मुंबई महानगर क्षेत्र को वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए नीति आयोग की रिपोर्ट को पेश किया गया। रिपोर्ट मुंबई महानगरीय क्षेत्र की अभूतपूर्व विकास क्षमता और 2030 और 2047 के लिए क्षेत्र के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट में एमएमआर की जीडीपी को 2030 तक 140 अरब डॉलर (12 लाख करोड़ रुपये) से बढ़ाकर 300 अरब डॉलर (26 लाख करोड़) और 2047 तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है। 2030 तक 25-28 लाख नई नौकरियां पैदा करना और प्रति व्यक्ति आय 5,248 डॉलर से बढ़ाकर 10,000-12,000 डॉलर और 2047 तक 38,000 डॉलर करने का लक्ष्य है।
वित्तीय सेवाओं, फिनटेक, एआई, स्वास्थ्य और मीडिया जैसे उद्योग क्षेत्रों के लिए मुंबई महानगरीय क्षेत्र को वैश्विक सेवा केंद्र के रूप में स्थापित करना। स्लम पुनर्वास सहित 3 मिलियन किफायती घरों का निर्माण और पर्यटन एवं मनोरंजन केन्द्रों का विस्तार करना, खासतौर पर समुद्र तट, क्रूज और प्राकृतिक पर्यटन को विकसित करने पर जोर दिया गया। बंदरगाहों के पास लॉजिस्टिक हब विकसित करना और वित्त वर्ष 2030 तक 60-70 मिलियन वर्ग फुट की अतिरिक्त भंडारण क्षमता बनाना।
भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, मुंबई महानगर क्षेत्र के आर्थिक मास्टर प्लान को 30 महत्वपूर्ण परियोजनाओं में बदल दिया गया है, जो अगले पांच से छह वर्षों में पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र का लक्ष्य इस अवधि के दौरान निजी क्षेत्र से 125-135 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना है। इससे इस क्षेत्र के विकास को और बढ़ावा मिलेगा।
नीति आयोग ने कहा कि 50 अरब डॉलर से अधिक के चल रहे बुनियादी ढांचे के निवेश के कारण एमएमआर सकारात्मक विकास पथ पर है, जिसमें 337 किलोमीटर मेट्रो रेल, वधावन बंदरगाह, नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अलीबाग-विरार मल्टीमॉडल कॉरिडोर, वर्सोवा विरार सी लिंक, मुंबई-अहमदाबाद को जोड़ने वाली हाई-स्पीड रेल शामिल है।