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ई-बसों के लिए FAME फंड में हो सकता है बदलाव, करीब 3,000 एक्स्ट्रा बस खरीदने की योजना

ई-तिपहिया के लिए आवंटित रकम में से करीब 2,000 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है। इसका इस्तेमाल 2,500 से 3,000 ई-बस खरीदने में हो सकता है

Last Updated- May 07, 2023 | 10:22 PM IST
Plan to set up payment security system for e-buses

सरकार इले​​क्ट्रिक बसों को ध्यान में रखते हुए देश में इले​क्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 के तहत दी जाने वाली स​ब्सिडी फंड का आवंटन बदलने की योजना बना रही है। प्रस्तावित योजना के अनुसार इले​क्ट्रिक तिपहिया श्रेणी में इस्तेमाल नहीं की गई राशि से करीब 3,000 अतिरिक्त ई-बसों को स​ब्सिडी दी जा सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘ई-तिपहिया के लिए आवंटित रकम में से करीब 2,000 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है और हम इसका इस्तेमाल 2,500 से 3,000 ई-बस खरीदने में करने की योजना बना रहे है।’

देश में (हाइब्रिड और) इले​क्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने की योजना यानी फेम-2 के तहत करीब 5 लाख ई-तिपहियों को स​ब्सिडी देने के लिए 2,500 करोड़ रुपये तय किए गए थे। मगर 15 फरवरी तक इस योजना के अंतर्गत महज 81,000 ई-तिपहिया ही बिक सके। ई-तिपहिया श्रेणी में अभी भी लेड-एसिड बैटरियों का प्रभुत्व है, जो ली​थियम-आयन बैटरियों से सस्ती पड़ती हैं। इसलिए स​ब्सिडी की उतनी मांग नहीं है।

भारी उद्योग मंत्रालय में आंतरिक स्तर पर कई दौर की चर्चा के बाद फेम-2 के तहत आवंटित 10,000 करोड़ रुपये को मार्च 2024 तक पूरी तरह से खर्च करने का निर्णय किया गया। एक अन्य वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा, ‘समयसीमा करीब आने के करण हम पूरी राशि चालू वित्त वर्ष में ही खत्म कर देना चाहते हैं। ई-बसों का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव भी काफी ज्यादा है।’

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एम एन पांडेय ने पिछले महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में फेम-2 योजना में बदलाव की संभावना पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा था, ‘हमने देश में इले​क्ट्रिक व्यवस्था तैयार की है। हम लक्ष्य से ज्यादा ई-बसों को बढ़ावा दे रहे हैं। समय की मांग देखते हुए हमने ई-दोपहिया और ई-बसों को सब्सिडी देने का निर्णय किया है।’

सरकार ने फेम-2 के तहत 7,210 बसों को मंजूरी दी थी, जबकि लक्ष्य 7,090 बसों का था। 21 मार्च तक वि​भिन्न राज्यों के परिवहन विभागों ने 3,738 ई-बसों के ऑर्डर को हरी झंडी दिखा दी है और कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज (CESL) ने 3,472 ई-बसों का ऑर्डर किया है। कुल 7,210 बसों के ऑर्डर में से 2,435 बसों की तैनाती की जा चुकी है। 425 ई-बसें 10 शहरों में चल रही हैं। इन पर फेम के पहले चरण के दौरान करीब 280 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया था। योजना के दूसरे चरण के दौरान ई-बसों के लिए स​ब्सिडी मद में आवंटित 3,545 करोड़ रुपये पहले ही खत्म हो चुके हैं।

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2019 में शुरू की गई फेम-2 का उद्देश्य आम लोगों को किफायती और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का विकल्प उपलब्ध कराना था। मगर ई-दोपहिया इस योजना में शामिल हैं।

योजना के तहत ई-बसों के लिए प्रति किलोवाट 20,000 रुपये की स​ब्सिडी दी जाती है और अ​​धिकतम वाहन की कुल कीमत (एक्स-फैक्टरी कीमत 2 करोड़ रुपये तक) का 40 फीसदी तक स​ब्सिडी का प्रावधान किया गया है। ई-बसों की बैटरी की क्षमता करीब 250 किलोवाट होती है।

स​ब्सिडी की वजह से विनिर्माताओं को ई-बसों की लागत करीब 50 लाख रुपये तक कम करने में मदद मिली है। हरेक इले​क्ट्रिक बस 1.2 करोड़ रुपये से ज्यादा की पड़ती है और डीजल बस की तुलना में इसकी कीमत करीब पांच गुना अधिक है।

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अतिरिक्त कोष होने से मंत्रालय CESL को ई-बसों के लिए बड़ी निविदा जारी करने के लिए कहने की योजना बना रही है। एक अन्य अ​धिकारी ने कहा कि सीईएसएल के जरिये जल्द ही इन बसों के लिए नई निविदा जारी की जा सकती है।

नए ऑर्डर से CESL को चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय ई-बस कार्यक्रम के तहत 50,000 ई-बसों की तैनाती की योजना में मदद मिल सकती है। इससे 2030 तक कुल बसों में 40 फीसदी ई-बसों के परिचालन करने और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

First Published - May 7, 2023 | 9:02 PM IST

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