सरकार इलेक्ट्रिक बसों को ध्यान में रखते हुए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 के तहत दी जाने वाली सब्सिडी फंड का आवंटन बदलने की योजना बना रही है। प्रस्तावित योजना के अनुसार इलेक्ट्रिक तिपहिया श्रेणी में इस्तेमाल नहीं की गई राशि से करीब 3,000 अतिरिक्त ई-बसों को सब्सिडी दी जा सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘ई-तिपहिया के लिए आवंटित रकम में से करीब 2,000 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है और हम इसका इस्तेमाल 2,500 से 3,000 ई-बस खरीदने में करने की योजना बना रहे है।’
देश में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने की योजना यानी फेम-2 के तहत करीब 5 लाख ई-तिपहियों को सब्सिडी देने के लिए 2,500 करोड़ रुपये तय किए गए थे। मगर 15 फरवरी तक इस योजना के अंतर्गत महज 81,000 ई-तिपहिया ही बिक सके। ई-तिपहिया श्रेणी में अभी भी लेड-एसिड बैटरियों का प्रभुत्व है, जो लीथियम-आयन बैटरियों से सस्ती पड़ती हैं। इसलिए सब्सिडी की उतनी मांग नहीं है।
भारी उद्योग मंत्रालय में आंतरिक स्तर पर कई दौर की चर्चा के बाद फेम-2 के तहत आवंटित 10,000 करोड़ रुपये को मार्च 2024 तक पूरी तरह से खर्च करने का निर्णय किया गया। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘समयसीमा करीब आने के करण हम पूरी राशि चालू वित्त वर्ष में ही खत्म कर देना चाहते हैं। ई-बसों का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव भी काफी ज्यादा है।’
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एम एन पांडेय ने पिछले महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में फेम-2 योजना में बदलाव की संभावना पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा था, ‘हमने देश में इलेक्ट्रिक व्यवस्था तैयार की है। हम लक्ष्य से ज्यादा ई-बसों को बढ़ावा दे रहे हैं। समय की मांग देखते हुए हमने ई-दोपहिया और ई-बसों को सब्सिडी देने का निर्णय किया है।’
सरकार ने फेम-2 के तहत 7,210 बसों को मंजूरी दी थी, जबकि लक्ष्य 7,090 बसों का था। 21 मार्च तक विभिन्न राज्यों के परिवहन विभागों ने 3,738 ई-बसों के ऑर्डर को हरी झंडी दिखा दी है और कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज (CESL) ने 3,472 ई-बसों का ऑर्डर किया है। कुल 7,210 बसों के ऑर्डर में से 2,435 बसों की तैनाती की जा चुकी है। 425 ई-बसें 10 शहरों में चल रही हैं। इन पर फेम के पहले चरण के दौरान करीब 280 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया था। योजना के दूसरे चरण के दौरान ई-बसों के लिए सब्सिडी मद में आवंटित 3,545 करोड़ रुपये पहले ही खत्म हो चुके हैं।
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2019 में शुरू की गई फेम-2 का उद्देश्य आम लोगों को किफायती और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का विकल्प उपलब्ध कराना था। मगर ई-दोपहिया इस योजना में शामिल हैं।
योजना के तहत ई-बसों के लिए प्रति किलोवाट 20,000 रुपये की सब्सिडी दी जाती है और अधिकतम वाहन की कुल कीमत (एक्स-फैक्टरी कीमत 2 करोड़ रुपये तक) का 40 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। ई-बसों की बैटरी की क्षमता करीब 250 किलोवाट होती है।
सब्सिडी की वजह से विनिर्माताओं को ई-बसों की लागत करीब 50 लाख रुपये तक कम करने में मदद मिली है। हरेक इलेक्ट्रिक बस 1.2 करोड़ रुपये से ज्यादा की पड़ती है और डीजल बस की तुलना में इसकी कीमत करीब पांच गुना अधिक है।
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अतिरिक्त कोष होने से मंत्रालय CESL को ई-बसों के लिए बड़ी निविदा जारी करने के लिए कहने की योजना बना रही है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सीईएसएल के जरिये जल्द ही इन बसों के लिए नई निविदा जारी की जा सकती है।
नए ऑर्डर से CESL को चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय ई-बस कार्यक्रम के तहत 50,000 ई-बसों की तैनाती की योजना में मदद मिल सकती है। इससे 2030 तक कुल बसों में 40 फीसदी ई-बसों के परिचालन करने और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।