facebookmetapixel
Equity-Linked Savings Scheme: चटपट के फेर में न आएं, लंबी रकम लगाएं अच्छा रिटर्न पाएंदेश-दुनिया में तेजी से फैल रही हाथरस की हींग की खुशबू, GI टैग और ODOP ने बदली तस्वीरखेतों में उतरी AI तकनीक: कम लागत, ज्यादा पैदावार और किसानों के लिए नई राहChildren’s Mutual Funds: बच्चों के भविष्य के लिए SIP, गुल्लक से अब स्मार्ट निवेश की ओरDPDP एक्ट से बदलेगी भारत की डिजिटल प्राइवेसी की दुनिया: DSCI CEOसीनियर सिटिजन्स के लिए FD पर 8% तक का ब्याज, ये 7 छोटे बैंक दे रहे सबसे ज्यादा रिटर्नMarket Outlook: विदेशी निवेशकों का रुख, डॉलर की चाल, व्यापक आंकड़े इस सप्ताह तय करेंगे शेयर बाजार की दिशाSMC Bill 2025: क्या घटेगी सेबी की ताकत, निवेशकों को मिलेगा ज्यादा भरोसा? जानिए इस विधेयक की खास बातेंघर बनाने का सपना होगा आसान, SBI का होम लोन पोर्टफोलियो 10 ट्रिलियन पार करेगाMCap: 6 बड़ी कंपनियों का मार्केट वैल्यू बढ़ा ₹75,257 करोड़; TCS-Infosys की छलांग

राजनीति में मिशन लेकर आएं, एंबिशन नहीं: पीएम मोदी

‘जीरोधा’ के सह-संस्थापक निखिल कामत के पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कई अनछुए पहलुओं पर की खुलकर बात

Last Updated- January 10, 2025 | 10:33 PM IST
PM Narendra Modi- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सफलता का मानक यही होगा कि वह ऐसी टीम तैयार करें जो आने वाले वर्षों में चीजों को सफलतापूर्वक संभाले। निवेश की सुविधा देने वाले ऑनलाइन मंच ‘जीरोधा’ के सह-संस्थापक निखिल कामत के पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के युवाओं की क्षमता पर भरोसा जताया। मोदी ने कहा कि वह पुराने विचारों को त्यागने और नए विचारों को अपनाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, बशर्ते वे ‘राष्ट्र प्रथम’ की उनकी मूल विचारधारा में फिट हों। दो घंटे के इस पॉडकास्ट में मोदी ने व्यक्तिगत एवं नेतृत्व क्षमता समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात रखी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा दौर में कई ऐसे युवा नेता हैं, जिनमें क्षमता है। जब कामत ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने अपने बाद के समय के लिए कोई योजना बनाई है, मसलन उन लोगों को प्रशिक्षित करना, जिन पर उन्हें विश्वास है और वह भी आज के लिए नहीं, बल्कि 20-30 साल बाद के लिए, तो मोदी ने कहा, ‘मैं उन लोगों को देख सकता हूं, जिनमें बहुत अधिक क्षमता है। जब मैं गुजरात में था, तो कहता था कि अगले 20 साल तक के लिए टीम बनाकर जाना चाहता हूं। मैं यही कर रहा हूं। मेरी सफलता इसी बात में निहित है कि मैं अपनी टीम को कैसे तैयार करता हूं, जो चतुराई से चीजों को संभालने में सक्षम हो। यही मेरा बेंचमार्क है।’ उन्होंने कहा कि राजनीति में अच्छे लोग आते रहने चाहिए। यहां वे ‘मिशन’ लेकर आएं, ‘एंबिशन’ (महत्वाकांक्षा) लेकर नहीं।

प्रधानमंत्री ने अमेरिका द्वारा 2005 में उन्हें वीजा नहीं देने को व्यक्तिगत धक्का बताने से इनकार करते हुए कहा कि पहले भी अमेरिका जा चुके थे और वहां जाने की उनकी कोई निजी इच्छा नहीं थी, लेकिन यह फैसला लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार, एक राज्य और देश के लिए अपमानजनक था। उन्होंने कहा कि उस दिन उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब भारतीय वीजा पाने के लिए विश्व भर के लोग लाइन लगाए खड़े होंगे। उन्होंने कहा, ‘वह समय आ गया है। मैं ऐसा होते देख रहा हूं।’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी युवा राजनेता में ऐसी क्षमता देखते हैं, उन्होंने कहा, ‘बहुत लोग हैं जी।’ उन्होंने कहा, ‘वे दिन-रात मेहनत करते हैं। मिशन मोड में काम करते हैं। मैं नाम लूंगा, तो बाकी के साथ अन्याय हो जाएगा। मेरा दायित्व बनता है कि मैं किसी के साथ अन्याय न करूं। मेरे सामने कई नाम हैं, कई चेहरे हैं।’

यह पूछे जाने पर कि क्या कोई ऐसी चीज है, जिसे वह 10-20 साल पहले मानते थे, लेकिन अब नहीं, इसके जवाब में मोदी ने कहा कि वह एक ही विचारधारा में पले-बढ़े हैं और वह है ‘राष्ट्र प्रथम’। उन्होंने कहा, ‘अगर मेरा एक टैगलाइन है, तो वह है राष्ट्र प्रथम। यह मुझे विचारधारा के बंधनों में बांधता नहीं है, परंपराओं के बंधन में बांधता नहीं है। आगे ले जाने के लिए जो जरूरी होता है, मैं करता हूं। पुरानी चीज छोड़नी है, तो मैं छोड़ने के लिए तैयार हूं। नई चीज स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। लेकिन मापदंड एक ही है, तराजू एक ही है और वह है राष्ट्र प्रथम। मैं तराजू नहीं बदलता हूं।’

मोदी ने कहा कि उन्होंने कभी भी खुद को ‘कम्फर्ट जोन’ (आरामदायक स्थिति) तक सीमित नहीं रखा और जोखिम उठाने की उनकी क्षमता का शायद ही कभी इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘जोखिम लेने की मेरी क्षमता का अभी पूरी तरह उपयोग हुआ ही नहीं है। मैंने अपने विषय में कभी सोचा ही नहीं है, और जो अपने बारे में नहीं सोचता, उसके पास जोखिम लेने की क्षमता बेहिसाब होती है।’ उन्होंने कहा, ‘अब मेरी सोच 2047 तक विकसित भारत बनाने पर टिकी है।’

कैसे पूरी की अपनी इच्छाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बचपन में घर-द्वार छोड़ने के बाद जब वह राजनीति में आए और गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों, सभी शिक्षकों, वृहद परिवार और संन्यासी के रूप में जीवन यापन के दौरान पेट भरने वालों को मुख्यमंत्री आवास पर आमंत्रित कर अपनी चार प्रमुख इच्छाओं को पूरा किया। इस पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि दोस्तों को मुख्यमंत्री आवास बुलाने का मकसद यह था कि उन्हें बताऊं कि मैं कोई तीस मार खां नहीं हूं, आज भी वही हूं।

मोदी ने कहा, ‘शायद 30-35 लोग इकट्ठे हुए थे। रात को खाना-वाना खाया। गपशप मारकर बचपन की यादें ताजा कीं। लेकिन मुझे बहुत आनंद नहीं आया, क्योंकि मैं दोस्त खोज रहा था लेकिन उनको मुख्यमंत्री नजर आता था। वह खाई पटी नहीं मेरे जीवन में। तू बोलने वाला कोई बचा ही नहीं। ऐसी स्थिति हो गई।’ (साथ में एजेंसियां)

First Published - January 10, 2025 | 10:33 PM IST

संबंधित पोस्ट