ग्राहकों को परेशान करने वाली कॉल की संख्या कम करने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) कई तरह के तकनीकी विकल्पों पर शोध कर रहा है जिसमें डिजिटल सामग्री अनुमति (DCA) तकनीक इस सूची में सबसे अग्रणी है और मुमकिन है कि अगले दो महीने में इसकी शुरुआत प्रायोगिक आधार पर कर दी जाएगी।
अनचाहे वाणिज्यिक संदेशों (UCC) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तकनीक की सूची में एक UCC पहचान प्रणाली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लैंग्वेज (AI/ML) का इस्तेमाल करने वाले दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के हेडर और मेसेज टेम्पलेट्स के डीएलटी प्लेटफॉर्म (डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी) के जरिये संदेशों की छंटनी करने की प्रक्रिया शामिल है।
लेकिन इनमें DCA तकनीक को सरकारी हितधारकों के बीच सबसे अधिक स्वीकृति मिली है। यह तकनीक उन ब्रांडों या कंपनियों के लिए ग्राहकों की सहमति लेगा, जिनसे वे संदेश पाना चाहते हैं। यह DLT प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ताओं की सहमति पाने की प्रक्रिया को तेज करेगा।
एक अधिकारी ने बताया, ‘इस तकनीक परीक्षण के अग्रिम चरण में है। इसे परीक्षण के आधार पर सार्वजनिक नेटवर्क में रिलीज के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है, लेकिन इसके लिए इसका चुनौती पर खरा उतरने के लिए सक्षम होना पड़ेगा।‘
DLT प्लेटफॉर्म , प्रेषक की आईडी और टेम्प्लेट के रिकॉर्ड को रखने और प्रबंधित करने के लिए डिजिटल प्रणाली है। भारत में, इन्हें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और भारत संचार निगम जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा चलाया जाता है।
विभिन्न कंपनियों और व्यवसायों को प्रासंगिक ब्योरा जमा कर DLT पर पंजीकरण कराने के साथ ही विशेष हेडर और मेसेज टेम्पलेट्स पाना होता है। यह एक व्यवसाय या ब्रांड को दर्शाता हुआ विशेष कीवर्ड हैं जो किसी फोन उपयोगकर्ता को संदेश मिलने पर पॉप अप होता है।
समस्या अक्सर तब शुरू होती है जब वैध रूप से प्रमुख संस्थाओं के रूप में वर्गीकृत कंपनियां या व्यवसाय अपने ग्राहकों को एसएमएस भेजने के लिए टेलीमार्केटर से थोक एसएमएस खरीदते हैं। टेलीमार्केटर्स को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराना होता है।
पिछले महीने TRAI ने टेलीमार्केटिंग कंपनियों पर कार्रवाई का संदेश देते हुए मैसेज इनबॉक्स को स्पैम करने पर कार्रवाई करने की बात कही थी। इसने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से कहा था कि वे अपने DLT को साफ करें और सभी असत्यापित टेलीमार्केटर के खाते को ब्लॉक करें। एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए यह भी कहा गया कि संदेश के प्रसार में शामिल संस्थाओं की पहचान होनी जरूरी है और जरूरी होने पर इनकी निगरानी भी होनी चाहिए।
TRAI ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से कहा था कि वे कुछ समय के लिए तत्काल अस्थायी हेडर को उस अवधि के बाद तुरंत निष्क्रिय कर दें जिसके लिए ऐसे हेडर बनाए गए थे, और उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मेसेज टेम्पलेट की विभिन्न सामग्री वर्ग में अवांछित सामग्री डालने की सुविधा न हो। लेकिन TRAI का मानना है कि अवांछित कॉल एक ऐसा क्षेत्र है जहां काफी काम बाकी हैं।
ऊपर से मंजूरी
अधिकारियों ने कहा कि DCA को जल्द ही शुरू करने के प्रस्ताव को नियामकों की संयुक्त समिति (जेसीओआर) का भी समर्थन मिला है। जेसीओआर दूरसंचार संसाधनों का उपयोग करके स्पैम और धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक संयुक्त कार्य योजना तैयार करने के लिए पिछले साल स्थापित किया गया प्रमुख अंतर-मंत्रालयी निकाय है।
23 फरवरी को TRAI प्रमुख की अध्यक्षता में नई दिल्ली में जेसीओआर की बैठक आयोजित की गई। इसमें एक अधिकारी ने कहा, ‘बैठक में DCA पर चर्चा की गई और साथ ही समस्या पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने के लिए तकनीकी और नियामकीय समाधानों की सूची पर भी चर्चा की गई। DLT प्लेटफॉर्म पर दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा पहचाने गए UCC डेटा को साझा करने के लिए एक मसौदा तैयार करने की बात की गई।‘
दूरसंचार नियामक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) , भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (एमओसीए) से मिलकर बने इस निकाय में दूरसंचार विभाग (डीओटी) और गृह मंत्रालय से भी विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।
बैठक में मोबाइल हैंडसेट के दुरुपयोग, AI/ML आधारित फिशिंग रोधी प्रणालियों के इस्तेमाल को रोकने के लिए केंद्रीय उपकरण पहचान पंजी (सीआईयू) को पूरे भारत में लागू करने पर भी चर्चा हुई।
विनियमन पर जोर
जेसीओआर ने संबंधित नियामकों और विभागों के तहत काम करने वाली अलग-अलग इकाइयों को दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियमन (टीसीसीसीपीआर) निर्देशों को समय पर लागू करने के लिए फिर से निर्देश देने के लिए सहमति जताई। फरवरी 2021 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्राई और दूरसंचार कंपनियों को टीसीसीसीपीआर नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया था।