जनता दल (यूनाइटेड) को इस बात की उम्मीद है कि भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया), बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक घोषित कर सकता है। विपक्षी दलों के गठबंधन के अधिकांश दल, विशेष रूप से कांग्रेस इस नियुक्ति को लेकर सहमत हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से दो महीने की भारत न्याय यात्रा शुरू कर रहे हैं जिसमें वह मणिपुर से मुंबई तक की दूरी तय करेंगे ऐसे में इस यात्रा से पहले इंडिया कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए तैयार है। इन निर्णय में नीतीश को गठबंधन का संयोजक घोषित करना और बिहार तथा महाराष्ट्र जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण राज्यों में सीट-बंटवारे की बातचीत को अंतिम रूप देना शामिल है।
पिछले हफ्ते ही नीतीश जद (यू) के अध्यक्ष बने हैं और उसके बाद ही कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे संपर्क करते हुए गठबंधन के संयोजक के रूप में उन्हें समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा कांग्रेस, अन्य नेताओं को भी गठबंधन का महत्त्वपूर्ण चेहरा तय करने को लेकर राजी कर रही है क्योंकि फरवरी 2023 से ही गठबंधन को आकार देने में बिहार के मुख्यमंत्री ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पिछले साल 18 फरवरी को पटना में माकपा की एक बैठक में, नीतीश और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी गठबंधन बनाने के लिए विचार-विमर्श करना शुरू किया था जिन्हें उनकी पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भेजा था। इसके बाद, गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने जून महीने में पटना में अपनी पहली बैठक की थी।
इंडिया गठबंधन के सूत्रों का कहना है कि नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने से इंडिया गठबंधन की विश्वसनीयता बढ़ेगी और विशेष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की मांग की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। बिहार सरकार ने वर्ष 2023 में एक जातिगत सर्वेक्षण कराया और उसका ब्योरा सार्वजनिक मंच पर रख दिया।
इन दिनों कांग्रेस की पांच सदस्यीय गठबंधन समिति महाराष्ट्र और बिहार में सीट-बंटवारे की बातचीत को अंतिम रूप देने में व्यस्त है। हालांकि, पंजाब को लेकर अभी कोई खास पहल नहीं हुई है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस की प्रदेश इकाइयों ने दोनों दलों के बीच किसी भी सीट-बंटवारे का विरोध किया है और इनका कहना है कि भाजपा के खिलाफ दोनों दलों का एक साथ होगा, जो राज्य में वोट प्रतिशत के लिहाज से चौथे स्थान पर है। भाजपा का प्रभाव केवल पंजाब के शहरी क्षेत्रों के हिंदू समुदाय तक ही है।
कांग्रेस ने दक्षिण भारत पर जोर देना जारी रखा है क्योंकि उसे यकीन है कि पार्टी यहां अपनी लोकसभा सीटें बढ़ा सकती है। वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक वाईएस शर्मिला अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करने के लिए बुधवार को दिल्ली में होंगी। शर्मिला दिल्ली में खरगे और सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकती हैं। उनकी पार्टी ने तेलंगाना विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का समर्थन किया था, जिसमें कांग्रेस को जीत मिली।
सोरेन ने किया पत्नी के चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को गांडेय विधानसभा सीट से पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने के कयासों को खारिज करते हुए इसे भाजपा की ‘दिमागी उपज’ करार दिया। सोरेन ने कहा कि इन कयासों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी के निकट भविष्य में चुनाव लड़ने की संभावना पूरी तरह से भाजपा की दिमागी उपज है। उन्हें सत्ता सौंपने के कयास भाजपा द्वारा गलत विमर्श पेश करने के लिए गढ़ा गया है।’
झामुमो नीत गठबंधन ने बुधवार को रांची में अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने गठबंधन दलों के मंत्रियों और विधायकों को लिखे गए पत्र में कहा, ‘3 जनवरी को शाम 4.30 बजे मुख्यमंत्री आवास पर गठबंधन सहयोगियों के विधायकों की बैठक बुलाई गई है। कृपया बैठक में समय पर भागीदारी सुनिश्चित करें।’
इधर, भाजपा का प्रतिनिधिमंडल झारखंड के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात कर उनसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अपनी पत्नी का नाम इस पद के लिए प्रस्तावित किए जाने के मामले में अटॉर्नी जनरल और कानूनी विशेषज्ञों से सुझाव लेने का आग्रह करेगा।