आर्थिक बोझ में दबी महाराष्ट्र सरकार योजनाओं को सरल और समय पर पूरा करके खजाने की स्थिति सही करने की कोशिश कर रही है। इसके तहत कुछ योजनाओं को बंद किया जा सकता है जबकि कुछ पर कटौती की योजना चल रही है। विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है जिसकी वजह से सरकार कई योजनाओं को रोकने की कोशिश कर रही है।
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार लोगों के लाभ के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं को रोकने की कोशिश कर रही है। दानवे ने कहा कि महाराष्ट्र की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार ने लाडकी बहिन और लाडका भाऊ जैसी कई योजनाओं की घोषणा की थी। उस समय हमने चेतावनी दी थी कि ये योजनाएं राज्य की अर्थव्यवस्था को तबाह कर देंगी और आज वही हो रहा है। राज्य पर आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। सरकार अब योजनाओं को बंद करने और लाभार्थियों की संख्या कम करने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार वित्त वर्ष 2025-26 का बजट तैयार करने में लगी है, वित्त विभाग बजट को अंतिम रूप देने में लगा है। आय और व्यय के अंतर को पटाने के लिए वित्त विभाग ने राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों को व्यय के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने कई विभागों को वार्षिक आवंटन का केवल 70 प्रतिशत ही खर्च करने का निर्देश दिया है। पेंशन, छात्रवृत्ति, सहायक सब्सिडी वाले वेतन, ऋण राशि, ऋण चुकौती और अंतर-खाता हस्तांतरण पर होने वाले खर्च कोई कटौती नहीं की जाएगी। सभी विभागों से 18 फरवरी तक खर्च का विवरण प्रस्तुत करने को कहा गया है।
बढ़ते खर्च को कम करने के लिए मापदंड पूरा न करने वाली लाडली बहनों की राशि रोकने के आदेश दिये गए हैं। इस योजना के तहत लाभान्वित महिलाओं के आवेदनों की फिर से जांच की जा रही है। अब तक 5 लाख महिलाओं को अयोग्य घोषित किया जा चुका है। आवेदनों की चल रही जांच को देखते हुए कहा जा रहा है कि अयोग्य महिलाओं की संख्या अभी और बढ़ने वाली है। इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वित्त मंत्री अजित पवार स्पष्ट कर चुके हैं कि अयोग्य महिलाओं से योजना का पैसा वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन अब उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान शुरू की गई शिवभोजन थाली योजना को सरकार बंद करने पर विचार कर रही है। शिवभोजन थाली क्रियान्वयन समिति के अनुसार, केंद्र संचालकों का बड़ा बकाया पिछले तीन से छह महीनों से लंबित है। राज्य में सभी धर्मों के वरिष्ठ नागरिकों को देश के तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ क्षेत्र योजना 14 जुलाई 2024 को शुरू की गई थी जिसके तहत 60 साल या उससे अधिक उम्र के पात्र वरिष्ठ नागरिकों अपने जीवन में एक बार किसी निर्धारित तीर्थ स्थल की यात्रा कर सकते है। सरकार द्वारा अधिकतम यात्रा व्यय प्रति व्यक्ति 30,000 रुपये तक निर्धारित किया गया है। इन दोनों योजनाओं के बंद होने की चर्चा है, हालांकि सरकार के मंत्री इसे अफवाह बता रहे हैं।
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में काम करने वाले ठेकेदारों का सरकार पर 86,000 करोड़ रुपये बकाया है जिसको लेकर ठेकेदार महासंघ, राज्य अभियंता संघ, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और हॉट मिक्स एसोसिएशन के संयुक्त नेतृत्व में 5 फरवरी को पूरे राज्य में काम बंद आंदोलन किया था। ऐसे में वित्त मंत्री अजित पवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती खर्च और आय के बीच तालमेल बैठने की है। इसके लिए उन्होंने राज्य में चल रही सभी परियोजनाओं के प्रमुख के साथ बैठक करके परियोजनाओं को समय पर पूरा करने को कहा है। क्योंकि समय अधिक लगने से परियोजनाओं की लागत बढ़ती है और सरकारी खजाना प्रभावित होता है। वित्त विभाग की तरफ से कम खर्च और समय से पहले योजनाएं पूरी करने को कहा गया है।
राज्य की आय का सबसे बड़ा स्रोत संपत्ति कर को आसान बनाने के लिए राज्य सरकार ने संपत्तियों और किराये के समझौतों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। मकान और दुकान या अन्य संपत्तियों के खरीदार और विक्रेता अब शहर के किसी भी रजिस्ट्रार कार्यालय में अपनी संपत्ति पंजीकृत करा सकते हैं, चाहे संपत्ति कहीं भी हो। यह परिपत्र 29 जनवरी को पुणे के रजिस्ट्रार के उप महानिरीक्षक द्वारा जारी किया गया था। इसे 17 फरवरी से लागू किया जाएगा, जिससे पर्याप्त लचीलापन मिलेगा।