वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत राजेश अग्रवाल 1 अक्टूबर को वाणिज्य सचिव का पदभार ग्रहण करेंगे। वह वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल की जगह लेंगे, जो आज 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अग्रवाल की नियुक्ति से एक सहज बदलाव और नीतिगत निरंतरता बने रहने की उम्मीद है। खासकर ऐसे समय में यह महत्त्वपूर्ण है, जब विभाग भारत के प्रमुख व्यापार भागीदारों के साथ गहन व्यापार वार्ता में लगा हुआ है।
1994 बैच के मणिपुर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अग्रवाल दिसंबर 2022 से वाणिज्य विभाग में हैं। वह अतिरिक्त सचिव के रूप में विभाग में आए थे। तब से उन्होंने भारत की व्यापार नीतियों को आकार देते हुए कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
उनकी तात्कालिक प्राथमिकताओं में से एक भारत और अमेरिका के बीच एक ‘आपसी रूप से लाभकारी’ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना शामिल होगा। अमेरिका के साथ मार्च में बातचीत शुरू होने के बाद से ही वह मुख्य वार्ताकार के रूप में काम कर रहे हैं।
नई भूमिका में अग्रवाल के सामने कई चुनौतियां है। इस साल की शुरुआत में अमेरिका के संरक्षणवादी फैसलों की सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका के उपायों से भारत की निर्यात वृद्धि पर दबाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि अमेरिका इस समय भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वाणिज्य सचिव के रूप में अग्रवाल अधिकारियों के एक दल का नेतृत्व करेंगे। वह भूराजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच निर्यातकों के हित में महत्त्वपूर्ण फैसले करेंगे। साथ ही वह कई व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाएंगे, जिनमें यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चिली, पेरू, ओमान, रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन (ईएईयू) जैसे देशों और ब्लॉकों के साथ चल रही बातचीत शामिल है।
उन्होंने इंडिया-आसियान ट्रेड इन गुड्स एग्रीमेंट (एआईटीआईजीए) पर बाचचीत का नेतृत्व किया है। साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और पेरू के साथ प्रस्तावित व्यापक व्यापार सौदों के लिए भी बातचीत का नेतृत्व किया। वह बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में अमेरिका द्वारा शुरू किए गए इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के लिए भी मुख्य वार्ताकार थे।