आमतौर पर नवरात्रि से शुरू होने वाले और दीवाली के बाद तक चलने वाले त्योहारों पर मकानों की बिक्री खूब परवान चढ़ती है। साल की अंतिम तिमाही इसीलिए रियल एस्टेट उद्योग के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण होती है। लेकिन इस साल त्योहारी तिमाही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मकानों की बिक्री धीमी रह सकती है।
मकानों की बिक्री कम रहने का खटका नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे बड़े बाजारों में बिना बिके मकानों की तादाद कम होने के कारण है। इस बार त्योहारों से पहले बड़ी संख्या में मकान बिक भी चुके हैं। इसीलिए बिल्डर भी मांग होने के कारण पहले जैसे ऑफर नहीं दे रहे हैं। माना जा रहा है कि पहली बार मकान खरीदने पहुंच रहे लोग ऑफरों की कमी से भी बिदक सकते हैं।
दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख रियल्टी समूह गौड़ समूह के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक और क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हर साल की तरह इस साल भी त्योहारों पर मकानों की मांग खूब है। एनसीआर के रियल एस्टेट बाजार में नोएडा व ग्रेटर नोएडा बड़ा केंद्र है। इस साल भी इस बाजार में मकानों की मांग तो खूब है। लेकिन बिना बिके मकान कम बचे हैं।
पिछले एक-डेढ़ साल से बहुत मकान बिक रहे हैं मगर सरकार ने बिल्डरों को आवासीय परियोजनाओं के लिए पर्याप्त जमीन नहीं दी है। इसलिए बिल्डरों के पास कम मकान बचे हैं। लिहाजा इस साल त्योहारी तिमाही में मकानों की बिक्री में बीते वर्षों की तुलना में कम वृद्धि होनी संभावना है। ग्रेटर नोएडा में तो बिक्री घट भी सकती है।
नाइट फ्रैंक इंडिया में कार्यकारी निदेशक (उत्तर भारत) मुदस्सिर जैदी कहते हैं कि बीते दो साल से निवेशक रियल एस्टेट में अंधाधुंध निवेश कर रहे थे। लेकिन अब इसमें कमी आ सकती है। दिल्ली-एनसीआर में त्योहारों वाली तिमाही में मकानों की बिक्री या तो पिछले साल के बराबर रह सकती है या 5 फीसदी बढ़ सकती है।
मगर तीसरी तिमाही सुस्ती के संकेत दे रही है। नाइट फ्रैंक इंडिया की हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी तिमाही में एनसीआर में मकानों की बिक्री पिछले साल की तीसरी तिमाही के मुकाबले 7 फीसदी घटी थी और देश के प्रमुख 8 शहरों में यह करीब 5 फीसदी बढ़ी। जैदी कहते हैं एनसीआर में बिक्री में सुस्ती की वजह मांग कम होना नहीं है, बल्कि आपूर्ति कम रहना है। तीसरी तिमाही में एनसीआर के बाजार में नई परियोजनाएं 2023 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 19 फीसदी कम रहीं।
एनारॉक समूह के उपाध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा कि नोएडा-ग्रेटर में बिल्डरों को उनकी जरूरत के हिसाब से जमीन कम मिली है। जिसका विपरीत असर त्योहारी सीजन में मकानों की बिक्री पर पड़ सकता है। लेकिन सोनीपत, कुंडली, पानीपत और फरीदाबाद में जमीन मिली हैं, जिससे चौथी तिमाही के दौरान एनसीआर में मकानों की कुल बिक्री में वृद्धि एक अंक में रह सकती है।
आम तौर पर त्योहारों पर मकानों की बिक्री में वृद्धि दर दहाई अंक में रहती है। नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक पिछले साल चौथी तिमाही में एनसीआर में करीब 15,900 मकान बिके थे। उस तिमाही में देश के 8 प्रमुख शहरों में 89,845 मकान बिके थे। इस साल तीसरी तिमाही में सालाना 5 फीसदी वृद्धि के साथ 87,108 मकान बिके मगर एनसीआर में बिक्री 7 फीसदी घटकर 12,976 रह गई।
बिल्डरों की मानें तो इस साल त्योहारी सीजन में महंगे मकान ज्यादा बिक सकते हैं। जैदी ने कहा कि गुरुग्राम और इसके नजदीकी इलाकों में ज्यादा मकान उपलब्ध हैं, इसलिए वहां बिक्री बढ़ सकती है। चूंकि वहां मकानों की कीमत 1 करोड़ रुपये ज्यादा है, इसलिए त्योहारों पर कुल बिक्री में महंगे मकानों की हिस्सेदारी ज्यादा रहने वाली है।
पिछले कुछ सालों में बिक्री में इन मकानों की हिस्सेदारी बढ़कर 40 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है। नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी तिमाही में कुल बिके 87,108 मकानों में से 40,328 मकान 1 करोड़ रुपये या इससे अधिक कीमत के थे और इनमें सबसे अधिक 11,065 मकान एनसीआर में बिके थे। गौड़ कहते हैं कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में भी ज्यादातर मकानों की कीमत 70 लाख से एक करोड़ रुपये के बीच पहुंच गई है। 1 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले मकानों की मांग अधिक है।
बिल्डर पहले त्योहारों पर मकानों की बिक्री बढ़ाने के लिए खूब ऑफर देते थे, लेकिन अब इसमें कमी आई है। मनोज गौड़ कहते हैं कि ऑफर मांग बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं। लेकिन अब मांग अपने आप ही बढ़ रही है तो इनकी जरूरत भी नहीं है।
संतोष कुमार ने कहा कि कोरोना से पहले त्योहारों पर खरीदारों को आकर्षित करने के लिए मॉड्यूलर किचन, फ्री पार्किंग व कीमत में छूट जैसे ऑफर दिए जाते थे। लेकिन अब प्रतिष्ठित या बड़े बिल्डरों ने ऑफर से दूरी ही बना ली है। छोटे बिल्डर भी सोने के सिक्के, टीवी, एसी जैसे छोटे ऑफर ही देते हैं।