भारतीय मौसम विभाग अगले कुछ दिनों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर अनुमान जारी कर सकता है। इस बीच मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट का मानना है कि इस बार मॉनसून शायद देर से दस्तक दे और यह थोड़ा कमजोर भी रह सकता है। स्काईमेट के संस्थापक निदेशक जतिन सिंह ने ट्वीट में कहा कि अभी तक के अनुमान मॉनसून में देर होने और इसके कमजोर रहने के आसार हैं, हम इस पर दैनिक आधार पर नजर रख रहे हैं।
स्काईमेट में मौसम तथा जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि मॉनसून में देरी के दो कारण हैं। पहला अरब सागर के ऊपर चक्रवात-रोधी बना हुआ है, जो मॉनसूनी हवा को समय पर केरल तट तक पहुंचने नहीं देगा। दूसरा चक्रवात के कारण मॉनसूनी लहर में भी बाधा आएगी।
मॉनसून के लिए सबकी निगाहें मौसम विभाग के अनुमान पर टिक गई हैं। दक्षिण पश्चिमी मॉनसून पर मौसम विभाग अगले कुछ दिन में पूर्वानुमान पेश कर सकता है। मगर मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट का मानना है कि मॉनसून कमजोर हो सकता है और इसमें देरी हो सकती है, जिस पर नजदीकी से नजर रखे जाने की जरूरत है।
स्काईमेट के संस्थापक निदेशक जतिन सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘उत्तर भारत में 18 मई को तूफानी बारिश हो सकती है और मई के अंतिम सप्ताह में यह मजबूत होगा। अभी मॉनसून की स्थिति कमजोर लग रही है और इसके देरी से आने की संभावना है। इस पर रोजाना नजर रखेंगे।’ देरी की संभावना की वजह स्पष्ट करते हुए स्काईमेट में मौसम और जलवायु परिवर्तन के वाइस प्रेसीडेंट महेश पालावत ने कहा कि निराशावादी अनुमान की मोटे तौर पर दो वजहें हैं।
पालावत ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पहली वजह अरब सागर में एंटीसाइक्लोन की मौजूदगी है, जो मॉनसूनी हवाओं को केरल के तट पर पहुंचने से रोकेगा। दूसरी वजह अरब सागर पर मौजूद फेबियन चक्रवात है, जो मॉनसून की धारा को बाधित करेगा।’ इस साल दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर उत्सुकता से नजर रखी जा रही है, क्योंकि इससे भारतीय उपमहादीप में इसकी प्रगति के संकेत मिलेंगे। खासकर ऐसे वक्त में, जब सीजन के दूसरे हिस्से के दौरान अल नीनो का विपरीत असर पड़ने की संभावना है।
हालांकि मॉनसून की शुरुआत और इसकी प्रगति की रफ्तार के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। साथ ही दक्षिण पश्चिम मॉनसून की खराब शुरुआत का यह भी मतलब नहीं है कि बारिश कम या अनियमित होगी।
किसी भी साल में कृषि जिंसों के अच्छे उत्पादन के लिए समय से और बेहतर तरीके से वितरित मॉनसून की भूमिका अहम होती है। खासकर ऐसे समय में यह अहम है जब कुछ अनुमानों में 2023 में सामान्य से कम बारिश के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
मौसम विभाग ने अप्रैल में 2023 के अपने पहले अनुमान में कहा था कि जून से सितंबर तक चलने वाले मॉनसून की बारिश इस साल सामान्य रहने की उम्मीद है और यह दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 96 प्रतिशत हो सकता है।
1971 से 2020 तक हुई बारिश का एलपीए 87 सेंटीमीटर है और अनुमान के इस मॉडल में बारिश में 5 प्रतिशत की घट-बढ़ को सामान्य बारिश माना जाता है। इसका मतलब यह है कि आईएमडी के मुताबिक जून से सितंबर के बीच भारत में कुल बारिश करीब 83.5 सेंटीमीटर होगी।
मॉनसून के महीनों में विकसित होने वाले दो सकारात्मक पैटर्न के आधार पर मौसम विभाग ने अपनी टिप्पणी की थी। आंकड़ों से पता चलता है कि मॉनसून सामान्य रहने की संभावना 35 प्रतिशत है। मॉनसून के सामान्य से नीचे रहने की संभावना 29 प्रतिशत और कम बारिश की संभावना 11 प्रतिशत और सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना महज 3 प्रतिशत है।
इसके विपरीत स्काईमेट ने कहा था कि अलनीनो के असर के कारण 2023 में दक्षिण पश्चिम मॉनसून सामान्य से कम और दीर्घावधि औसत का 94 प्रतिशत रहने की संभावना है।
स्काईमेट के मुताबिक जून से सितंबर के बीच सालाना बारिश की 70 प्रतिशत बारिश होती है और यह 816.5 मिलीमीटर रहने की संभावना है, जबकि सामान्य बारिश 868.8 मिलीमीटर होती है।