केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की ग्रिड स्तर की पहले बैटरी ऊर्जा स्टोरेज प्रणाली (बीईएसएस) के तहत तय हुए टैरिफ (शुल्क) को खारिज कर दिया है। सीईआरसी सौर ऊर्जा क्षेत्र का शीर्ष अर्द्ध-न्यायिक नियामक है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के तहत सेकी नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजना की निविदा एजेंसी है और उसे साल 2022 में यह परियोजना 2022 दी गई थी।
सीईआरसी ने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘ऊर्जा आपूर्ति और खरीद समझौतों (पीएसए व पीपीए) में दस्तखत पर देरी और पिछले दो वर्षों में बीईएसएस के मूल्यों कमी होना इस शुल्क को खारिज करने का कारण है। सेकी के परियोजना आवंटन में पीएसए और पीपीए पर हस्ताक्षर में देरी के कारण पहले ही विवाद शुरू हो चुका है। इस मामले में अदाणी समूह की कथित रिश्वत देने के मामले में अमेरिका में भी जांच चल रही है।
सेकी द्वारा अप्रैल 2022 में पेशकश की गई बीईएसएस की 1,000 मेगावॉट परियोजना के बारे में सवाल उठे हैं। यह विद्युत मंत्रालय द्वारा देश में ऊर्जा स्टोरेज परियोजनओं के लिए पेश मानक निविदा दिशानिर्देश के बाद जारी बीईएसएस की पहली निविदा थी।
इस परियोजना की रिवर्स ऑक्शन के जरिये अगस्त 2022 में निविदा जारी करने की प्रक्रिया पूरी हुई थी। सेकी ने सीईआरसी को जानकारी दी कि कुल 1000 मेगावाॅट की दो परियोजनाओं के लिए 10,88,917 रुपये प्रति मेगावाॅट प्रति महीने की सबसे कम निविदा की वजह से जेएसडब्ल्यू एनर्जी को इसे आवंटित किया गया। सेकी ने बताया कि इसके पांच महीने बाद जनवरी 2023 में जेएसडब्ल्यू को आवंटन पत्र (एलओए) दिया गया।
फिर इसके पांच महीने बाद गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के साथ बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) पर हस्ताक्षर किया गया। इसके बाद सेकी ने फरवरी 2024 में आंशिक रूप से आवंटित क्षमता के लिए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए थे।
सीईआरसी ने मामले की कार्यवाही के दौरान कहा, ‘हमने यह पाया कि ई-रिवर्स ऑक्शन 25.08.2022 को हुई, जबकि आवंटन पत्र जारी करने में 145 दिन की देरी हुई। इसके अलावा अभिरुचि पत्र जारी होने के 160 दिन बाद पीएसए लागू हुआ था। सेकी ने जीयूवीएनएल के साथ पीएसए पर हस्ताक्षर होने के 245 दिन बाद सफल बोलीकर्ता के साथ 150 मेगावाॅट की क्षमता के लिए पीपीए पर हस्ताक्षर किया था। सेकी ने इस देरी के बारे में कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है।’
आयोग ने सेकी द्वारा दो वर्ष की देरी के बाद बीईएसएस परियोजनाओं के दाम में कमी आने का बिंदु भी उठाया है।
सीईआरसी के मुताबिक उसे सेकी की अगस्त 2024 में आई एक अन्य निविदा में बीईएसएस की कीमत 3,81,999 रुपये से घटकर 3,81,000 प्रति मेगावाॅट प्रति माह होने की जानकारी मिली है।
सीईआरसी ने उल्लेख किया, ‘हमारा विचार यह है कि यह गिरावट लागत सामग्री के दाम में कमी से बैटरी की गिरती कीमतों और बीईएसएस की परियोजनाओं में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दिखाती है। हमारा नजरिया यह है कि नीलामी की प्रक्रिया दिशानिर्देर्शों के तहत हुई है लेकिन जो शुल्क प्रस्तावित किया गया वह पीएसए और पीपीए हस्ताक्षर करने में हुई देरी की वजह से बाजार के अनुरूप नहीं है।’
इसमें आगे जानकारी दी गई है कि याचिकाकर्ता (सेकी) द्वारा बताए गए घटनाक्रम से पता चलता है कि दिशानिर्देशों और आरएफएस दस्तावेजों में निर्दिष्ट समयसीमा को प्राप्त करने में देरी हुई है।
सीईआरसी ने कहा, ‘हमारा मानना यह है कि इस मामले में अतार्किक देरी (यह किसी भी कारण हो) से डेवलेपर को गैर इरादतन लाभ पहुंचाएगी और आम लोगों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।’
सीईआरसी ने अंतिम आदेश में न सिर्फ शुल्क को खारिज कर दिया बल्कि विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत समयसीमा का पालन नहीं करने पर सेकी को फटकारभी लगाई।
इसमें कहा गया, ‘इस मामले में आयोग का शुल्क को स्वीकार करने का अनुरोध निरस्त करने का एकमात्र आधार मौजूदा परिस्थितियां हैं। वह हैं- बीईएसपीए/बीईएसएसए के हस्ताक्षर में देरी करने और बीईएसएस की लागत घटने से डेवलपर को उपभोक्ताओं की कीमत पर अनुचित रूप से फायदे के आसार। सेकी को समयसीमा का पालन करने में अधिक सचेत रहना चाहिए था।’