Monsoon: भीषण गर्मी की मार झेल रहे उत्तर भारत को जल्द राहत मिलने की संभावना है। एक सप्ताह से ज्यादा समय तक ठहरने के बाद मॉनसून ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है और आगे बढ़ रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो वरिष्ठ मौसम अधिकारियों के हवाले से बताया कि अगले कुछ दिनों में देश के मध्य भागों में बारिश होने की संभावना है, जिससे अनाज उगाने वाले उत्तरी मैदानी इलाकों में गर्मी से राहत मिलेगी।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास के लिए मॉनसून की बारिश बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में कृषि मॉनसूनी बारिश पर ही निर्भर करती है। आमतौर पर भारत में मॉनसून 1 जून के आसपास दक्षिण भारत के केरल राज्य में दस्तक देती है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाती है। चावल, कपास, सोयाबीन और गन्ना जैसी फसलों की बुआई के लिए किसान पलकें बिछाए मॉनसून की राह देख रहे होते हैं।
मौसम विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, “मॉनसून फिर से सक्रिय हो रहा है। यह महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्से को कवर करने के बाद रुक गया था, लेकिन इस सप्ताह के अंत तक यह मध्य प्रदेश में दस्तक देगा।”
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अगले सप्ताह से पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में भारी बारिश होगी। मध्य भागों में भी बारिश शुरू हो जाएगी।”
मॉनसून भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में तय समय से लगभग दो दिन पहले पहुंच गया, मगर देश के मध्य और पूर्वी राज्यों में इसकी प्रगति लगभग एक सप्ताह तक रुकी रही।
मॉनसून लगभग 3.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था की जीवनधारा है। मॉनसून भारत में खेतों को पानी देने और जलाशयों और भूजल को फिर से भरने के लिए आवश्यक लगभग 70 प्रतिशत बारिश लाता है।
सिंचाई की अनुपस्थिति में, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चावल, गेहूं और चीनी उत्पादक देश की लगभग आधी कृषि भूमि पर खेती सालाना बारिश पर निर्भर करती है, जो आमतौर पर जून से सितंबर तक चलती है।
एक अन्य मौसम अधिकारी ने कहा कि अगले सप्ताह से मॉनसून के तेजी से आगे बढ़ने और उत्तर भारत में तापमान में कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सप्ताहांत तक उत्तरी राज्यों में गर्मी का प्रकोप कम हो जाएगा।
IMD के आंकड़ों से पता चलता है कि इस सप्ताह भारत के उत्तरी राज्यों में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और 46 डिग्री सेल्सियस के बीच है, जो सामान्य से लगभग 3 डिग्री सेल्सियस से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
IMD का कहना है कि 1 जून को सीजन शुरू होने के बाद से भारत में सामान्य से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई है।