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राज्यों के ग्रिड से जोड़ने पर विद्युत मंत्रालय का जोर, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को मिलेगी बढ़त

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को मौजूदा आईएसटीएस छूट तब दी जाती है, जब वे राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ती हैं

Last Updated- July 04, 2024 | 10:19 PM IST
renewable energy

राज्यों के स्तर पर बिजली पारेषण से जुड़े बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सभी क्षेत्रों में नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा (आरई) कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के मकसद से विद्युत मंत्रालय आगामी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को राष्ट्रीय ग्रिड के बजाय राज्य के ग्रिड से जोड़ने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने की योजना बना रहा है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को मौजूदा आईएसटीएस छूट तब दी जाती है, जब वे राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ती हैं लेकिन इस पर अगले वित्त वर्ष में पुनर्विचार किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि राज्यों के ग्रिड से जोड़ने की लागत, राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने की तुलना में कम है, ऐसे में आरई परियोजना डेवलपरों के लिए यह लाभदायक होगा और इससे देश में हरित ऊर्जा की लागत में कमी आएगी।

जैसे-जैसे राज्यों के भीतर अधिक पारेषण परियोजनाएं आएंगी, केंद्र को उम्मीद है कि इससे राज्य बिजली बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। विद्युत मंत्रालय ने सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए 2019 में इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की माफी की घोषणा की। आईएसटीएस शुल्क 1 रुपये से लेकर 2.5 रुपये प्रति यूनिट तक है।

छूट के कारण 2019 से आरई परियोजनाओं की बिजली सस्ती हुई है। केंद्र सरकार हर साल छूट बढ़ा रही है और अब इसे जून 2025 तक के लिए कर दिया गया है। इसमें अन्य आरई स्रोतों जैसे पंप्ड हाइड्रो, बैटरी स्टोरेज, ग्रीन हाइड्रोजन, ऑफशोर विंड आदि को भी छूट वाली परियोजनाओं में शामिल कर लिया गया है।

First Published - July 4, 2024 | 10:19 PM IST

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