कई बार अनशन करके भी अपनी शर्तों के अनुरुप मराठाओं को आरक्षण दिलाने में असफल रहने के बाद मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल चुनावी अखाड़े में कूदने की तैयारी में जुट गए हैं। जरांगे ने कहा कि अगर मराठा आरक्षण चाहिए तो उनके पास राजनीति में आने और सत्ता हासिल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
मराठा समाज और उनके सगे-सोयरे (संबंधियों) को ओबीसी कोटे से आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे को अब तक के प्रयासों में नाकामी हाथ लगी है। मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने के लिए सरकार को कई बार डेडलाइन भी दी , लेकिन महाराष्ट्र सरकार जरांगे की मांगों के आगे झुकती नजर नहीं आ रही है । इसलिए जरांगे विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरु कर दी हैं।
जरांगे ने विश्वास जताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मराठा राज्य की सत्ता में आएंगे। महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। जरांगे ने कहा कि वह राजनीति में प्रवेश नहीं करना चाहते, लेकिन मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने की आवश्यकता उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर सकती है।
उन्होंने विश्वास जताया कि मराठा, मुस्लिम और दलित आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे, जो हाल के लोकसभा चुनाव में देखी गई लहर के समान होगा। यदि हम मराठा समुदाय के लिए आरक्षण चाहते हैं तो हमारे पास राजनीति में प्रवेश करने और सत्ता में आने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने इच्छुक उम्मीदवारों से चुनाव की तैयारी करने का आग्रह किया तथा संकेत दिया कि उनके राजनीतिक प्रवेश के संबंध में निर्णय 29 अगस्त को होने वाली बैठक में किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि जहां नेता अपने-अपने दलों से जुड़े हुए हैं, वहीं आम लोग हमारे साथ हैं। जरांगे से जुड़े लोगों ने बताया कि जरांगे ने 150 से अधिक उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाने का मन बनाया है ।
जरांगे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठा नेताओं को उनके खिलाफ भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि फडणवीस ने मराठा आरक्षण के खिलाफ एक अभियान की योजना बनायी थी और दावा किया कि उपमुख्यमंत्री के इशारे पर समुदाय के कुछ नेता आरक्षण की मांग के प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम राज्य में अशांति पैदा करने के फडणवीस के सपने को नाकाम कर देंगे। महाराष्ट्र एक शांतिपूर्ण राज्य है जहां सभी धर्मों और जातियों के लोग सौहार्दपूर्वक रहते हैं।