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ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, संदेशखाली मामले में हस्तक्षेप करने से किया इनकार

5 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली मामले में जांच कर रही ED टीम पर हमले की जांच को CBI को सौंपने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ WB की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- March 11, 2024 | 5:40 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल सरकार की कलकत्ता हाईकोर्ट के ऑर्डर के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है। 5 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली मामले में जांच कर रही ED टीम पर हमले की जांच को CBI को सौंपने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ पश्चिम बंगाल की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।

बता दें कि केंद्रीय जांच एजेंसी (ED) टीएमसी सांसद शाहजहां शेख से जुड़े मामले में कई परिसरों की जांच करने गई थी, जिस दौरान उसपर हमला कर दिया गया था।

क्यों नहीं किया गया शाहजहां को गिरफ्तार?

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की बेंच कर रही थी। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि शेख को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है।

सुनवाई के दौरान बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस को लीड कर रहे सीनियर वकील जयदीप गुप्ता से कई सवाल किए और पूछा कि TMC के निलंबित नेता शाहजहां शेख को 5 जनवरी के हमले के बाद क्यों तुरंत गिरफ्तार नहीं किया गया और मामले की जांच में विलंब क्यों हुआ?

हाईकोर्ट की टिप्पटियों को हटाया

सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में ED के दल पर हमले के मामले में CBI को जांच ट्रांसफर करने का आदेश देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार, पुलिस के खिलाफ की गई हाईकोर्ट की टिप्पणियों को हटाया।

बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की इस दलील पर गौर किया कि अगर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को जांच ट्रांसफर करने के अंतिम आदेश को बरकरार रखा जाता है, तो उन्हें टिप्पणी हटाए जाने से कोई आपत्ति नहीं है। राजू ने कहा कि अगर जांच CBI को नहीं सौंपी जाती तो राज्य पुलिस द्वारा जांच मजाक बनकर रह जाती।

क्या थी पश्चिम बंगाल सरकार की कलकत्ता हाईकोर्ट के खिलाफ दलील?

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश अवैध और मनमाना है और इसे निरस्त किए जाने की तुरंत जरूरत है। राज्य सरकार ने कहा, ‘खंड पीठ द्वारा अपराह्न तीन बजे आदेश सुनाया गया और लगभग साढ़े तीन बजे तक हाई की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, लेकिन उसमें निहित निर्देशों का उसी दिन, पांच मार्च 2024 को शाम साढ़े चार बजे तक याचिकाकर्ता/राज्य सरकार द्वारा अनुपालन किये जाने की आवश्यकता थी, जो संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत राहत पाने के याचिकाकर्ता के अधिकार के अनुरूप नहीं था।’

राज्य सरकार ने कहा कि असल में, याचिकाकर्ता राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता ने कानूनी उपचार हासिल करने के लिए उक्त आदेश पर तीन दिनों का स्थगन लगाने का अनुरोध किया, लेकिन खंडपीठ ने न केवल इस तरह के अनुरोध को खारिज कर दिया, बल्कि उसे आदेश में दर्ज करने से भी इनकार कर दिया।

First Published : March 11, 2024 | 5:40 PM IST