भारत का पवन ऊर्जा क्षेत्र देश में 2030 तक 500 गीगावॉट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने और पारेषण इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए बजटीय समर्थन की मांग कर रहा है। उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि लक्षित निवेश और संतुलित नीतिगत कदमों से इस क्षेत्र की वृद्धि को और गति मिल सकती है, जो पहले से ही रफ्तार पकड़ रहा है।
सेनवियन के सीईओ और एमडी अमित कंसल ने कहा, ‘हमें इलेक्ट्रिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने की जरूरत है, जिससे 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल किया जाना सुनिश्चित हो सके। हमें 500 गीगावॉट बिजली के पारेषण के लिए बुनियादी ढांचे के साथ मजबूत ग्रिड की जरूरत होगी, अन्यथा यह हमारे लक्ष्य की राह में बाधा बन सकता है।’
सुजलॉन के वाइस प्रेसिडेंट गिरीश तांती ने कहा कि अक्षय ऊर्जा में ग्रिड की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा, ‘हमारा परंपरागत बुनियादी ढांचा व्यापक रूप से केंद्रीय उत्पादन और उसके बाद वितरण पर केंद्रित रहा है। वहीं अक्षय ऊर्जा में आप दूरदराज में उत्पादन कर रहे हैं। ऐसे में आपको एक अलग तरीके के ग्रिड व्यवस्था की जरूरत है। यह हमारे ग्रिड को अपग्रेड करने और बढ़ाने व इसे ज्यादा स्मार्ट व इंटेलिजेंट बनाने का अवसर है। निश्चित रूप से यह क्षमता होने से तेजी आ सकती है।’
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार भारत में पवन ऊर्जा संयंत्र 2024 में 7 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएंगे। तांती ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण यह वृद्धि हुई है और भारत ने इसके लिए वातावरण तैयार किया है। उन्होंने कहा कि 3 दशकों की प्रगति के बाद भारत में मजबूत आपूर्ति श्रृंखला है और वह घरेलू व वैश्विक मांग पूरी करने में सक्षम है।
हालांकि उद्योग के दिग्गजों ने कहा कि पवन और सौर ऊर्जा को नीतिगत समर्थन के मामले में असंतुलन है। कंसल ने कहा कि पीएलआई सौर ऊर्जा के लिए है और पवन ऊर्जा पर कम ध्यान दिया जाता है।