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मराठा और OBC आरक्षण मुद्दे पर शरद पवार ने महायुति से आपसी सहमति और सहयोग का आह्वान किया

राकांपा (एसपी) प्रमुख ने कहा कि भुजबल ने मतभेदों को दरकिनार कर समाधान ढूंढने तथा विवाद को और अधिक जटिल होने से बचाने का सुझाव दिया।

Last Updated- July 17, 2024 | 11:13 PM IST
Sharad Pawar

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार आरक्षण मुद्दे और मराठा व ओबीसी के बीच संघर्ष का समाधान चाहती है तो उसे ‘आपसी सहमति और सहयोग’ का रुख अपनाना चाहिए। पवार ने बिना पूर्व सूचना के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता छगन भुजबल के अपने आवास पर आने की भी आलोचना की।

पुणे श्रमजीवी पत्रकार संघ (पीयूडब्ल्यूजे) द्वारा आयोजित प्रेस संवाद कार्यक्रम में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, ‘भुजबल जब मुझसे मिलने आए तब मैं बीमार होने के कारण आराम कर रहा था। मुझे बताया गया कि भुजबल एक घंटे से मेरा इंतजार कर रहे हैं और मुझसे बिना मिले लौटने को तैयार नहीं है।’ जुलाई 2023 में जब अजित पवार राकांपा को विभाजित कर शिवसेना-भाजपा की गठबंधन सरकार में शामिल हुए थे तो भुजबल ने उनके खेमे में जाने का विकल्प चुना।

भुजबल और शरद पवार के बीच सोमवार को हुई अचानक मुलाकात से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई। भुजबल द्वारा रविवार को आयोजित रैली में की गई टिप्पणी का परोक्ष संदर्भ देते हुए शरद पवार ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘भुजबल ने हाल ही में दिए अपने भाषणों में मेरे बारे में जो टिप्पणी की, उससे पता चलता है कि उनकी मेरे प्रति कितनी आस्था है।’

भुजबल ने पवार की ओर इशारा करते हुए दावा किया था कि महा विकास आघाडी (एमवीए) के नेताओं ने बारामती से एक फोन कॉल आने के बाद अंतिम समय में सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था। पवार ने भुजबल के साथ हुई चर्चा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ओबीसी नेता (भुजबल) ने राज्य की ‘तस्वीर’ सही करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की और कुछ चीजें बताईं जो राज्य के हित में थीं।

राकांपा (एसपी) प्रमुख ने कहा कि भुजबल ने मतभेदों को दरकिनार कर समाधान ढूंढने तथा विवाद को और अधिक जटिल होने से बचाने का सुझाव दिया। राकांपा (एसपी) प्रमुख ने कहा कि भुजबल की आशंका मराठा आरक्षण मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उनकी (पवार की) अनुपस्थिति के कारण पैदा हुई। पवार से जब पूछा गया कि वह और एमवीए नेता बैठक में क्यों नहीं शामिल हुए तो उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार और मराठा तथा ओबीसी कार्यकर्ताओं मनोज जरांगे और लक्ष्मण हेके के बीच चर्चा के नतीजों के बारे में विपक्ष को अंधेरे में रखा गया था।

उन्होंने कहा, ‘हमने पढ़ा था कि एकनाथ शिंदे और उनके साथी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे से मिलने जालना गए थे। हमें नहीं पता कि उस बैठक में क्या हुआ।’ वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘उस बैठक के कुछ दिनों बाद हड़ताल वापस ले ली गई। इससे पता चलता है कि उन्होंने कुछ चर्चा की थी, जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं थी।’ उन्होंने संकेत दिया कि ओबीसी नेता लक्ष्मण हेके जब अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे तब राज्य के मंत्रियों और अन्य नेताओं के बीच बैठकें हुई थीं और उनके बारे में पारदर्शिता की कमी है।

पवार ने कहा, ‘राज्य सरकार के चार से पांच मंत्रियों ने हेके से मुलाकात की। हमें नहीं पता कि उनकी चर्चाओं के दौरान वास्तव में क्या हुआ।’ उन्होंने कहा कि ‘सरकार के लोग उनसे (जरांगे और ओबीसी नेताओं से) जाकर मिल रहे हैं और उसके बाद कुछ नेताओं द्वारा कुछ बड़े बयान दिए जा रहे हैं, लेकिन न तो हम और न ही जनता उनके बीच हुई बातचीत के बारे में जानती है। यही कारण है कि हमने बैठक में भाग नहीं लिया।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि जरांगे और ओबीसी नेता से किए गए वादों के बारे में पूरी जानकारी दिए बिना बैठक में भाग लेना निरर्थक होता।

पवार ने कहा, ‘अगर वे (राज्य सरकार) हमें यह जानकारी देते हैं, तो हम बैठक में भाग लेने पर विचार करेंगे।’ उन्होंने विपक्ष से अपेक्षाओं को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘वे विपक्ष से 50-60 लोगों की राय का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद करते हैं। हमें यह सही नहीं लगता। वे विपक्ष की राय पर जोर देते हैं। वे सत्ता में हैं, उन्हें निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।’

पवार ने दावा किया कि सरकार विपक्ष को भरोसे में लिए बिना सभी फैसले कर रही है और अब वे शांति के लिए उनसे हस्तक्षेप की उम्मीद कर रही है। राकांपा (एसपी) अध्यक्ष ने कहा, ‘मैंने उनसे (भुजबल से) कहा कि यदि राज्य सरकार कोई समाधान निकालना चाहती है तो उन्हें जरांगे और ओबीसी नेताओं से किए गए वादों के बारे में सभी को बताना होगा।’ उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​है कि राज्य में शांति कायम होनी चाहिए।

First Published - July 17, 2024 | 11:13 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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