Infrastructure project Aadhaar card: आधार कार्ड भारत के हर नागरिक की पहचान बन गया है। लेकिन अब हर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए आधार कार्ड की तरह एक यूनिक आईडी बनाने का फैसला महाराष्ट्र सरकार ने लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य मंत्री उपस्थित थे।
कई विभाग एक ही स्थान पर एक ही प्रकार के विकास कार्य करते हैं। एक ही काम करने से करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। चूंकि आधार संख्या के कारण कई फर्जी लाभार्थियों और समान नामों को बाहर कर दिया गया था, इसलिए इस निर्णय से समान विकास कार्यों की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सुझाव दिया कि प्रत्येक बुनियादी ढांचा परियोजना की एक विशिष्ट आईडी होनी चाहिए ताकि विकास कार्यों की उचित योजना और समन्वय किया जा सके। किस क्षेत्र में कौन से काम की योजना है और कहां किस प्रोजेक्ट की जरूरत है, यह सब एक डैशबोर्ड पर एक साथ उपलब्ध होगा। यह जानना आसान होगा कि किस प्रोजेक्ट की कहां जरूरत है। इससे संतुलित विकास और धन एवं जनशक्ति का समुचित उपयोग हो सकेगा। यह जानकारी पीएम गति शक्ति पोर्टल, ग्राम विकास पोर्टल, महाराष्ट्र रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (एमआरएसएसी) आदि के साथ एकीकृत की जाएगी।
इंफ्रा आधार के स्वरूप निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री ने एक समिति बनायी है। इसमें योजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजगोपाल देवड़ा, प्रमुख सचिव (व्यय) सौरभ विजय, ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव एकनाथ डावले, नासिक के संभागीय आयुक्त प्रवीण गेदाम शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि समिति अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपे।
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राज्य के सभी सामाजिक विकास निगमों को एक आईटी प्लेटफॉर्म पर लाने का फैसला किया। जिससे सभी विकास निगमों की सभी योजनाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। इससे ईज ऑफ लिविंग का लक्ष्य तो हासिल होगा ही, साथ ही समाज के सभी सदस्य एक ही स्थान पर सभी योजनाओं और उनके लाभों का लाभ उठा सकेंगे।
ड्राफ्ट तय करने के लिए 4 अधिकारियों की एक कमेटी भी बनाई गई है। इसमें शहरी विकास-1 के अतिरिक्त मुख्य सचिव असीम गुप्ता, उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विकास रस्तोगी, ग्रामीण विकास सचिव विजय वाघमारे, पुणे संभागीय आयुक्त चंद्रकांत पुलकुंदवार शामिल हैं। उन्हें अपनी रिपोर्ट राज्य कैबिनेट को भी सौंपनी है।
बैठक में ई-ऑफिस की तर्ज पर ई-कैबिनेट का प्रस्ताव रखा गया। राज्य मंत्रिमंडल का संपूर्ण प्रारूप टैब के माध्यम से संचालित किया जाए, इससे कागज की बचत होगी और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।