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Raigarh Landslide: भूस्खलन में परिवार को खोने वाले पारधी बोले – शवों को मलबे में ही रहने दें

Raigarh Landslide: रायगढ़ में हुए भूस्खलन के पीड़ित पारधी (65) ने कहा, 'मुझे अपने पोते-पोतियों के चेहरे याद आते रहते हैं, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं। मैं असहाय हूं।'

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भाषा   
Last Updated- July 25, 2023 | 1:27 PM IST

Raigarh Landslide: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी में हुए भूस्खलन में अपने परिवार के पांच सदस्यों को खोने वाले कमलू पारधी इतने दुखी हैं कि उनके शवों को नहीं देखना चाहते। पारधी (65) ने कहा कि क्षत-विक्षत शवों को बाहर निकालकर और दर्द देने से अच्छा है कि उन्हें मलबे में ही ‘रहने’ दें।

कमलू पारधी के परिवार के नौ सदस्य 19 जुलाई को हुए भूस्खलन में दब गए थे। स्थानीय लोग और बचाव दल परिवार के चार सदस्यों को ही सुरक्षित निकाल पाए। मुंबई से लगभग 80 किमी दूर तटीय जिले में एक पहाड़ी की ढलान पर स्थित आदिवासी गांव इरशालवाड़ी में 48 में से 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से भूस्खलन के मलबे में दब गए थे।

इरशालगढ़ किले के पास बसे इस गांव में पक्की सड़क तक नहीं

‘‘ट्रैकिंग’’ के लिए लोकप्रिय इरशालगढ़ किले के पास बसे इस गांव में पक्की सड़क तक नहीं है, जिस वजह से मिट्टी खोदने वाली मशीनों को वहां ले जाना आसान नहीं था। ऐसे में श्रमिकों की मदद से खोज और बचाव अभियान चलाया गया, जो रविवार को बंद किया जा चुका है। गांव में रहने वाले पारधी किसान हैं और वह ‘‘ट्रैकिंग’’ के लिए इरशालगढ़ आने वाले पर्यटकों को घर में रुकने की सुविधा प्रदान करते थे। उन्होंने इस भूस्खलन में अपनी पत्नी, छोटे बेटे काशीनाथ, बहू, 14 वर्षीय पोते और पांच वर्षीय पोती को खो दिया। उन्होंने सोमवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरी पत्नी, बेटा, बहू और दो पोते-पोतियों वहीं दफन हो गए। उनके शव अब खराब हो गए होंगे और उनकी पहचान करना भी मुश्किल होगा। बेहतर होगा कि शवों को मलबे में ही छोड़ दिया जाए।’’

वह पहाड़ी के नीचे थे और घर लौटते समय उन्हें भूस्खलन के बारे में पता चला।

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उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल कल्पना कर सकता हूं कि मेरे परिवार के सदस्यों के साथ क्या हुआ होगा। मुझे अपने पोते-पोतियों के चेहरे याद आते रहते हैं, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं। मैं असहाय हूं। मैंने उनके लिए बहुत सपने देखे थे, अब सब खत्म हो गया।’’

‘मेरे पास तीन एकड़ जमीन है, लेकिन अब मेरे साथ कोई नहीं है’ – पारधी 

पारधी ने कहा कि मेरा बेटा काशीनाथ स्नातक की पढ़ाई कर चुका था और उसने ग्राम पंचायत सदस्य के रूप में भी काम किया था। उसने कोविड-19 महामारी के दौरान गांव में काफी लोगों की मदद की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा बेटा ग्रामीणों की मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहता था। जब खोज और बचाव अभियान चल रहा था, मुझे उम्मीद थी कि परिवार के सभी सदस्यों को जीवित बाहर निकाल लिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’

उन्होंने बताया कि भूस्खलन से मलबे का लगभग 20 फुट ऊंचा ढेर जमा हो गया था और बाहर निकाले गए कई शव सड़ चुके थे। अधिकतर लोगों की पहचान उनके कपड़ों से ही की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीणों और आदिवासी संगठन की सहमति के बाद खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया गया है।’’ पारधी ने बताया कि राज्य सरकार ने ‘‘कंटेनर’’ में उन्हें अस्थायी रूप से आश्रय दिया है और सभी को गांव के करीब ही पुनर्वास कराया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास तीन एकड़ जमीन है, लेकिन अब मेरे साथ कोई नहीं है।’’

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आगरी सेना की रायगढ़ इकाई के प्रमुख और गांव के पूर्व सरपंच सचिन मटे ने भी कहा कि पुनर्वास जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने मलबे से 27 शवों को निकालने के बाद रविवार को खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया। राज्य मंत्री उदय सामंत ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि 57 लोग लापता हैं, जबकि 144 लोगों को पास के एक मंदिर में आश्रय दिया गया है।

First Published : July 25, 2023 | 1:27 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)