मध्य प्रदेश सरकार खेती को आधुनिक बनाने की अपनी कोशिशों के तहत खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करने और युवाओं को उन्हें चलाने का प्रशिक्षण दे रही है। हाल ही में आयोजित एक कैबिनेट बैठक में सरकार ने कृषि मशीनीकरण में कौशल विकास योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दी। इसके तहत प्रदेश के अलग-अलग शहरों में ड्रोन प्रशिक्षण स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं ताकि आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जा सके। पहला ड्रोन स्कूल ग्वालियर में खुल चुका है। इसके बाद इंदौर, भोपाल, जबलपुर और सतना में ड्रोन स्कूल खोले जाने हैं।
अगले तीन वर्षों के दौरान किसान परिवारों के 6,000 युवाओं को ड्रोन समेत बड़ी कृषि मशीनरी चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना है। इससे इन युवाओं को स्वरोजगार में मदद मिलेगी। सरकार ने इसके लिए लगभग 23 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।
ग्वालियर स्थित ड्रोन स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, ‘भविष्य में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ेगा और ये स्कूल रोजगार के नए अवसर तैयार करेंगे। खेती में ड्रोन का सही इस्तेमाल हो रहा है और इस काम को आगे ले जाना होगा। खेतों में कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव के दौरान किसानों के स्वास्थ्य को खतरा रहता है। साथ ही फसलों पर इनका छिड़काव भी असमान ढंग से होता है। ड्रोन की मदद से ये दिक्कतें दूर की जा सकती हैं। साथ ही बहुत कम समय में अधिक छिड़काव किया जा सकता है।’
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, ‘जब मैंने ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव होते देखा तो मुझे महसूस हुआ कि इसका इस्तेमाल इनका इस्तेमाल कीटनाशकों के छिड़काव तथा अन्य कामों में भी किया जा सकता है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी और साथ-साथ किसानों की आय में भी इजाफा होगा।’