की तिमाही में 6.6 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा सोमवार को जारी इन आंकड़ों से श्रम बाजार में लगातार हो रहे सुधार के संकेत मिलते हैं।
वित्त वर्ष 2022 की कोविड से प्रभावित तिमाही अप्रैल-जून के दौरान शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर बढ़कर 12.6 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। एनएसओ द्वारा जारी आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022 की अप्रैल-जून तिमाही के बाद से बेरोजगारी की दर में लगातार कमी आ रही है।
दिसंबर तिमाही में 15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) के संदर्भ में बेरोजगारी दर पिछले 5 वर्षों में सबसे कम दर्ज की गई है, जब से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने दिसंबर 2018 में भारत की तिमाही शहरी बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी करना शुरू किया है।
इस तिमाही के दौरान महिलाओं की बेरोजगारी दर 8.6 प्रतिशत पर स्थिर रही है, जबकि पुरुषों की बेरोजगारी दर इसके पहले की तिमाही के 6 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2022 की अप्रैल-जून तिमाही के बाद से भी इन आंकड़ों में गिरावट आ रही है, जब महिलाओं व पुरुषों की बेरोजगारी दर क्रमशः 12.2 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
युवाओं (15 से 29 साल के आयु वर्ग में) की बेरोजगारी दर तीसरी तिमाही में तेजी से घटकर 16.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो दूसरी तिमाही में 17.3 प्रतिशत थी। ये आंकड़े महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस आयु वर्ग में शामिल लोग सामान्यतया श्रम बाजार में पहली बार आए लोग होते हैं और इससे तेजी के संकेत मिलते हैं।
ताजा तिमाही सर्वे से यह भी पता चलता है कि श्रम बल हिस्सेदारी दर (एलएफपीआर), जिसमें शहरी इलाकों में काम कर रहे या काम की मांग कर रहे लोगों के आंकड़े होते हैं, में भी दिसंबर तिमाही में मामूली बढ़ोतरी हुई है और यह 49.9 प्रतिशत हो गया है, जो इसके पहले की सितंबर तिमाही में 49.3 प्रतिशत था।
पुरुषों और महिलाओं दोनों ने ही काम को लेकर उत्साह दिखाया है और उनका एलएफपीआर बढ़कर 74.1 प्रतिशत और 25 प्रतिशत हो गया है, जो इसके पहले क्रमशः 73.8 प्रतिशत और 24 प्रतिशत था।
यह बढ़ा उत्साह पुरुषों और महिलाओं की बेहतर नौकरियों में भी दिख रहा है और दिसंबर तिमाही में वेतन वाली नौकरियों की हिस्सेदारी बढ़कर क्रमशः 47.3 प्रतिशत और 53 प्रतिशत हो गई है, जो इसके पहले की तिमाही में क्रमशः 47 प्रतिशत और 52.8 प्रतिशत थी।