देश की 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में से 10 ने सरकार की नीतियों के खिलाफ बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आवाह्न किया है। इन यूनियनों का कहना है कि सरकार ने पिछले एक दशक से भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया है और वह लगातार श्रम बल के हितों के खिलाफ निर्णय ले रही है, जिनमें ट्रेड यूनियनों की सामूहिक आवाज को कमजोर करने के उद्देश्य से चार श्रम संहिताओं को लागू करने के प्रयास भी शामिल हैं।
सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा और इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस सहित विरोध का बिगुल फूंकने वाली तमाम यूनियनों ने कहा है कि हड़ताल में ऐसे लगभग 30 से 40 करोड़ श्रमिकों के हिस्सा लेने की उम्मीद है जो केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 17 सूत्रीय मांगों का समर्थन करते हैं। सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं और यह हाल के वर्षों की सबसे बड़ी हड़ताल हो सकती है।
दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यदि श्रम संगठन खुले दृष्टिकोण से बैठें और सकारात्मक प्रतिक्रिया दें तो वह सभी मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘अगर हम श्रम संहिताओं के बारे में बात करते हैं, तो अधिकांश राज्यों ने पहले ही अपने कानूनों में संशोधन कर दिया है और अब ये केंद्र की संहिताओं के अनुरूप हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि श्रम कानूनों में संशोधन केवल राजग शासित राज्यों तक ही सीमित हैं। विपक्षी दलों द्वारा शासित कई राज्यों ने भी ये बदलाव किए हैं। इससे पता चलता है कि ये राज्य भी खासकर विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश के महत्त्व को समझते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल की पूर्व संध्या पर मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि वह इस काम रोको आवाह्न का समर्थन नहीं करती और हड़ताल में भाग नहीं लेगी। इसने आरोप लगाया कि हड़ताल राजनीतिक रूप से प्रेरित है। इस संगठन ने कहा कि उसने चार श्रम संहिताओं में से दो अर्थात् मजदूरी संहिता, 2019 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का स्वागत किया है। यूनियन ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के जरिए पहली बार प्लेटफॉर्म और गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। लेकिन भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि उसने हितधारकों के साथ परामर्श किया है और अन्य दो श्रम संहिताओं, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता, 2020 में संशोधन का सुझाव दिया है। ये सुझाव सरकार को सौंप दिए गए हैं।
संगठन के महासचिव रवींद्र हिमते ने कहा, ‘सरकार को इन संहिताओं में संशोधन के मुद्दे को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए।’ नैशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने भी घोषणा की है कि वह हड़ताल में भाग नहीं लेगा। एक संबंधित घटनाक्रम में केरल के परिवहन मंत्री के.बी. गणेश कुमार ने कहा कि राज्य द्वारा संचालित केरल राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें बुधवार को सामान्य रूप से चलेंगी। इनके कर्मचारी संगठनों के हड़ताल में भाग लेने की सूचना नहीं है। यूनियनों ने कहा कि खनन, बीमा, बिजली, डाक, दूरसंचार, सार्वजनिक परिवहन, रक्षा, रेलवे समेत अन्य क्षेत्रों के श्रमिक 9 जुलाई को हड़ताल करेंगे। निर्माण, बीड़ी, आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन, घरेलू श्रमिक, हॉकर और वेंडर यूनियनों सामूहिक जुटाव कार्यों में भाग लेंगे।