महाराष्ट्र में एक केंद्रीय मंत्री समेत दो नेताओं ने राज्य सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना (एमएमएलबीवाई) को लेकर मतदाताओं और उद्योग जगत की वास्तविकता दिखाने का प्रयास किया है। ये दोनों नेता केंद्र सत्ताधारी गठबंधन के हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ समय पहले उद्योग जगत को चेताया था कि सब्सिडी और अनुदान के सहारे चलना ठीक नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार को एमएमएलबीवाई जैसी तमाम कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी धन की आवश्यकता होती है।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि एमएमएलबीवाई की अक्टूबर की किस्त निकल जाने के बाद राज्य सरकार का खजाना खाली हो जाएगा और जनवरी के महीने में सरकार को अपने कर्मचारियों-अधिकारियों को वेतन देना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अच्छा होता सरकार ऐसी योजनाओं के बजाय जरूरत मंद लोगों को नौकरियां देती।
लगातार बढ़ती बेरोजगारी के आंकड़ों को देखते हुए ठाकरे की बात में दम नजर आता है, क्योंकि वर्ष 2023-24 (जुलाई से जून तक) में राज्य में बेरोजगारी दर 3.3 प्रतिशत रही जो राष्ट्रीय औसत 3.2 प्रतिशत से अधिक है। यही नहीं, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार पिछले साल नौकरियां जाने की दर भी राज्य में 3.1 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसका आंकड़ा स्थिर रहा।
मध्य प्रदेश में पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव में सीएम लाडली बहना योजना की मतदाताओं में सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने इसी साल के शुरू में ही मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना लागू की थी।
इस योजना के तहत 21 से 65 वर्ष आयु की पात्र महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं, जिससे राज्य सरकार के खजाने पर वार्षिक स्तर पर 46,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है। अब सरकार मतदाताओं से इस योजना की राशि को दोगुना कर 3,000 रुपये करने का वादा कर रही है। राज्य में चुनावी गतिविधियां शुरू हो जाने के कारण सरकार ने नवंबर की किस्त एक महीने पहले ही जारी कर दी है। राज्य में 20 नवंबर को एक चरण में वोट डाले जाएंगे और परिणाम तीन दिन बाद 23 तारीख को आएंगे।
एमएमएलबीवाई इन्हीं में से एक है। खास यह कि इसी साल हुए लोक सभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी ने राज्य की 48 में से 30 सीट पर जीत दर्ज की थी। मतदाताओं को लुभाने के लिए महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने 2024-25 के बजट में कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की थी।
इसके अलावा, बजट में प्रति परिवार हर साल मुफ्त तीन गैस सिलिंडर, किसानों के बकाया बिजली बिल माफ करने और युवाओं को कौशल विकास के लिए 10,000 रुपये देने का प्रावधान किया गया। वित्त वर्ष 2025 का अंतरिम बजट भी पहले ही फरवरी में पेश किया जा चुका है।
इन कल्याणकारी योजनाओं के कारण राज्य का राजस्व व्यय 5.19 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है जो अंतरिम बजट में प्रस्तावित 5.08 लाख करोड़ रुपये से 2.16 प्रतिशत अधिक है। पूंजीगत व्यय अंतरिम बजट में प्रस्तावित 92,030 करोड़ के मुकाबले 92,779 करोड़ रुपये हो गया है।
सरकार द्वारा इस प्रकार सावधानीपूर्वक किए गए इंतजाम से समग्र राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के प्रतिशत के रूप में कुल व्यय के साथ-साथ पूंजीगत व्यय में राजस्व और पूंजीगत व्यय का अनुपात पिछले नौ वर्षों के रुझानों के अनुरूप बना रहे। हालांकि, पूर्व में कुल व्यय का 80 से 90 प्रतिशत राजस्व खर्च की मद में चला जाता था। इसके अतिरिक्त पूंजीगत व्यय का एक हिस्सा संपत्ति बढ़ाने में जाता था, जिसे पूंजीगत अनुदान कहा जाता है।
राज्य का कर राजस्व (ओटीआर) 3.4 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर रहने का अनुमान जताया गया है। यह राजस्व प्राप्तियों का 68.7 प्रतिशत होता है। चूंकि यह आंकड़ा पिछले नौ वर्षों के रुझान को दर्शाता है और अंतरिम बजट में प्रस्तावित 68.78 प्रतिशत से थोड़ा ही कम 68.68 प्रतिशत दिखता है।
रणनीतिक व्यय बढ़ने से अंतरिम बजट के मुकाबले राजस्व और वित्तीय घाटे का लक्ष्य बढ़ गया है। राजस्व घाटा दोगुने से भी ज्यादा 20,051 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जिसके अंतरिम बजट में 9,734 करोड़ रुपये रहने की बात कही गई थी। इसी प्रकार वित्तीय घाटा भी 1.1 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान जाहिर किया गया है जबकि अंतरिम बजट में इसके 0.99 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया था।
जीएसडीपी के प्रतिशत के मामले में देखें तो राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2025 में मामूली बढ़कर 0.5 प्रतिशत हो जाने का अनुमान लगाया गया है, अंतरिम बजट में जिसके 0.3 प्रतिशत रहने का अनुमान था। इसी प्रकार वित्तीय घाटे के बारे में कहा गया था कि यह 2.3 प्रतिशत रहेगा, लेकिन इसके 2.6 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है।
राज्य अपने वित्तीय घाटे को जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत तक रख सकते हैं । इसमें से 0.5 प्रतिशत को ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों से जोड़ सकते हैं। पिछले महीने के शुरू में राज्य सरकार ने मुंबई शहर के सभी पांच टोल बूथ पर वाहनों को टोल फ्री करने का ऐलान किया था। इससे भी राज्य का राजस्व मामूली रूप से प्रभावित हो सकता है।
पिछले नौ वर्षों में राज्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक रही है। हालांकि 2017-18 के बाद से राष्ट्रीय और राज्य के औसत आय के अंतर में कमी आने लगी थी। अब यह पुन: बढ़ना शुरू हो गया है, लेकिन राज्य में वित्त वर्ष 2023-24 में अनुमानित प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से डेढ़ गुना रहेगी।
मतदाताओं के लिए बढ़ती कीमतों का दबाव सबसे बड़ी चिंता है। मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों में राष्ट्रीय रुझान की तरह कीमतों का दबाव कम नहीं हुआ है। इस अवधि में राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले महाराष्ट्र में महंगाई कम हुई है।
हालांकि आम आदमी को जो चीज सबसे अधिक प्रभावित करती है, वह है खाद्य सामग्री की कीमतें। महाराष्ट्र में अप्रैल से सितंबर के बीच खाद्य सामग्री के दाम 7.1 प्रतिशत तक बढ़े हैं। राष्ट्रीय स्तर भी कीमतों में इसी प्रकार इजाफा हुआ है, लेकिन राज्य में खाद्य वस्तुओं और पेय पदार्थों की महंगाई 8.9 प्रतिशत रही जो राष्ट्रीय औसत 8.4 प्रतिशत से कहीं अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो महंगाई ने और कमर तोड़ दी, जहां औसत महंगाई का आंकड़ा 9.1 प्रतिशत तक पहुंच गया जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 8.4 प्रतिशत रहा।