National Deep Water Exploration Mission: सरकार गहरे पानी और अति-गहरे पानी वाले क्षेत्रों में रणनीतिक तेल और गैस अन्वेषण की कवायदों को समर्थन देने के लिए नैशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन के तहत एक कोष स्थापित करने पर विचार कर रही है।
इस योजना की रूपरेखा को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है, जिसमें कोष का आकार और इसका स्रोत भी शामिल है। कर्मचारियों को संबोधित करते हुए ओआईएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रंजीत रथ ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने नैशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन पर जोर दिया है, जिसके तहत गहरे जल और अत्यंत गहरे जल में रणनीतिक अन्वेषण के लिए एक कोष निर्धारित किया जाना है। ऑयल इंडिया इसके लिए प्रतिबद्ध है।’
उन्होंने कहा कि ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) बोली के नौवें दौर के तहत ओआईएल ने महानदी और केजी बेसिन में गहरे पानी और अति-गहरे पानी के अन्वेषण क्षेत्रों में 40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले ही सुरक्षित कर लिया है और कंपनी बहुत जल्द ही भूकंपीय 3डी और 2डी डेटा पेश करने जा रही है।
रथ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नैशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन पर जोर दिया है, जिसके तहत अन्वेषण और उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑयल इंडिया सहित चिह्नित सार्वजनिक उपक्रमों के साथ विदेशी परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए एक कोष की पहचान पहले ही की जा चुकी है। कंपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप ऐसे विविध विकल्पों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हमने हाल ही में महत्त्वपूर्ण खनिजों का विविधीकरण किया है। हमें दो ब्लॉक मिले हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के ग्रेफाइट और वैनेडियम ब्लॉक और राजस्थान का पोटाश ब्लॉक शामिल है। हम विदेश में महत्त्वपूर्ण खनिज के अधिग्रहण पर भी काम कर रहे हैं।’
रथ ने कहा कि कंपनी उत्पादन लक्ष्य पूरा करने की राह में है लेकिन अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। ओआईएल प्राथमिक रूप से ऊपरी असम में काम करती है, जहां प्राकृतिक गैस का बाजार सीमित है। उन्होंने भाखरी टिब्बा डिस्कवर्ड स्माल फील्ड (डीएसएफ) ब्लॉक के तेजी से मुद्रीकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए ओआईएल के दल को शुभकामनाएं दी है।