कृषि विशेषज्ञों ने पीएम-किसान के तहत सालाना सहयोग 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने, कृषि क्षेत्र में शोध एवं विकास (आरऐंडडी) के लिए ज्यादा धन आवंटित करने और किसानों को मिलने वाली सभी तरह की सब्सिडी का डीबीटी के माध्यम से सीधे हस्तांतरण किए जाने का सुझाव दिया है। शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व परामर्श में कृषि विशेषज्ञों ने ये सुझाव दिए हैं।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब हाल के आम चुनाव में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी को ग्रामीण इलाकों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। सरकार को इस बैठक में ग्रामीण इलाकों के बारे में प्रमुख विशेषज्ञों की राय जानने का अवसर मिला।
दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) गिरकर 5 साल के निचले स्तर 1.4 फीसदी पर आ गया है, जिसे देखते हुए यह बैठक महत्त्वपूर्ण थी।
बहरहाल कुछ प्रमुख किसान समूहों जैसे वामपंथी रुझान वाले ऑल इंडिया किसान सभा ने बैठक की आलोचना करते हुए कहा है कि इसमें किसानों का सही प्रतिनिधित्व नहीं था और एमएसपी को कानूनी बनाने जैसे अहम मसलों पर कोई चर्चा नहीं हुई।किसान संगठनों ने उर्वरक सब्सिडी और बुनियादी ढांचे को तर्कसंगत बनाने की वकालत की, जिससे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए इस क्षेत्र में मजबूती बनी रहे।
बातचीत में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, ‘करीब सभी हिस्सेदार कृषि शोध एवं विकास में ज्यादा निवेश चाहते थे। कुछ ने कहा कि इसे मौजूदा स्तर से दोगुना किया जाना चाहिए, क्योंकि यही एकमात्र तरीका है, जिससे कृषि क्षेत्र में वृद्धि बनी रह सकती है।’
करीब ढाई घंटे तक चली बैठक के दौरान हिस्सेदारों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का बजट आवंटन 9,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया है। इंडियन चैंबर ऑफ फूड ऐंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) के चेयरमैन एमजे खान ने कृषि आरऐंडडी में भारी निवेश की जरूरत पर जोर दिया, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि बनी रहे और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके।
विशेषज्ञों ने कृषि से संबंधित सभी सब्सिडी को एकीकृत करके प्रत्यक्ष नकदी अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से देने और यूरिया का खुदरा मूल्य बढ़ाने का सुझाव दिया है, जिसकी कीमत 2018 से ही नहीं बढ़ी है। बॉयो फर्टिलाइजर और फोलियर फर्टिलाइजर को सब्सिडी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना एक और प्रमुख मांग है। भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने कृषि फंड को शिक्षा और शोध के बीच विभाजित करने का सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा कि कृषि शोध पर आर्थिक रिटर्न अन्य निवेशों की तुलना में 10 गुना ज्यादा है, वहीं इसके बजट में वृद्धि महंगाई दर से भी सुस्त है। उन्होंने कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को अपनी कुल क्षमता की 5 फीसदी बिजली, कृषि के अवशेषों से उत्पादित करना अनिवार्य करने का सुझाव दिया है।
अन्य प्रमुख सुझावों में एमएसपी समिति को भंग करना, भारत के लिए नई कृषि नीति लागू करना तथा केंद्र की योजनाओं में मानव संसाधन विकास के लिए वित्त पोषण अनुपात को 60:40 से बदलकर 90:10 करना शामिल है, जिसमें केंद्र सरकार 5 वर्षों तक 90 प्रतिशत लागत वहन करे।
विशेषज्ञों ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) का बजट आवंटन 80 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये करने, जिला निर्यात केंद्र बनाने और राष्ट्रीय भेंड़ बकरी मिशन शुरू करने का सुझाव दिया है।
इस बैठक में सीएसीपी के पूर्व प्रमुख और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, वरिष्ठ कृषि पत्रकार हरीश दामोदरन, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के प्रतिनिधियों और यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ साउदर्न इंडिया (यूपीएएसआई) सहित अन्य ने हिस्सा लिया।