रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि सशस्त्र बलों को बहुआयामी माहौल में काम करने के लिए तैयार रहना होगा, जहां साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध परंपरागत युद्धों की तरह ही घातक होंगे। राजनाथ ने कहा, ‘हम ‘ग्रे जोन’ और ‘हाइब्रिड’ (मिश्रित) युद्ध के युग में हैं, जिसमें साइबर हमले, गलत सूचना अभियान और आर्थिक मोर्चेबंदी ऐसे हथियार बनकर उभरे हैं, जिनके जरिए एक भी गोली चलाए बिना राजनीतिक-सैन्य उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले से कहीं अधिक प्रभावित कर रही है और युद्ध की परंपरागत धारणाएं नए सिरे से परिभाषित की जा रही हैं। इसलिए भारत के लिए भविष्य के लिहाज से स्वदेशी रक्षा ढांचा विकसित करना रणनीतिक रूप से बहुत जरूरी हो गया है।
‘ग्रे जोन’ का मतलब ऐसे कालखंड से है, जहां युद्ध और शांति के बीच के समय में राज्य और राज्येत्तर तत्वों के बीच एक-दूसरे पर हावी होने की प्रतिस्पर्धा होती है। इसमें गैर-परंपरागत तरीकों और रणनीतियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो परंपरागत युद्ध के दायरे में नहीं आते।
तमिलनाडु के वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) के 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि युद्ध भूमि में तकनीकी नवाचार की ताकत वाकई अद्भुत है। उन्होंने कहा, ‘आज प्रौद्योगिकी भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रही है।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स, सैन्य स्वायत्तता, ड्रोन विज्ञान, क्वांटम, ब्लॉक चेन, अंतरिक्ष, साइबर सहित अन्य उभरती प्रौद्योगिकियां प्रतिरोध और युद्ध लड़ने के तौर-तरीके में क्रांति ला रही हैं। युद्ध अब जमीन, समुद्र और आकाश जैसे परंपरागत क्षेत्रों से परे अंतरिक्ष, साइबर, समुद्र के नीचे और रचनात्मकता के नए क्षेत्रों में लड़े जा रहे हैं।’