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पहली बार पशु चिकित्सकों के लिए आए मानक दिशानिर्देश, एंटीबायोटिक्स के न्यूनतम उपयोग पर जोर

इस दिशानिर्देश में पशुओं के लिए केवल एलोपैथिक इलाज प्रक्रिया पर निर्भर रहने की जगह वैकल्पिक दवाओं जैसे आयुर्वेद के इस्तेमाल की वकालत की गई है।

Last Updated- October 28, 2024 | 10:34 AM IST
Centre unveils standard treatment guidelines for livestock, poultry पहली बार पशु चिकित्सकों के लिए आए मानक दिशानिर्देश, एंटीबायोटिक्स के न्यूनतम उपयोग पर जोर

केंद्र सरकार ने भारत में पहली बार पशु चिकित्सकों के लिए समग्र इलाज दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें इंसानों की तरह पशुओं और कुक्कुट में एंटीबायोटिक्स के न्यूनतम इस्तेमाल पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि उनमें एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने से रोकी जा सके।

इस दिशानिर्देश में पशुओं के लिए केवल एलोपैथिक इलाज प्रक्रिया पर निर्भर रहने की जगह वैकल्पिक दवाओं जैसे आयुर्वेद के इस्तेमाल की वकालत की गई है। इस मानक प्रक्रिया में 12 प्रमुख पशुओं के 270 से अधिक रोगों को शामिल किया गया है।

इस दिशानिर्देश को मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय ने तैयार किया है। इसे पशुधन और कुक्कुट के लिए मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (एसवीटीजी) कहा गया है। इस दिशानिर्देश का उद्देश्य प्रयोगशाला में पुष्टि होने से पहले तक सभी पशु रोगों के लिए लक्षण आधारित उपचार मुहैया कराना है।

इस दिशानिर्देश में कहा गया है जहां मानक उपचार उपलब्ध नहीं है और लक्षण आधारित इलाज किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमान न किया जाए या कम से कम किया जाए। संबंधित रोग की प्रयोगशाला में पुष्टि के बाद इलाज पशु इलाज के मानक दिशानिर्देश के अनुरूप होगा जैसा कि मानक पशु इलाज दिशानिर्देश में ब्योरा दिया गया है।

इस दिशानिर्देश को सभी राज्यों से परामर्श के बाद 80 से अधिक विशेषज्ञों ने तैयार किया है ताकि पशुचिकित्सकों को औपचारिक रूप से रोग की पहचान से पहले पशुओं के इलाज के बारे में जागरूक किया जा सके।

ये दिशानिर्देश ‘जीवंत दस्तावेज’ के रूप में डिजाइन किए गए हैं और और इनमें समय-समय पर नई अंतर्द़ृष्टि और इलाज के तरीकों के अनुसार सुधार किया जाता रहेगा। हालांकि, यह दिशानिर्देश सलाह के रूप में हैं और इनको लेकर नियामक की कोई कानूनी बंदिश नहीं है। पशुओं का इलाज करने के मामले में चिकित्सक का निर्णय ही अंतिम होता है।

संबंधित पशु चिकित्सक अपने पेशेवर निर्णय और संबंधित पशु की नैदानिक स्थिति के आधार पर भारतीय पशुचिकित्सा परिषद के अधिनियम, 1984 के अनुसार फैसला लेगा। केंद्रीय पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा ने कहा, ‘हम इस पहल के जरिये अतार्किक इलाज के तरीकों को रोकना चाहते हैं। हम इस दिशानिर्देश के जरिये पशु चिकित्सा औषधि प्रबंधन और तर्कसंगत रोगाणुरोधी उपचार को बढ़ावा देना चाहते हैं।

यह वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक्स को की बढ़ती प्रतिरोधक (एएमआर) चिंता को हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम है। एंटीबायोटिक्स को लेकर बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता मानव और मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करती है। पशु चिकित्सा उपचार दिशा-निर्देशों के सुसंगत अनुप्रयोग से यह सुनिश्चित होगा कि एंटीबायोटिक दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए, जिससे अति इस्तेमाल और दुरुपयोग के जोखिम को कम किया जा सके।

First Published - October 28, 2024 | 10:34 AM IST

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