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गूंजती रहेगी उस्ताद जाकिर हुसैन के तबले की थाप, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक जताया

परिवार ने एक बयान में कहा कि हुसैन की मृत्यु फेफड़े संबंधी समस्या ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वह 73 वर्ष के थे। 

Last Updated- December 16, 2024 | 11:13 PM IST
The beats of Ustad Zakir Hussain's tabla will continue to resonate, President and Prime Minister expressed condolences गूंजती रहेगी उस्ताद जाकिर हुसैन के तबले की थाप, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक जताया

प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी। परिवार ने एक बयान में कहा कि हुसैन की मृत्यु फेफड़े संबंधी समस्या ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वह 73 वर्ष के थे। 

हुसैन पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में रखा गया था। हुसैन की बहिन खुर्शीद औलिया ने कहा कि उन्होंने ‘सुकून के साथ अंतिम सांस’ ली। उन्होंने बताया, ‘वेंटिलेशन मशीन बंद किए जाने के बाद उन्होंने सुकून के साथ अंतिम सांस ली। सैन फ्रांसिस्को के समय के अनुसार, तब शाम के 4 बजे थे।’ 

प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को हुआ था। उन्हें उनकी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में से एक माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा।’ 

छह दशकों के अपने करियर में, हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच ‘विक्कू’ विनायक्रम के साथ 1973 में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज संगीत के तत्त्वों के उनके संलयन को काफी सराहा गया। 

हुसैन ने मात्र 7 वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया था और आगे चलकर उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों सहित भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित संगीत कलाकारों के साथ काम किया। 

यो-यो मा, चार्ल्स लॉयड, बेला फ्लेक, एडगर मेयर, मिकी हार्ट और जॉर्ज हैरिसन जैसे पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके अभूतपूर्व संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया। हुसैन ने अपने करियर में 5 ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से 3 इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे। 

भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में ‘पद्म श्री’, 2002 में ‘पद्म भूषण’ और 2023 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। हुसैन के निधन के बारे में जानकारी मिलने पर मशहूर हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक जताया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के परिवार के सदस्यों और उनके असंख्य प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि उनका निधन संगीत की दुनिया के लिए बहुत बड़ी क्षति है।   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाकिर हुसैन के इंतकाल पर शोक जताया और कहा कि उन्हें एक ऐसे सच्चे उस्ताद के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। 

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्हें एक ऐसे सच्चे उस्ताद के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी।’

First Published - December 16, 2024 | 11:13 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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