Republic Day 2025: भारत के 76वे गणतंत्र दिवस पर रविवार को आयोजित भव्य परेड में कर्तव्य पथ पर देश की सैन्य शक्ति के साथ ही सांस्कृतिक विविधता और विरासत की भी झलक देखने को मिली। इस दौरान इक्रो-फैंडली खिलौनों पर आधारित आंध्र प्रदेश की झांकी ने दर्शकों से जमकर प्रशंसा बटोरी। ‘एटिकोप्पका बोम्मालू’ के नाम से मशहूर उत्तम लकड़ी के बने खिलौने राज्य के एटिकोप्पका गांव में तैयार किए जाते हैं। यह लगातार तीसरा साल है जब 26 जनवरी पर आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत गणतंत्र दिवस परेड में दिखाई दी।
आंध्र प्रदेश की झांकी में 35 फुट ऊंची भगवान विनायक की मूर्ति थी और साथ ही कारीगरों की 18 सदस्यीय टीम खिलौने तैयार करती दिखाई दी। जब यह झांकी कर्तव्य पथ पर गुजरी तो वहां उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत किया। ‘एटिकोप्पका बोम्मालू’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर ये खिलौने बेहद खूबसूरत होते हैं और इन पर प्राकृतिक रंग किया जाता है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि खिलौने अक्सर पौराणिक आकृतियों, जानवरों और आकृतियों और मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी प्राचीन सभ्यताओं में पाई जाने वाली मूर्तियों को चित्रित करते हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक इस प्रक्रिया के चलते सुरक्षित, चमकीले रंग के खिलौने बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं और दुनियाभर में संग्रहकर्ताओं द्वारा इनकी प्रशंसा की जाती है।
एटिकोप्पका के इन खिलौनों को दुनियाभर में खूब पंसद किया जाता है। विशाखापत्तनम जिले में एटिकोप्पका गांव के कारीगर इन खिलौनों को तैयार करते हैं। इन्हें भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा और गैर-हानिकारक का प्रमाणन मिल चुका है। इससे इसकी प्रामाणिकता और पंसद और बढ़ गई है। ये पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित हैं। ये खिलौने स्थिरता, कल्पना और कलात्मकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। बयान में कहा गया, ‘‘एटिकोप्पका बोम्मालु परंपरा और नवाचार के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए आंध्र प्रदेश के कारीगरों की विरासत को संरक्षित भी करता है।’’