केंद्र ने बुधवार को प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से निपटने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सरकार के राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और मेडिकल कॉलेजों में ऐसे रोगों से निपटने के लिए चेस्ट क्लीनिक हों।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ये चेस्ट क्लीनिक शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप-जिला अस्पतालों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्थापित किए जा सकते हैं और प्रतिदिन कम से कम दो घंटे की निश्चित अवधि के लिए काम करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि प्रदूषण के कारण श्वसन और हृदय रोगों के मामले बढ़ने लगते हैं। इसलिए अस्पतालों को विशेष तैयारी रखनी चाहिए।
उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के रूप में पहचाने गए व्यक्तियों का एक रजिस्टर भी रखा जाना चाहिए, जिसमें आशा, एएनएम और सीएचओ के माध्यम से सामुदायिक-आधारित फॉलो-अप के लिए प्रभावित लोगों का विवरण संबंधित ब्लॉकों के साथ साझा किया जा सकता है।