भारत में कोविड-19 के नई पीढ़ी के टीके जल्द ही उपलब्ध हो सकते हैं क्योंकि कई कंपनियां इसे बाजार में उतारने की तैयारी कर रही हैं। हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई ने सार्स-कोव-2 वायरस के एक्सबीबी 1.5 वेरिएंट से लड़ने के लिए अगली पीढ़ी के कोविड-19 टीके का क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है। इसके शुरुआती नतीजे जून में आने की उम्मीद है।
विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने पिछले महीने पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ओमिक्रॉन एक्सबीबी 1.5 वेरिएंट वाले कोविड-19 टीके के लिए अनुमति देने की सिफारिश की थी। इसके तहत आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए स्थानीय क्लीनिकल परीक्षण से छूट दी गई थी। फिलहाल भारतीय बाजार में एक्सबीबी 1.5 वेरिएंट वाला कोई टीका नहीं है।
वरिष्ठ महामारी विज्ञानी जयप्रकाश मुलियिल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फिलहाल बाजार में उपलब्ध कोई भी टीका इस समय फैल रहे कोविड-19 वेरिएंट से नहीं बचा सकता। ओमीक्रॉन वेरिएंट का प्रकोप थम गया है और उसके लिए किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं है। ओमीक्रॉन कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त प्रतिरक्षा भी प्रदान करता है।’
नई पीढ़ी के ये टीके विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिसंबर 2023 के दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं, जिनमें कोविड-19 टीके में एंटीजन के रूप में एक मोनोवैलेंट एक्सबीबी 1.5 एंटीजन रखने की सलाह दी गई थी।
डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि सार्स-कोव-2 वायरस अपने स्पाइक प्रोटीन में बड़े आनुवंशिक और एंटीजन बदलाव के साथ फैल रहा है। सार्स-कोव-2 में हो रहे बदलाव और इस समय चल रहे वेरिएंट के खिलाफ मोनोवैलेंट एक्सबीबी 1.5 टीकों की प्रतिरक्षा क्षमता को देखते हुए डब्ल्यूएचओ के तकनीकी परामर्श समूह ने एक्सबीबी 1.5 को कोविड-19 टीके का एंटीजन बनाए रखने की सलाह दी थी।
बायोलॉजिकल ई को दिसंबर से जनवरी के बीच नई पीढ़ी के इस टीके के लिए क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने की इजाजत भारतीय औषधि नियामक से मिल गई थी। कंपनी के एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी कई केंद्रों पर क्लीनिकल परीक्षण पहले ही शुरू कर चुकी है और जून में उसके शुरुआती नतीजे आने की उम्मीद है।
एसईसी ने 7 दिसंबर को 5 से 80 वर्ष उम्र के लोगों के बीच बायोलॉजिकल ई के एक्सबीबी 1.5 रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन सबयूनिट कोविड-19 टीके की प्रतिरक्षा एवं सुरक्षा का आकलन करने के लिए तीसरे चरण के अध्ययन की अनुमति दी थी।
इस बीच कोविड-19 एसईसी ने सीरम के एक्सबीबी 1.5 वेरिएंट पर आधारित टीके के लिए आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए स्थानीय क्लीनिकल परीक्षण से छूट के साथ अनुमति देने की सिफारिश की है। यह टीका नोवावैक्स कोविड-19 टीके से बना है। एसईसी ने 12 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों के बीच इसके उपयोग की भी सिफारिश की है।
सीरम ने एक्सबीबी 1.5 बूस्टर खुराक के लिए सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा संबंधी आकलन के वास्ते अमेरिका में चल रहे क्लीनिकल परीक्षण की क्लीनिकल पूर्व अध्ययन रिपोर्ट एवं अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
नोवोवैक्स को अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों से मंजूरी प्राप्त है। एसईसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल तक अमेरिका और यूरोपीय संघ को करीब 4.2 करोड़ खुराक का निर्यात किया गया और अमेरिका में बिना किसी सुरक्षा चिंता के अब तक लोगों को करीब 2 लाख खुराक दी जा चुकी है।
एसईसी ने यह भी कहा है कि देश में चिकित्सा जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं। उसने कहा, ‘फिलहाल भारत में एक्सबीबी 1.5 स्ट्रेन पर आधारित किसी टीके को मंजूरी नहीं मिली है।’
सीरम को भारत में चौथे चरण का अध्ययन करने और अध्ययन के लिए प्रोटोकॉल तीन महीने में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। वास्तविक जीवन में टीके के उपयोग के दीर्घकालिक जोखिम एवं फायदों का अध्ययन करने के लिए चौथे चरण का अध्ययन किया जाता है।
सार्स-कोव-2 वायरस में बदलाव जारी है और डब्ल्यूएचओ ने 26 अप्रैल को कहा था कि इस वायरस के के जेएन1 से विकसित होने की संभावा है। इसलिए डब्ल्यूएचओ टैग ने मोनोवैलेंट जेएन के उपयोग की सलाह दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए कुछ टीकों का भंडार बनाए रखना चाहिए।