Kolkata Durga Puja 2024: ऊंचे-ऊंचे पंडालों के अंदर फिर से भीड़ बढ़ने लगी है, खरीदार बरबाद हुए समय की भरपाई में लगे हैं और सड़कों पर फिर से जाम लगना शुरू हो गया है। कोलकाता के खुदरा क्षेत्र के लिए कई खराब हफ्तों के बाद एक बार फिर से दुर्गा पूजा में रौनक दिखने लगी है।
दुर्गा पूजा की अर्थव्यवस्था में खुदरा क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है, लेकिन हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के बाद हुए विरोध-प्रदर्शन से और बांग्लादेशी खरीदारों की अनुपलब्धता के कारण बिक्री पर एक साल पहले के मुकाबले असर पड़ता दिख रहा है।
हलचल भरे पारंपरिक बाजारों से लेकर महंगे मॉल तक पिछले कुछ हफ्तों में आखिरी मिनट खरीदारों की जमकर भीड़ पहुंची, जिससे नुकसान की भरपाई में मदद मिली।औपनिवेशिक युग का न्यू मार्केट जिसे कभी सेंट्रल कोलकाता में सर स्टुअर्ट हॉग मार्केट भी कहा जाता था, वहां अब खरीदारों की खचाखच भीड़ है। मगर फेरीवाले और दुकानदारों का कहना है कि नुकसान की भरपाई के लिए जितनी भीड़ होनी चाहिए थी उतनी नहीं है।
एक प्रमुख साड़ी दुकानदार का कहना है कि बिक्री पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम रही है। उन्होंने समझाया कि यह विभिन्न कारणों से है। उन्होंने कहा, ‘आरजी कर मामले के बाद स्थानीय खरीदार नाखुश हैं और पिछले दो महीने से बांग्लादेशी ग्राहक लापता हैं।’
बांग्लादेश में राजनीतिक उठापटक के बाद से बांग्लादेशी नागरिकों के वीजा को इलाज और आपातकालीन जरूरतों तक के लिए ही सीमित कर दिया गया है। एसएस हॉग मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि बिक्री, जो पिछले साल के मुकाबले आधी थी, बीते एक हफ्ते में थोड़ी ठीक हुई है। फिर भी वह साल 2023 के मुकाबले अभी 30 फीसदी कम हैं। आमतौर पर बिक्री में बांग्लादेशी ग्राहकों की 30 से 40 फीसदी हिस्सेदारी रहती है और इस बार उनके न होने का काफी एहसास हो रहा है। इस बीच, कुछ स्थानीय ग्राहकों का कहना है उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है और विरोध अब भी जारी है।
दक्षिण कोलकाता के लोकप्रिय खरीदारी केंद्र गरियाहाट की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। कॉन्फेडेरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने कहा कि परिधान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक सभी श्रेणियों में पिछले साल के मुकाबले बिक्री में 20 से 25 फीसदी की गिरावट है। मगर महंगे मॉल बेहतर संख्या बता रहे हैं।
साउथ सिटी ग्रुप के उपाध्यक्ष मन मोहन बागड़ी ने कहा, ‘पिछले दो हफ्ते सही मायने में बेहतरीन रहे हैं और साउथ सिटी मॉल के खुदरा दुकानदार आखिरी मिनट में जमकर हुई खरीदारी से काफी उत्साहित हैं।’ कुल मिलाकर मॉल का अनुमान है कि बीते साल के मुकाबले बिक्री 15 फीसदी कम रही है।
लक्जरी मॉल वाली क्वेस्ट प्रॉपर्टीज के मुख्य कार्य अधिकारी और कार्यकारी निदेशक संजीव मेहरा भी इस बात से सहमत है और वह कहते हैं, ‘हाल के सप्ताहांतों में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों से बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।’
इस बीच एक्रोपोलिस मॉल ने पिछले सप्ताहांत में आगंतुकों में 40 फीसदी का इजाफा दर्ज किया है, जो लगभग पिछले साल के स्तर पर पहुंच गया है।
कोलकाता शहर में 2,905 के साथ इस बार पूरे पश्चिम बंगाल में 43 हजार से अधिक दुर्गा पूजा पंडाल हैं, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण कारक है। खुदरा के अलावा खाद्य और पेय पदार्थ भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसके बाद प्रायोजक, प्रतिमा निर्माण, लाइटिंग आदि का स्थान आता है।
साल 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को द्वारा दिए गए इनटैंजिबल कल्चरल हैरिटेज टैग से इस त्योहार को काफी प्रसिद्धि मिली। पिछले साल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि इस उत्सव से 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ।
मगर इस बार शहर के मूड का असर रेस्तरां कारोबार पर भी पड़ा है। 6 बालिगंज प्लेस, द वॉल, रमणी जैसे ब्रांड संचालित करने वाली सैवोराइट्स हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक और निदेशक अनिंदा पालित ने दुर्गा पूजा से पहले के महीनों में रेस्तरां की बिक्री में 16 फीसदी की गिरावट देखी है। उन्होंने कहा, ‘आउटडोर कैटरिंग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है क्योंकि अधिकतर कॉरपोरेट और निजी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं।’
खानपान के लिए शहर के मशहूर इलाके पार्क स्ट्रीट पर मोकैम्बो और पीटर कैट जैसे बड़े रेस्तरां के बाहर एक बार फिर से ग्राहकों की कतारें देखने को मिल रही हैं। रेस्तरां के मालिक नितिन कोठारी ने कहा कि बीते हफ्ते से कारोबार अच्छा है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अब कुछ हद तक स्थिति सामान्य होने लगी है। ट्रिनकास रेस्तरां और बार के तीसरी पीढ़ी के मालिक आनंद पुरी का भी कहना है कि कारोबार कुल मिलाकर उतना अच्छा है, जितना पिछले साल था।
स्पेशियलिटी रेस्टोरेंट्स (मेनलैंड चाइना, ओह! कलकत्ता) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अंजन चटर्जी भी आश्वस्त हैं और कहते हैं कि हमें न केवल सुधार की उम्मीद है बल्कि अनुमानों को भी पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
अधिक बजट वाले पूजा पंडालों के लिए महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले कॉरपोरेट प्रायोजन पर भी असर पड़ा है। करीब 750 पूजा का प्रतिनिधित्व करने वाले फोरम ऑफ दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बसु ने कहा कि इस बार प्रायोजन में 10 से 15 फीसदी कमी आई है।
दक्षिण कोलकाता की प्रमुख पूजा समाज सेवी संघ के सचिव अरिजित मैत्र ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन के कारण कंपनियों के पीछे हटने से इसमें 30 से 40 फीसदी की गिरावट आई है मगर हम पिछले साल के कुछ अधिशेष के कारण घाटा कम करने में सफल रहे हैं। सिंघी पार्क दुर्गा पूजा समिति के लिए पिछले 10 दिनों में प्रायोजक बढ़े हैं मगर पिछले साल के मुकाबले इसमें 25 फीसदी की गिरावट आई है।
समिति के महासचिव अभिजित मजूमदार ने कहा, ‘आखिरी समय में पुष्टि से ब्रांडिंग गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।’ बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन के सचिव अंजन उकील ने कहा कि इस बार स्थानीय प्रायोजकों की भागीदारी कम रही है, लेकिन दिल्ली और मुंबई के बड़े ब्रांड अधिक हैं।
मगर ऐसा लगता है कि उत्तरी कोलकाता के बागबाजार सर्वजन दुर्गोत्सव ने स्पॉन्सरशिप में 20 फीसदी की वृद्धि के साथ इस रुझान को उलट दिया है। इसके महासचिव गौतम नेगी ने कहा, ‘कुछ कंपनियों ने अपने बजट में कमी की है, लेकिन हमने लंबे अरसे से चले आ रहे अपने संबंधों के कारण दूसरों को भी अपना बजट बढ़ाने के लिए मना लिया है।’
हालांकि, पूजा 9 अक्टूबर से शुरू हुई है और कोलकाता का कारोबारी परिदृश्य आशावादी बना हुआ है, इसलिए उम्मीद की जा रही है आने वाले त्योहार के दिनों में शहर में सुधार आएगा और उत्साह फिर लौटेगा।