शुक्रवार को संसदीय कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोनों सदनों को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष के कई सदस्य अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर जांच समिति गठित करने की लगातार मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी दलों की मांग है कि समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति या भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा नामित समिति से जांच कराई जाए। अब लोकसभा और राज्यसभा की बैठक 6 फरवरी को सुबह 11 बजे होगी।
विपक्ष को विश्वास है कि अगर जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो तो बेहतर होगा क्योंकि सत्ताधारी भाजपा का संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत है और अगर संयुक्त संसदीय समिति इसकी जांच करती है तो सरकार इसका गलत फायदा उठा सकती है। संयुक्त संसदीय समिति में दोनों सदनों में पार्टियों के सांसदों की संख्या के अनुपात में सदस्य शामिल होते हैं। भाजपा लोकसभा में विपक्ष से काफी आगे है और राज्यसभा में भी उसे मामूली बहुमत है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘चौकीदार चोर है’ के नारे का जिक्र करते हुए एक कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने अपनी गलतियों से सीख ली है।’ 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपने आरोपों से जोड़ा था। बाद में उन्हें माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा, ‘हम न तो किसी व्यक्ति को अदाणी प्रकरण से जोड़ रहे हैं, न ही समूह को। हम जानना चाहते हैं कि सरकार जिन नियामक एजेंसियों की देखरेख करती है, वे अपने कार्यों को करने में विफल कैसे हो गईं और आम भारतीयों की बचत को खतरे में डाल दिया।’
उन्होंने कहा कि सप्ताहांत तक कांग्रेस अपनी योजना तैयार कर लेगी और इस मुद्दे को जनता तक लेकर जाएगी। इसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक के कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन भी शामिल होगा और 6 फरवरी को सरकार की चुप्पी उजागर की जाएगी। संसद की कार्यवाही स्थगित होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सिर्फ इतना कहा कि इसके पीछे सरकार का कोई हाथ नहीं है। उनके अलावा किसी भी वरिष्ठ मंत्री ने कांग्रेस के आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया।
सिर्फ भाजपा सांसद महेश जेठमलानी ने सवाल किए और कहा, ‘इसका सरकार से क्या लेनादेना है? किसी भी व्यक्ति ने नहीं कहा कि सरकार की एलआईसी में क्या भूमिका है। एलआईसी एक स्वतंत्र संस्था है और इसने ही अदाणी समूह में निवेश का फैसला किया था।’ जेठमलानी ने कहा कि अगर अदाणी समूह ने किसी भी तरह की गलती की है तो इसकी सेबी और आरबीआई जांच करेंगे। संयुक्त समिति द्वारा जांच की मांग अनुचित है।
निवेश बैंकर और तृणमूल कांग्रेस पार्टी से सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर कहा, ‘सेबी के अंदर ही लोगों में हितों को लेकर टकराव है इसलिए सेबी भी अदाणी मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं कर पाएगा। जाने-माने वकील सिरिल श्राफ का सम्मान है लेकिन उनकी बेटी की शादी गौतम अदाणी के बेटे से हुई है।’
उन्होंने कहा कि श्रॉफ कॉरपोरेट गवर्नेंस ऐंड इनसाइडर ट्रेडिंग पर सेबी की समिति में हैं। अगर सेबी अदाणी मामले की जांच कर रहा है, तो श्रॉफ को खुद को इससे अलग कर लेना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्यों नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अदाणी की सदस्यता की फिर से समीक्षा नहीं कर रहा है जबकि अन्य एक्सचेंज जांच कर चुके हैं।
एसऐंडपी डाउ जोन्स ने स्टॉक हेरफेर और लेखा में धोखाधड़ी के आरोपों के कारण अदाणी एंटरप्राइजेज को डाउ जोन्स इंडेक्स से हटा दिया। एनएसई अदाणी शेयरों की इंडेक्स सदस्यता का पुनर्मूल्यांकन क्यों नहीं कर रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कर रहे हैं?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपने मुखपत्र पीपल्स डेमोक्रेसी के माध्यम से उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति से मामले की जांच करने की मांग की है। पार्टी ने न केवल इस मामले की जांच करने की मांग की है जो सार्वजनिक धन को संकट में डाल सकता था, बल्कि सभी क्षेत्रों में अदाणी समूहों के तेजी से विस्तार पर जांच करने की बात कही है।
पार्टी ने अपने मुखपत्र के संपादकीय में लिखा, ‘अदाणी की संपत्ति जो 2014 में 50.4 हजार करोड़ रुपये थी, 2022 तक बढ़कर 10.30 लाख करोड़ रुपये हो गई। मोदी के पसंदीदा पूंजीपति को खुली छूट मिली थी। कोई नियामक एजेंसी या सरकारी प्राधिकरण उन्हें छू नहीं सकता था।’