Monsoon: अगस्त में सुस्त रहने के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सितंबर में फिर सक्रिय हो सकता है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने नवीनतम अनुमान में यह बात कही है। इस बयान के बाद बारिश को लेकर उम्मीदें फिर जग गई हैं। विभाग ने कहा है कि देश में सितंबर में संचयी वर्षा दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) की 91-100 प्रतिशत तक रह सकती है। अगस्त में बारिश बहुत कम होने से खरीफ फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। 1901 के बाद अगस्त में इतनी कम बारिश कभी नहीं हुई थी।
सितंबर के लिए एलपीए 167.9 सेंटीमीटर रहा है। यह कुल मौसमी वर्षा का लगभग 19 प्रतिशत है। इस समय खेतों में लगी खरीफ फसलों के लिए बारिश बेहद जरूरी है, खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना में अगस्त में मामूली बारिश से हालात बिगड़ गए हैं।
हालांकि, सितंबर में बारिश अच्छी-खासी बारिश होती है तब भी कमी की भरपाई होती नहीं दिख रही है। यानी जून से सितंबर तक देश में कुल बारिश ‘सामान्य से कम’ ही रहेगी। अगस्त लगभग सूखा गुजरने से पहले दिए गए सभी अनुमान धरे के धरे रह गए हैं।
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि सितंबर के अंत तक बारिश कितनी होगी मगर मौसम विभाग के नवीनतम अनुमान के अनुसार इस साल वर्षा एलपीए की 96 प्रतिशत से कम ही रहेगी।
अगस्त में देश में मात्र 161.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो 1901 के बाद से अब तक का सबसे खराब आंकड़ा है। संचयी स्तर पर देश भर में औसत वर्षा 36 प्रतिशत कम रही। अगस्त में पूरे 20 दिनों तक मॉनसून सक्रिय नहीं रहा। 1989 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है।
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मॉनसून की चाल सुस्त पड़ने से अगस्त में अखिल भारतीय औसत माध्य और अधिकतम तापमान 1901 के बाद सर्वाधिक स्तरों पर रहे। न्यूनतम तापमान भी केवल एक बार इससे पहले अधिक रहा था।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने गुरुवार को कहा, ‘तीन संकेत बता रहे हैं कि सितंबर में मॉनसून फिर सक्रिय हो जाएगा। पहली बात तो बंगाल की खाड़ी में कम दबाव बढ़ सकता है। दूसरी बात, मैडेन जूलियन ऑसीलेशन (एमजोओ) अनुकूल रहेगा। तीसरा पहलू यह है कि हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) अगस्त में उदासीन रहने के बाद सकारात्मक हो गया है और आगे भी ऐसा ही रहेगा।’
महापात्र ने कहा कि 2 सितंबर से मॉनसून फिर सक्रिय हो जाएगा और इसके बाद इसकी सक्रियता बढ़ती ही जाएगी।
मौसम विभाग ने कहा कि क्षेत्रवार आधार पर बात करें तो पूर्वोत्तर, पूर्वी भारत, हिमालय के आस-पास के क्षेत्र और पूर्व-मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भाग में सामान्य से अधिक वर्षा होगी, जबकि देश के शेष हिस्सों में सामान्य और इससे कम बारिश हो सकती है।
महापात्र ने कहा कि कृषि मंत्रालय के साथ हुई चर्चा के अनुसार अगस्त में बारिश कम होने से खेतों में लगी खरीफ फसलों को कुछ नुकसान जरूर हुआ है मगर पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्से में बारिश से धान की फसल को फायदा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मॉनसून के समय से पहले लौटने का कोई अनुमान नहीं है। अन नीनो पर विभाग ने कहा कि यह मजबूत हो रहा है और समय के साथ यह और मजबूत हो जाएगा और अगले वर्ष की शुरुआती अवधि तक प्रभाव में रहेगा।